'घोर कलियुग'... 80 साल की महिला की याचिका देख हाईकोर्ट को क्यों करनी पड़ी ये टिप्पणी
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'घोर कलियुग'... 80 साल की महिला की याचिका देख हाईकोर्ट को क्यों करनी पड़ी ये टिप्पणी

Prayagraj News: अलीगढ़ के बुजुर्ग दंपति के बीच लड़ाई कानूनी रूप ले चुकी है. पत्‍नी के हर महीने गुजारा भत्‍ता की मांग करने पर बुजुर्ग पति इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंच चुका है. 

Allahabad High Court

Prayagraj News: बुजुर्ग दंपती के बीच गुजारा भत्ता की कानूनी जंग इलाहाबाद हाईकोर्ट की चौखट तक आ पहुंची है. पत्नी को 5,000 रुपये भरण-पोषण देने संबंधी पारिवारिक न्यायालय के आदेश के खिलाफ पति की याचिका पर हाईकोर्ट ने चिंता जताई है. इलाहाबाद हाईकोर्ट रोचक टिप्‍पणी करते हुए कहा, 80 साल की उम्र में गुजारा भत्ता की लड़ाई देखकर लगता है कलयुग आ गया है. कोर्ट ने याची की पत्नी को नोटिस जारी करते हुए उम्मीद जताई कि अगली तारीख पर दोनों पक्ष सकारात्मक समझौते के साथ आएंगे. 

यह है पूरा मामला 
दरअसल, अलीगढ़ के रहने वाले मुनेश चिकित्सा विभाग में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी थे. उन्होंने पत्नी गायत्री देवी के नाम 1981 में मकान बनवाया. इनकी पांच संतानों में तीन बेटियां और दो बेटे हैं. शादी के बाद बेटियां ससुराल चली गईं. साल 2005 में मुनेश के रिटायर होने से पहले तक पूरा परिवार साथ रहता था. इसके बाद साल 2008 में पत्नी गायत्री ने छोटे बेटे को अपना मकान दान में दे दिया. बस इसी के बाद बड़े बेटे का हक मारे जाने को लेकर बुजुर्ग दंपती के बीच विवाद शुरू हो गया. 

परिवार न्‍यायालय के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचा पति 
दंपति के बीच मामूली कहासुनी ने जल्‍द ही कानूनी जंग में तब्‍दील हो गई. दोनों अलग-अलग बेटों के साथ रहने लगे. गायत्री ने परिवार न्यायालय में पति के खिलाफ भरण-पोषण का दावा किया तो अदालत के मांग स्वीकार कर ली. इसके बाद मुनेश ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा तो सुनवाई कर रहे जज स्‍तब्‍ध रह गए. जज ने कहा लगता है सच में कलयुग आ गया है. 

पेंशन से भरण पोषण के लिए 5 हजार रुपये की मांग   
याची पति की ओर से अधिवक्ता घनश्याम दास मिश्रा ने दलील दी कि 1981 में पत्नी के नाम पर मकान खरीदा. साथ ही रिटायर होने के बाद मिले एक लाख रुपये भी 2007 में पत्नी के नाम फिक्स्ड डिपॉजिट कर दिए. इसके बाद भी 2000 रुपये पत्नी को देता था, फिर भी उसने परिवार न्यायालय में दावा कर दिया. जबकि, पत्नी खुद छोटे बेटे को दान दिए घर में परचून की दुकान चलाती हैं. पत्नी और छोटे बेटे ने याची और बड़े बेटे को घर से निकाल दिया है. ऊपर से पेंशन के 13,740 रुपये में से 5000 रुपये भरण पोषण की मांग की जा रही है, जो अवैधानिक है. 

 

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