Rangbhari Ekadashi 2024 kab hai: कब है रंगभरी एकादशी? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
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Rangbhari Ekadashi 2024 kab hai: कब है रंगभरी एकादशी? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Rangbhari Ekadashi 2024: फाल्गुन महीने में पड़ने वाली रंगभरी एकादशी (Rangbhari Ekadashi) का अलग ही महत्व होता है. इस दिन भगवान विष्णु के साथ भगवान शंकर की पूजा का प्रावधान होता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव पहली बार माता पार्वती के साथ काशी गए थे.

Rangbhari Ekadashi 2024 kab hai: कब है रंगभरी एकादशी? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Rangbhari Ekadashi 2024: सनातन धर्म में भगवान विष्णु की उपासना का विशेष महत्व है. भगवान विष्णु के उपासना के लिए एकादशी व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी व्रत  करने से व्यक्ति के सभी दुख और दर्द दूर हो जाते हैं. बता दें कि फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन रंगभरी एकादशी या आमलकी एकादशी व्रत रखा जाएगा. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु के साथ भगवान शंकर की पूजा का प्रावधान होता है. आइए जानते हैं कब है रंगभरी एकादशी, मुहूर्त और महत्व.

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कब है रंगभरी एकादशी?
20 मार्च 

रंगभरी एकादशी व्रत तारीख और मुहूर्त
आमलकी/रंगभरी एकादशी का आरंभ: 19 मार्च को रात में 12 बजकर 22 मिनट से.
 रंगभरी एकादशी का समापन: 20 मार्च को रात में 2 बजकर 23 मिनट पर.
ऐसे में आमलकी एकादशी का व्रत 20 मार्च को पुष्य नक्षत्र में रखा जाएगा.

व्रत का पारण
21 मार्च को सुबह 9 बजे से पहले

रंगभरी एकादशी पूजा विधि
आमलकी/रंगभरी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ कपड़े पहनें. फिर व्रत का संकल्प लें.  एक लोटे में जल भरकर इसमें कच्चा दूध, शहद, गंगाजल, चावल आदि मिलाकर भगवान भोले के मंदिर में जाकर उनका अभिषेक करें. इस दिन महिलाएं माता पार्वती को श्रृंगार का सामान अर्पित करें. भगवान शिव को बेलपत्र आदि अर्पित करें. तत्पश्चात शिवलिंग पर चंदन से लेप करें और शिवजी को अबीर गुलाल चढ़ाएं. आखिर में भगवान शिव और माता पार्वती से सुख समृद्धि की प्रार्थना करें. आप अपनी  मनोकामना भोले जी के सामने कहें. व्रत कर रहे हैं तो उसका पारण विधिपूर्वक करें. 20 मार्च को श्रद्धालु व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा कर सकते हैं.

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रंगभरी एकादशी का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने महाशिवरात्रि के दिन माता पार्वती से विवाह किया था और रंगभरी/आमलकी एकादशी के दिन भगवान शिव और माता पार्वती काशी गए थे। एकादशी के दिन माता पार्वती का गौना किया गया था।

रंगभरी एकादशी व्रत का महत्व
हिंदू शास्त्रों में एकादशी व्रत के महत्व को विस्तार से बताया गया है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी व्रत का पालन करने से व्यक्ति को अक्षय पुण्य मिलता है. जीवन में आ रही कई प्रकार की परेशानियां दूर हो जाती है. एकादशी व्रत का पालन करने से सुख-समृद्धि एवं ऐश्वर्य की भी प्राप्ति होती है. एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ मां लक्ष्मी की उपासना का भी विधान है.  ऐसी मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी की उपासना करने से व्यक्ति की तिजोरी कभी खाली नहीं रहती है.

भगवान शिव और मां पार्वती का हुआ था गौना
आमलकी एकादशी और रंगभरी एकादशी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की शादी के बाद उनका गौना हुआ था और वह दोनों शादी के बाद एक साथ काशी आए थे. इसलिए इस एकादशी पर मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा का प्रावधान है. फाल्गुन मास में आने वाली एकादशी को आमलकी और रंगभरी एकादशी के नाम से जानते हैं. इस दिन से ही काशी में होली का त्योहार शुरू हो जाता है और अगले 6 दिनों तक चलता है.

Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.

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