Santan Saptami 2023 Kab Hai: संतान सुख की चाह रखने वालों के लिए संतान सप्तमी का व्रत पुण्य फलदायी माना जाता है...इसे ललिता सप्तमी, मुक्ताभरण सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है...आइए जानते हैं संतान सप्तमी की पूजा का मुहूर्त और उपाय..
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Santan Saptami 2023 Kab Hai: हिंदू धर्म में भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की सप्तमी तिथि को ललिता सप्तमी या फिर संतान सप्तमी के नाम से जाना जाता है. इस साल यह व्रत शुक्रवार,22 सितंबर 2023 को रखा जाएगा. हिंदू धर्म में ललिता सप्तमी या फिर कहें संतान सप्तमी बहुत महत्व है. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने पर पुण्यफल मिलता है. पुत्र पाने की चाह रखने वालों के लिए संतान सप्तमी का व्रत पुण्य फलदायी माना जाता है. ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक संतान सप्तमी हर साल भाद्रमाह के शुक्लपक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है. इस दिन राधाअष्ट्मी भी पड़ रहा है. ऐसा संयोग 150 सालों बाद लगने जा रहा है. इसे मुक्ताभरण सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है. इस लेख में जानते हैं कौन हैं देवी ललिता और क्या है इस दिन का महत्व.
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संतान के लिए व्रत
हिंदू धर्म में मान्यता है कि जो महिलाएं संतान सुख से वंचित है उनको ये व्रत करना चाहिए. मां के प्रभाव से जल्दी ही सूनी गोद भर जाती है. यह व्रत विशेष रूप से संतान प्राप्ति, संतान रक्षा और संतान की उन्नति के लिये किया जाता है.
कौन है देवी ललिता
पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण की आठ सखियां थी, जिनके नाम श्री राधा, श्री ललिता, श्री विशाखा, श्री चित्रा, श्री इंदुलेखा, श्री चंपकलता, श्री रंग देवी, श्री सुदेवी और श्री तुंगविद्या था. कान्हा अपनी इन सभी सखियों में श्री राधा जी और ललिता जी से अत्यधिक प्रेम करते थे. धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक उनमें सबसे खास श्री ललिता थीं. उनकी भक्ति और प्रेम देखकर भगवान कृष्ण ने उनको यह आशीर्वाद दिया था कि वह राधा-कृष्ण की अनन्य भक्त के रूप में पूजी जाएंगी. श्री ललिता का मथुरा में मंदिर भी है. ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से इनकी पूजा करता है, राधा रानी और श्री कृष्ण उनसे हमेशा प्रसन्न रहते हैं.
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पूजा का शुभ मुहूर्त
हर साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के 14 दिन बाद और श्री राधाअष्टमी के एक दिन पहले ललिता सप्तमी का व्रत पड़ता है. हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि इस साल 21 सितंबर 2023 को दोपहर 02:14 से शुरू होकर 22 सितंबर की दोपहर 01:35 तक रहेगी. ऐसे में उदया तिथि को आधार मानते हुए ललिता सप्तमी का व्रत 22 सितंबर को ही रखा जाएगा.
ललिता सप्तमी की पूजा विधि
इस दिन देवी ललिता की कृपा पाने के लिए सुबह स्नान-ध्यान करने के बाद भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी के साथ ललिता देवी की विधि-विधान से पूजा करें. ऐसीमान्यता है कि इस दिन ललिता देवी की पूजा करने पर व्यक्ति के न सिर्फ इस जन्म के बल्कि पूर्व जन्म के पाप भी कट जाते हैं. यह व्रत संतान के सौभाग्य और उसकी आयु को बढ़ाने वाला माना गया है. इस खास दिन भक्तगण व्रत भी रखते हैं.
ललिता सप्तमी का धार्मिक महत्व
हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस पावन पर्व पर भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी के साथ ललिता जी की पूजा करने पर व्यक्ति को सुख-सौभाग्य मिलता है और उसका जीवन हमेशा खुशियों से भरा रहता है. ललिता सप्तमी के दिन पूजा-पाठ करने से जो लोग संतान सुख से वंचित हैं, उन्हें संतान की प्राप्ति होती है. ये व्रत संतान के लिए रखा जाता है. इस व्रत के प्रभाव से संतान के जीवन पर अगर कोई संकट है तो वो भी दूर हो जाता है. इस दिन कुछ लोग तो इस दिन व्रत भी रखते हैं.
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