Lucknow News: सलमा के इशारे पर आती-जाती हैं 80 ट्रेनें, जानें देश की पहली गेटवुमेन के संघर्ष की कहानी
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Lucknow News: सलमा के इशारे पर आती-जाती हैं 80 ट्रेनें, जानें देश की पहली गेटवुमेन के संघर्ष की कहानी

Lucknow News: 20 साल की उम्र में सलमा बनी देश की पहली महिला गेटवुमेन. बता दें, लखनऊ के मल्हौर क्रॉसिंग रेलवे स्टेशन पर तैनात रहती है. वहीं से ट्रेनों को हरी और लाल झंडी दिखाती हैं.

 

Salma became the country first gate woman

लखनऊ : महिलाएं आज पुरुषों के साथ कंधों से कंधा मिलाकर चल रही हैं. इतना ही नहीं देश में बदलाव की वाहक भी बनी हैं. आज महिलाओं के सपने अंधेरे को चीरकर रोशनी बिखेर रही हैं. इन्‍हीं में से एक हैं लखनऊ की मिर्जा सलमा बेग. मिर्जा सलमा बेग अपने हौंसले से न सिर्फ पुरुषों के वर्चस्‍व के क्षेत्र में पिछले 10 साल से नौकरी कर रही हैं बल्कि औरों की सोच भी बदल रही हैं.

मल्हौर क्रॉसिंग 
मल्हौर क्रॉसिंग काफी व्यस्त बताई जाती है. यहां ट्रेनों की भारी आवाजाही लगी रहती है. जितनी बार ट्रेन निकलती है, गेटवुमेन के तौर पर उतनी बार सलमा मोटी सी चरखी को घुमाकर गेट बंद करती व खोलती हैं. सलमा का कहना है उन्हें ध्यान रखना होता है कि किसी को गेट खोलते या बंद करते समय चोट न लगे. जब तक ट्रेन क्रॉसिंग से निकल नहीं जाती, तब तक वह हरी और लाल झंडी लेकर भी खड़ी रहती हैं.

20 साल की उम्र में गेटवुमेन
सलमा बेग को 2013 में 20 साल की उम्र में पहली बार तैनात किया था. सलमा इसकी संघर्ष भरी कहानी बताती हैं. उस समय देश की पहली महिला गेटवुमेन की चर्चा देश भर में हुई थी. तब रेलवे अधिकारियों ने यह भी बताया था, यह नौकरी पहले भी महिला व पुरुष दोनों के लिए ओपन थी, लेकिन बहुत कम महिलाएं इस पद के लिए आवेदन करती थीं. सलमा से पहले किसी को इस पोस्ट पर तैनाती नहीं मिली थी.

क्यों बनी गेट वुमेन
सलमा का कहना है, कि उनके पिता मिर्जा सलीम बेग यहीं गेटमैन थे. लेकिन कम सुनाई देने व बीमारी के चलते उन्होंने रिटायरमेंट लेकर स्कीम के तहत अपनी बेटी को नौकरी दिलवाई.  सलमा की मां को कैंसर था. 2 साल पहले उनकी मौत हो चुकी है. घर में कमाने वाला कोई नहीं था, इसलिए सलमा ने पढ़ाई छोड़कर और रिश्तेदारों के तानों व विरोध को दरकिनार कर नौकरी करनी पड़ी. 

10 साल से गेटवुमेन
सलमा अपनी पूरी सफलता का श्रेय माता-पिता को देती है. अपने करीब 10 सालों के करियर पर सलमा गौरवान्वित होती हैं. सलमा की अब शादी हो चुकी है और उनका एक बेटा भी है. सलमा का कहना है, कि उनका पूरा स्टाफ उन्हें बहुत सहयोग करता है. 12 घंटे की नौकरी को वह पूरी जी जान से करती हैं.

सलमा का लड़कियों को मैसेज
सलमा का कहना है, कि लड़कियों को गृहिणी होने के साथ ही आत्मनिर्भर भी होना चाहिए. अपनी पहचान बनानी चाहिए. सलमा को अब लोग पहचानते हैं. इनके साथ सेल्फी लेते हैं और इनके काम की तारीफ भी करते हैं.

 

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