संभल: 5वीं सदी के इस प्राचीन शिव मंदिर में है अद्भुत शिवलिंग, संतान सुख की प्राप्ति और चर्म रोग से मुक्ति का खुलता है द्वार
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संभल: 5वीं सदी के इस प्राचीन शिव मंदिर में है अद्भुत शिवलिंग, संतान सुख की प्राप्ति और चर्म रोग से मुक्ति का खुलता है द्वार

Sambhal Shiv Mandir: सावन का महीना चल रहा है. ऐसे में भोलेनाथ के दर्शन के लिए प्रदेश भर के शिवालयों में भक्तों की लंबी भीड़ जुटती है. आज हम आपको एक ऐसे शिव मंदिर के बारे में बताएंगे जिसका इतिहास 5वीं सदी से भी पुराना है. 

Sambhal Shiv Mandir

SAWAN 2023: संभल/सुनील सिंह: यूपी के संभल जनपद की चंदौसी तहसील के गांव बेरनी में भगवान शंकर का प्राचीन शिव मंदिर है, जिसमें अनोखा शिवलिंग है. मान्यता है कि यदि कोई श्रद्धालु अहंकारवश शिवलिंग को अपने आलिंगन में लेने का प्रयास करता है तो वह सफल नहीं हो पाता. जबकि भक्तिभाव से शिवलिंग बड़ी सहजता से भक्तों के आलिंगन में आ जाता है. यह भी दावा किया जाता है कि आज तक इस शिवलिंग को कोई भी व्यक्ति अपनी बाहों में नहीं भर सका है. 

क्या है मान्यता? 
यहां वैसे तो पूरे वर्ष मंदिर में साधु-संतो का आवागमन रहता है, लेकिन श्रावण माह में इस अलौकिक और अनोखे शिवलिंग के दर्शन और पूजन के लिए बड़ी संख्या में भक्त यहां पहुंचते हैं. इस दौरान मंदिर भोले बाबा के जयकारों से गूंजता रहता है. शिवलिंग का जलाभिषेक कर लोग मन्नत मांगते हैं. मान्यता है कि यहां झाडू चढ़ाने पर चर्म रोग से मुक्ति मिलती है. वहीं स्वास्तिक चढ़ाने पर संतान सुख की प्राप्ति होती है. सावन के प्रत्येक सोमवार को यहां विशाल मेला लगता है. साथ ही भंडारे का आयोजन होता है. ऐसे में शिवभक्त भंडारे के बाद प्रसाद वितरण करते हैं. 

नहीं मिला शिवलिंग का दूसरा छोर
पुरातत्व विभाग के अनुसार, इस शिव मंदिर का निर्माण 5वीं सदी में राजा बेन ने करवाया था. चंदौसी तहसील के इस क्षेत्र को राजा बेन की नगरी बताया जाता है. उन्हीं के नाम पर ही इस गांव का नाम बेरनी पड़ा है. विशाल टीले पर बसे इस गांव में खुदाई के दौरान आज भी 5वीं सदी की मूर्तियां और सिक्के निकलते रहते हैं. कहा जाता है कि कई शताब्दी पूर्व भवन के जीर्णोद्धार के लिए खुदाई की गई थी. शिवलिंग का दूसरा छोर जानने के लिए डेढ़ सौ फिट तक खुदाई हुई, लेकिन शिवलिंग की थाह नहीं मिली.  

खुदाई में निकली थी भगवान शिव के चतुर्भुज रूप की मूर्ति 
वर्ष 2010 में एक टीले की खुदाई के दौरान एक किसान को भगवान शिव के चतुर्भुज रूप की एक मूर्ती मिली थी. भारतीय पुरातत्व विभाग ने जांच के बाद इस मूर्ती को पांचवी सदी का बताया था. यह भव्य मूर्ती आज भी मंदिर में रखी हुई है. पुरातत्व विभाग ने गांव के सभी टीलों की खुदाई पर रोक लगाकर प्राचीन शिव मंदिर को सौन्दर्य करण के लिए पर्यटन विभाग को सौंप दिया. 

3 बार हो चुका जीर्णोद्वार 
इस प्राचीन शिव मंदिर का 3 बार जीर्णोद्वार हो चुका है. ग्रामीण बताते हैं कि पहली बार राजा बेन ने इस मंदिर का जीर्णोद्वार कराया था. इसके बाद वर्ष 2010 में अत्यधिक बरसात से मंदिर ढह कर पूरी तरह ध्वस्त हो गया, लेकिन यहां स्थापित शिवलिंग को कोई नुकसान नहीं पहुंचा. यूपी के सीएम रहे मुलायम सिंह ने भी इस मंदीर के जीर्णोद्वार के लिए 10 लाख रुपये दिए थे. इसके अलावा पर्यटन विभाग ने भी 10 लाख रुपये आवंटित किए थे. 

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