साड़ी के मामले में भारतीय महिलाओं की पहली पसंद सिल्क की साड़ी होती है. उत्तरी भारत की बनारसी सिल्क और दक्षिण का कांजीवरम सिल्क दोनों अपनी अपनी खासियत के लिए दुनिया में फेमस हैं. बनारसी सिल्क के नाम पर बहुत सारी नकली साड़ियां भी बिकती हैं.
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Banarasi Silk Sari: साड़ी के मामले में भारतीय महिलाओं की पहली पसंद सिल्क की साड़ी होती है. उत्तरी भारत की बनारसी सिल्क और दक्षिण का कांजीवरम सिल्क दोनों अपनी अपनी खासियत के लिए दुनिया में फेमस हैं. बनारसी सिल्क के नाम पर बहुत सारी नकली साड़ियां भी बिकती हैं. ग्राहक को असली नकली की पहचान ना होने के कारण वह ठगा जाता है और व्यापारियों की चांदी हो जाती है.
बनारसी सिल्क का इतिहास
बनारसी सिल्क का इतिहास 2000 साल पुराना माना जाता है. उत्तर प्रदेश के बनारस, जौनपुर, आजमगढ़, चंदौली और मिर्जापुर में बनारसी साड़ियां बनाई जाती हैं. इसका कच्चा माल बनारस से आता है. बनारसी साड़ी के इतिहास के बारे में अलग- अलग मत है. वैदिक कथाकार मानते हैं कि ऋगवेद में हिरण्य का जिक्र है. यह हिरण्य बनारसी सिल्क है. इसका अर्थ है कि देवताओं के वस्त्र भी इसी सिल्क से बनाये जाते थे. वहीं कुछ इतिहासकार मानते हैं कि मुगलों के साथ आए ईरान और इराक के बुनकर इस कला को अपने साथ लाए. मुग़ल अपनी राजसी वस्त्र बनारसी सिल्क से बनवाते थे.
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1. कैसे करें असली बनारसी सिल्क की पहचान
जी आई टैग- भौगोलिक संकेत वाला यह टैग बनारस की सिल्क साड़ी की पूरी पहचान बता देगा. साड़ी पर इस टैग के आ जाने से नकल करने वाले आसानी से बनारसी सिल्क के नाम पर साड़ी नहीं बेच सकेंगे. अब आप क्यू-आर कोड की मदद से साड़ी की डिटेल ले सकेंगे. लेकिन अपनी पुरानी साड़ी की पहचान के लिए आपको ये तरीके अपनाने होंगे.
2. अंगूठी के अंदर से आर- पार हो जाती है साड़ी
बनारसी सिल्क की साड़ी पर अगर बहुत ज्यादा जरी का काम ना हो तो वह बेहद मुलायम और हल्की होती है. कहते हैं इसको अंगूठी में डालकर आर- पार किया जा सकता है.
असली सिल्क को अगर आप देर तक उँगलियों से छूकर देखते हैं तो आपको गर्माहट महसूस होगी. इसके अलावा बनारसी सिल्क की साड़ी रोशनी के हिसाब से रंग बदलती है. आप इसको अलग- अलग एंगल से देखेंगे तो आपको अलग- अलग रंग दिखाई देंगे.
3. फैब्रिक चमकदार होता है
साड़ी का फैब्रिक पहचानने के लिए थोड़ा जागरूक होना भी जरूरी है. जो फैब्रिक असली होता है. वो दिखने में चमकदार होता है
4. पल्लू पर हमेशा 6 से 8 इंच लंबा फैब्रिक
असली बनारसी साड़ी पर बने डिजाइन भी पारंपरिक होते हैं. बनारसी साड़ी के पल्लू में हमेशा 6 से 8 इंच लंबा प्लेन सिल्क फैब्रिक होता है. अगर बनारसी साड़ी पर मुगल पैटर्न से प्रेरित अमरू, अंबी और दोमक जैसे पैटर्न का मतलब आपके पास असली बनारसी साड़ी है.
5. जागरूक होना जरूरी
अगर आपको सिल्क की साड़ी पहनने का शौक है तो आपको थोड़ा जागरूक होना पड़ेगा. असली सिल्क हमेशा चमकदार होता है
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