Sambhal Mandir: संभल में अब मंदिर का होगा सर्वे और कार्बन डेटिंग, डीएम की एएसआई को चिट्ठी से मचा हड़कंप
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Sambhal Mandir: संभल में अब मंदिर का होगा सर्वे और कार्बन डेटिंग, डीएम की एएसआई को चिट्ठी से मचा हड़कंप

Sambhal Mandir: संभल के डीएम राजेंद्र पेसिंया ने एएसआई को पत्र लिखा है. पत्र के जरिए एएसआई से मंदिर और कूप की कार्बन डेटिंग की मांग की गई है. जानिए पूरा मामला

Sambhal Mandir

Sambhal Mandir: संभल के मुस्लिम बहुल इलाके में मिले 46 साल पुराने मंदिर की कार्बन डेटिंग कराने की तैयारी है. जिससे यह पता चल सके कि मंदिर में रखी भगवान की मूर्ति आखिर कितनी पुरानी है. कार्बन डेटिंग के लिए स्थानीय प्रशासन ने एएसआई को पत्र लिखा है. जिला प्रशासन ने भस्म शंकर मंदिर, शिवलिंग और वहां मिले कुएं की कार्बन डेटिंग कराने की मांग की है. ताकि पता लग सके कि मंदिर और इसकी मूर्ति कितनी पुरानी है.

24 घंटे सुरक्षा के लिए टीम तैनात 
आपको बता दें, बिजली चोरी रोकने पहुंची पुलिस और प्रशासन की टीम ने 1978 से बंद पड़े इस मंदिर को ढूंढा था. फिर 15 सितंबर को इस मंदिर में विधि-विधान और मंत्रोच्चारण के साथ पूजा आरती की गई. डीएम राजेंद्र पेंसिया की मानें तो यह कार्तिक महादेव का मंदिर है. यहां एक कुआं मिला है, जो अमृत कूप है. मंदिर मिलने के बाद यहां 24 घंटे सुरक्षा के लिए टीम तैनात की गई है. सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं. यहां का अतिक्रमण हटाया जा रहा है.

क्या बोले एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई?
इस पूरे मामले में एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने बताया कि मंदिर की सुरक्षा की दृष्टि से पूरे क्षेत्र को सीसीटीवी से कवर किया गया है और यहीं पर कंट्रोल रूम भी बनाया जा रहा है. जिससे यहां चौबीसों घंटे सुरक्षा व्यवस्था बनी रहे और कोई अराजक तत्व यहां ना आ सके.

बिजली चोरी करने वालों पर एक्शन
जानकारी के मुताबिक, बिजली चोरी के मामले में 49 प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं. इसके साथ ही जो लोग गलियों में अवैध रूप से व्यापार कर रहे हैं, उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी. रविवार को अतिक्रमण के खिलाफ अभियान शुरू हो गया है.

1978 दंगों के बाद से बंद था मंदिर
स्थानीय लोगों का दावा है कि यह मंदिर सांप्रदायिक दंगों और हिंदू आबादी के विस्थापन की वजह से 1978 से बंद पड़ा था. नगर हिंदू महासभा के संरक्षक विष्णु शंकर रस्तोगी की मानें तो 1978 के दंगों के बाद हिंदू समुदाय को इस इलाके से पलायन करना पड़ा था. तब से ही हमारे कुलगुरु को समर्पित यह मंदिर बंद था.

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