Sexual Health: पुरुष हमेशा अपनी मर्दाना ताकत को लेकर सतर्क रहते हैं. वह ऐसी कोई गलती नहीं करना चाहते जो उनकी यौन शक्ति को कम करे. पुरुषों में नसबंदी को लेकर कई धारणाएं बनी हुई हैं. नसबंदी के बारे में क्या है सच और मिथक यहां विस्तार से पढ़ें.
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Sexual Health: हमारे देश में परिवार नियोजन के ज्यादातर तरीके महिलाएं अपनाती हैं. चाहे गर्भनिरोधक गोलियां खानी हों या फिर नलबंदी जिसे आम भाषा में ऑपरेशन कहते हैं, वह करना हो. पुरुष कंडोम का इस्तेमाल करने के लिए तो राजी हो जाते हैं लेकिन नसबंदी यानि वैसेक्टमी के लिए तैयार नहीं हो पाते. जबकि महिलाओं के मुकाबले पुरुषों का यह ऑपरेशन बहुत ही आसानी से हो जाता है. पुरुषों को लगता है कि नसबंदी के बाद उनकी मर्दाना ताकत कम हो जाएगी वह यौन सुख को उतना महसूस नहीं कर पाएंगे और इसलिए वह अपनी यौन चाहतों के लिए कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहते. लेकिन इस बारे में डॉक्टर क्या कहते हैं और नसबंदी होती क्या है यहाँ विस्तार से जानें.
क्या होती है नसबंदी
पुरुष नसबंदी एक सरल सर्जरी है जिसमें पुरुषों के टेस्टिकल यानि अंडकोष में एक छोटा सा चीरा लगा कर शुक्राणुओं को बाहर ले जाने वाली ट्यूब को काट दिया जाता है. वैसेक्टमी कराने वाला पुरुष पूरी तरह से होश में होता है और उसे कोई दर्द महसूस नहीं होता. इस सर्जरी में 20 मिनट से कम का समय लगता है. भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक पुरुष नसबंदी गर्भनिरोधक के रूप में 99 प्रतिशत सफल है.
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नसबंदी के बाद नपुंसकता हो जाती है
ज्यादातर पुरुषों के मन में यह बात होती है कि इससे उनके यौन स्वास्थय पर क्या असर पड़ेगा. डॉक्टर बताते हैं कि वैसेक्टमी के बाद यौन आनंद में किसी तरह की रुकावट नहीं आती है. बल्कि आप बेफिक्री से बेहतर सम्बन्ध बना सकते हैं. राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की रिपोर्ट के अनुसार नसबंदी के बाद अंडकोष में शुक्राणु बनना जारी रहते हैं. लेकिन वह वीर्य के साथ नहीं आते बल्कि आपके शरीर में ही घुल जाते हैं. नसबंदी के दौरान आपकी उत्तेजना बढ़ाने वाली नस को न छुआ जाता और न ही काटा जाता है. वीर्य बनना भी पहले की तरह जारी रहता है और उसे बाहर ले जाने वाली ट्यूब भी सुरक्षित रहती है. सेक्स की इच्छा और यौन क्रिया में कोई अंतर नहीं आता है. विकसित देशों में गर्भनिरोधक तरीके के तौर पर पुरुष नसबंदी एक अच्छा विकल्प बनता जा रहा है. हमारे देश में गलत धारणाओं के कारण पुरुष इसे अपनाने से डरते हैं.
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