Nirjala Ekadashi 2024: 17 या 18 कब है निर्जला एकादशी? नोट करें व्रत की तारीख और पारण का समय
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Nirjala Ekadashi 2024: 17 या 18 कब है निर्जला एकादशी? नोट करें व्रत की तारीख और पारण का समय

Nirjala Ekadashi 2024 kab hai: एकादशी का व्रत रखने से श्री हरि अपने भक्तों से प्रसन्न होकर उन पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं.  हर माह में आने वाली एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है.

Nirjala Ekadashi 2024

Nirjala Ekadashi 2024: हिंदू धर्म में निर्जला एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है. इसे भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. वैसे तो हर महीने में 2 एकादशी आती हैं और साल में 24, लेकिन ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी का व्रत रखने से भक्तों को मनचाहा वरदान मिलता है. इस दिन भगवान विष्णु के पूजा का विधान है.  इस दिन विधि अनुसार पूजा करने से मनोवांछित फल मिलता है.ऐसी मान्यता है कि जो भक्त श्रद्धापूर्वक भगवान विष्णु की पूजा करते हैं उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. आइए आपको बताते हैं कि निर्जला एकादशी कब मनाई जाएगी और पूजा का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा.

बेहद कठिन होता है व्रत

यह माह भीषण गर्मी के लिए जाना जाता है, ऐसे में निर्जला उपवास रखना बेहद कठिन होता है. इस दिन उपवास रखने से जीवन की सभी समस्याओं दूर होने लगती है. मान्यता है कि सभी एकादशी के व्रतों में निर्जला एकादशी का व्रत सबसे खास होता है.

कब है निर्जला एकादशी व्रत

निर्जला एकादशी 2024 शुभ मुहूर्त और पारण का समय
ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि आरंभ: 17 जून को सुबह 4 बजकर 43 मिनट से
ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि समापन:  18 जून को सुबह 7 बजकर 28 मिनट पर 
निर्जला एकादशी 2024 तिथि: 18 जून 12024.

पारण का समय
19 जून को सुबह 5 बजकर 24 मिनट से सुबह 7 बजकर 28 के बीच

इन चीजों का लगाएं भोग 
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विष्णु जी को पीले रंग की चीजें अत्यंत प्रिय हैं.  ऐसे में निर्जला एकादशी पर केले का भोग,पीले रंग की मिठाई,खीर, मिश्री ,पंचामृत का भोग लगाना चाहिए.आप निर्जला एकादशी पर भगवान विष्णु को पंजीरी का भोग जरूर लगाएं। यह उन्हें अति प्रिय  है.

ऐसे करें पूजा 
निर्जला एकादशी के दिन सुबह उठकर भगवान विष्णु का ध्यान कर कर निर्जला एकादशी के व्रत संकल्प करें. फिर स्नान के बाद भगवान विष्णु को प्रिय रंग यानी पीले रंग के कपड़े पहने. मंदिर और पूजा घर की अच्छे से सफाई. पूजा की चौकी पर पीले रंग का कपड़ा बिछाएं और भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को स्थापित करें. दोनों की विधि-विधान से पूजा करें. श्री विष्णु के उनके प्रिय पीले रंग के फूल चढ़ाएं. इसके बाद फल, हल्दी, चंदन, अक्षत चढ़ाएं और खीर को भोग लगाएं. विष्णु चालीसा का पाठ करें. 

Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.

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