Budhwar Ke Upay: आप भी गजानन को प्रसन्न करना चाहते हैं तो श्री गणेशाष्टकम् का पाठ करें. ऐसा करने से आपके जीवन में सुख-समृद्धि आएगी.
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Budhwar Ke Upay: आज मार्गशीष (अगहन) मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि है. आज दिन बुधवार है. हिंदू धर्म में यह दिन प्रथम पूज्य श्रीगणेश को समर्पित होता है. बुधवार को पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है. मान्यता है कि अगर गणपति किसी व्यक्ति से प्रसन्न हो जाएं तो उसके जीवन में सब मंगल होता है. वह अपने भक्तों के सभी संकट और कष्ट हर लेते हैं, इसलिए उन्हें विघ्नहर्ता नाम से भी पुकारा जाता है. अगर आप भी गणपति को प्रसन्न करना चाहते हैं तो बुधवार को गणेशाष्टकम् का पाठ करें. ऐसा करने से गजानन भक्त को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.
॥ अथ श्री गणेशाष्टकम् ॥
श्री गणेशाय नमः।
सर्वे उचुः।
यतोऽनन्तशक्तेरनन्ताश्च जीवायतो निर्गुणादप्रमेया गुणास्ते।
यतो भाति सर्वं त्रिधा भेदभिन्नंसदा तं गणेशं नमामो भजामः॥1॥
यतश्चाविरासीज्जगत्सर्वमेतत्तथाऽब्जासनोविश्वगो विश्वगोप्ता।
तथेन्द्रादयो देवसङ्घा मनुष्याःसदा तं गणेशं नमामो भजामः॥2॥
यतो वह्निभानू भवो भूर्जलं चयतः सागराश्चन्द्रमा व्योम वायुः।
यतः स्थावरा जङ्गमा वृक्षसङ्घासदा तं गणेशं नमामो भजामः॥3॥
यतो दानवाः किन्नरा यक्षसङ्घायतश्चारणा वारणाः श्वापदाश्च।
यतः पक्षिकीटा यतो वीरूधश्चसदा तं गणेशं नमामो भजामः॥4
यतो बुद्धिरज्ञाननाशो मुमुक्षोर्यतःसम्पदो भक्तसन्तोषिकाः स्युः।
यतो विघ्ननाशो यतः कार्यसिद्धिःसदा तं गणेशं नमामो भजामः॥5॥
यतः पुत्रसम्पद्यतो वाञ्छितार्थोयतोऽभक्तविघ्नास्तथाऽनेकरूपाः।
यतः शोकमोहौ यतः काम एवसदा तं गणेशं नमामो भजामः॥6॥
यतोऽनन्तशक्तिः स शेषो बभूवधराधारणेऽनेकरूपे च शक्तः।
यतोऽनेकधा स्वर्गलोका हि नानासदा तं गणेशं नमामो भजामः॥7॥
यतो वेदवाचो विकुण्ठा मनोभिःसदा नेति नेतीति यत्ता गृणन्ति।
परब्रह्मरूपं चिदानन्दभूतंसदा तं गणेशं नमामो भजामः॥8॥
॥ फल श्रुति ॥
श्रीगणेश उवाच।
पुनरूचे गणाधीशःस्तोत्रमेतत्पठेन्नरः।
त्रिसन्ध्यं त्रिदिनं तस्यसर्वं कार्यं भविष्यति॥9॥
यो जपेदष्टदिवसंश्लोकाष्टकमिदं शुभम्।
अष्टवारं चतुर्थ्यां तुसोऽष्टसिद्धिरवानप्नुयात्॥10॥
यः पठेन्मासमात्रं तुदशवारं दिने दिने।
स मोचयेद्वन्धगतंराजवध्यं न संशयः॥11॥
विद्याकामो लभेद्विद्यांपुत्रार्थी पुत्रमाप्नुयात्।
वाञ्छितांल्लभतेसर्वानेकविंशतिवारतः॥12॥
यो जपेत्परया भक्तयागजाननपरो नरः।
एवमुक्तवा ततोदेवश्चान्तर्धानं गतः प्रभुः॥13॥
॥ इति श्रीगणेशपुराणे उपासनाखण्डे श्रीगणेशाष्टकं सम्पूर्णम् ॥
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