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लखनऊ: राजधानी के एसजीपीजीआई में हुए दवा घोटाले में 18 संविदाकर्मियों की सेवा समाप्त कर दी गई है. इसमें आठ के खिलाफ मामला भी दर्ज हो चुका है. कर्मचारियों को तैनात करने वाली कंपनी को भी नोटिस जारी किया गया.
आपको बता दें कि एसजीपीजीआई में पोस्ट डिपॉजिट एकाउंट वाले मरीजों के खाते से करीब 55 लाख की दवा निकाल ली गई थी. ये दवाएं डॉक्टर्स के जाली हस्ताक्षर और मुहर से निकाली गईं थी. जानकारी मिली है कि जांच में कई अन्य बड़े अफसरों और डॉक्टरों के नाम का खुलासा हो सकता है. वहीं, मास्टरमाइंड का खुलासा जांच रिपोर्ट आने के बाद ही हो पाएगा. बताया जा रहा है कि मरीजों के नाम पर आने वाली रकम को फर्जी हस्ताक्षर और दस्तावेज तैयार कर दवाइयों के नाम पर निकाला जा रहा था.
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23 मरीजों के नाम से 55 लाख निकाल लिए
पुलिस जांच में 23 मरीजों के नाम पर करीब 55 लाख की दवाएं निकालने की बात सामने आई थी. मौजूदा समय में PGI में 10 हजार से ज्यादा लोगों का इलाज चल रहा है. कोरोना महामारी के समय में मरीजों और उनके तीमारदारों के देर से आने को मौका बना कर यहां के अधिकारियों और कर्मचारियों ने मिलीभगत कर इस घोटाले को अंजाम दिया. मरीज को दवाएं नहीं दी गईं, लेकिन उनके नाम पर खूब दवाएं निकाली गई हैं.
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मरीज के खाते से गायब हो गए थे 2 लाख
सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली थी कि कुछ दिन पहले एक मरीज ने शिकायत की थी कि जह वह SGPGI पहुंचा, तो उसे बताया गया कि उसके खाते में अब पैसे नहीं बचे हैं. जबकि उसने आज तक दवा ली ही नहीं है. शासन ने उसके खाते में करीब 2 लाख रुपये भेजे थे, जो बिना इस्तेमाल में लाए ही गायब हो गए थे.
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ऐसे गहराया मामला
एसजीपीजीआई में इससे पहले भी एक और मामला सामने आया था, जब विभाग में OPD फॉर्मेसी का कर्मचारी एक डॉक्टर से दवा के पर्चे पर साइन कराने पहुंचा था. उसपर एक डॉक्टर के साइन पहले से थे. इसे देखते हुए दूसरे डॉक्टर को शक हुआ और फॉर्मेसी कर्मचारी से कड़ाई से पूछताछ की गई. इसपर वह कोई जवाब नहीं दे पाया. इन दो केस के बाद से जांच में तेजी लाई गई और दवा घोटाला सामने आया.
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