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मोहम्मद गुफरान/प्रयागराज: Unlock 1 के तहत धीरे-धीरे देश के व्यावसायिक प्रतिष्ठानों और अन्य गतिविधियों को खोलने की कवायद हो रही है. ऐसे में देश के बड़े शैक्षणिक संस्थान भी जून से परिसर के अंदर की गतिविधियां शुरू करने का मन बना चुके हैं. ऐसे में कोरोना वायरस (coronavirus) से बचने के लिए इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (allahabad university) ने अपना खुद का सेनेटाइजर तैयार किया है. यूनिवर्सिटी के सेंटर ऑफ साइंस एंड सोसायटी के समन्यवक और असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रोहित मिश्र ने औषधीय एसेंशियल आयल युक्त लिक्विड और जेल हैंड सैनिटाइजर तैयार किया है. इसका नाम स्पर्श रखा गया है.
विश्वविद्यालय के कुलपति ने किया शुभारंभ
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (HRD ministry) के एक प्रोजेक्ट के तहत तैयार हैंड सैनिटाइजर (sanitizer) की लांचिंग कार्यवाहक कुलपति प्रो. आरआर तिवारी ने की. इस मौके पर विश्व विद्यालय के रजिस्ट्रार प्रोफेसर एन.के. शुक्ला, डीन साइंस प्रोफेसर शेखर श्रीवास्तव, चीफ प्राक्टर प्रोफेसर आर.के. उपाध्याय, डॉक्टर शैलेंद्र राय भी मौजूद रहे. वाइस चांसलर के मुताबिक "स्पर्श" नामक यह सैनिटाइजर औषधीय गुणों से युक्त है जो कि हमारी त्वचा के लिए भी पूरी तरह से सुरक्षित है और कोरोना से बचाव में पूरी तरह से कारगर भी है.
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हैंड सेनेटाइजर में एल्कोहॉल के साथ अजवाइन भी
इस सेनेटाइजर को मानव संसाधन विकास मंत्रालय (HRD ministry) की परियोजना डिज़ाइन इनोवेशन सेंटर के तहत तैयार किया गया है. सेंटर ऑफ साइंस एंड सोसायटी के को-आर्डिनेटर डॉ रोहित कुमार मिश्रा के मुताबिक "स्पर्श" हैंड सैनिटाइजर में एल्कोहल के साथ अजवाइन के एसेंशियल ऑयल का प्रयोग किया गया है, जिसमें 39.2% थाईमॉल पाया जाता है. इसे यूरोपियन फार्मास्यूटिकल एसोसिएशन ने सैनिटाइजिंग तत्व के रूप में मान्यता दी है. इसके साथ ही इस सैनिटाइजर (sanitizer) में लैवेंडर एसेंशियल ऑयल का भी प्रयोग किया गया है जिसमें कि लिनालूल नामक वायरस रोधी तत्व प्रचुरता से पाया जाता है. इसमें लेमन ग्रास एवं नीम के सत के साथ ग्लिसरोल को भी डाला गया है, जो हमारे हाथों की सुरक्षा के लिए फायदेमंद है. इस सैनिटाइजर का प्रयोग जहां पर साबुन और पानी का विकल्प मौजूद न हो आसानी से किया जा सकता है और त्वचा संबंधी रोगों से भी बचा जा सकता है.
200 मिलीलीटर की कीमत 70 रुपये
ये हैंड सेनेटाइजर काफी किफायती भी है. इसकी 200 मिलीलीटर की डिस्पेंसर समेत लागत 70 रुपये है.फिलहाल डी.आई.सी., आईआईटी और बीएचयू के सहयोग से तैयार यह औषधीय सेनेटाइजर विश्व विद्यालय के कर्मचारियों और शिक्षकों के उपयोग में आ रहा है. विश्वविद्यालय के कुलपति के मुताबिक अगर जरुरत पड़ी तो सरकार के निर्देश पर इसका उत्पादन बढ़ाया भी जा सकता है.
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