Chandrama aur Jyotish: यदि आप शादी की तैयारी कर रहे हैं तो कुंडली मिलान करना न भूलें. ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक कुंडली मिलान में चंद्र राशियों की प्रमुखता होती है क्योंकि चंद्रमा मन को व्यक्त करता है. यह हमारी भावनाओं को नियंत्रित करता है. ऐसे में दो जातकों की कुंडली में समान योग की उपस्थिति जीवन में खुशियां ही खुशियां लेकर आती है.
Trending Photos
Chandrama aur Jyotish: चंद्रमा ग्रह वैदिक ज्योतिष और हिंदू धर्म में अहम भूमिका निभाता है. खगोलीय नजरिए से भी देखें तो चंद्रमा एक ग्रह नहीं है. वैदिक ज्योतिष में भले ही इसे एक ग्रह माना जाता है. जातक की जन्म कुंडली में चंद्रमा "मां " का प्रतिनिधित्व करता है. ज्योतिष में चतुर्थ भाव का स्वामित्व होने की वजह से इसे घर भी माना जाता है. यह व्यक्ति के मन स्थानीय सरकार या निजी नौकरियों का प्रतिनिधित्व करता है. जहां सूर्य जातक के सार्वजनिक जीवन और समाज में उच्च पद पर होने का संकेत देता है वहीं चंद्रमा पारिवारिक जीवन, घर और व्यक्तिगत और निजी मामलों को दर्शाता है. सनातन परंपरा में शादी से पहले वर-वधु की कुंडली मिलाई जाती है. कुंडली मिलान भी कुंडली में चंद्रमा कि स्थिति को देखकर तय होती है. ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक चंद्रमा मन का सीधा कारक माना जाता है और विवाह दो मनों का पारस्परिक मेल है.
कुंडली मिलान में चंद्रमा की भूमिका
कुंडली मिलान का मकसद दो व्यक्तियों को एक जोड़े के रूप में एक साथ लाना है. यह उनके वैवाहिक जीवन में प्रेम, समर्पण और आपसी समझ को बढ़ाता है. कुंडली मिलान में चंद्र राशियों की प्रधानता होती है क्योंकि चंद्रमा मन को दर्शाता है, हमारी भावनाओं को नियंत्रित करता है और मानसिक अनुकूलता हमारी शारीरिक अनुकूलता से अधिक महत्वपूर्ण होती है.
कैसे होता है चंद्रमा के आधार पर कुंडली मिलान
चंद्रमा के स्थान की स्थिति के आधार पर वर-वधु की कुंडली मिलाई जाती है. जैसे यदि दूल्हे का चंद्रमा वधू से 2, 3, 4, 5, 6 स्थान पर हो तो जोड़ी ठीक नहीं मानी जाती है. वही यदि चंद्रमा की स्थिति 7 और 12 में हो तो यह एक शुभ संयोग है. दूसरी ओर वधु की चंद्रमा की स्थिति वर की चंद्रमा की स्थिति से अच्छे मेल का संकेत देते हैं. वधू की चन्द्रमा की स्थिति वर की चन्द्रमा से 12वें स्थान में हो तो यह मिलान अच्छा नहीं माना जाता. वही 2, 3, 4, 5, 6 , 7 स्थान अच्छे माने जाते हैं.
चंद्रमा की स्थिति से ही देखे जाते हैं मूल दोष
कुंडली में चंद्रमा कि स्थिति से प्रचलित मूल दोष भी देखे जाते हैं. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक कुंडली में चंद्रमा कि स्थिति मन और भावनाओं को संतुलित करती है. चंद्रमा के कुंडली में प्रभावी होने पर धारक स्वभाव से मृदु, संवेदनशील, भावुक तथा अपने आस-पास के लोगों से आत्मीयता रखने वाला होता है. स्वभाव से ऐसे लोग चंचल व भावुक होते हैं. अपने परिजनों का बहुत ध्यान रखते हैं.
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है. सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक पहुंचाई गई हैं. हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है. इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी. ZEE UPUK इसकी जिम्मेदारी नहीं लेगा.
Watch: देखें कैसे 5 सेकंड में पानी में समाया पक्का मकान, कई गांवों में बाढ़ का खतरा