कामेश्वर चौपाल ने राम मंदिर के 2000 फीट नीचे टाइम कैप्सूल रखे जाने के बारे में कहा, ''भविष्य में जब कोई भी इतिहास देखना चाहेगा तो राम जन्मभूमि के संघर्ष के इतिहास के साथ तथ्य भी निकल कर आएगा ताकि कोई भी विवाद यहां उत्पन्न न हो सके.''
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अयोध्या: अयोध्या में बनने जा रहे राम मंदिर की नींव के 2000 फीट अंदर टाइम कैप्सूल रखा जाएगा. इसकी जानकारी श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट (Ramjanmabhoomi Teerth Kshetra Trust) के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने दी है. कामेश्वर चौपाल ने कहा कि राम मंदिर की नींव के 2,000 फीट नीचे टाइम कैप्सूल रखा जाएगा ताकि भविष्य में यदि कोई राम मंदिर के इतिहास का अध्ययन करना चाहे तो उसे केवल राम जन्मभूमि से संबंधित तथ्य ही मिलें.
आपको बता दें कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद और राम जन्मभूमि का पूरा विवाद ही इसी बात को लेकर था. मुस्लिम पक्ष का कहना था कि बाबरी मस्जिद किसी मंदिर को तोड़कर नहीं बनाई गई थी. वहीं, हिंदू पक्ष का कहना था कि बाबरी मस्जिद की जगह राम मंदिर था. मुगल शासक बाबर ने इस्लाम की श्रेष्ठता साबित करने के लिए राम मंदिर तोड़कर उसकी जगह मस्जिद का निर्माण कराया था.
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हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में करीब 3 दशक तक चले केस में हिंदू पक्ष की बात सही साबित हुई. सुप्रीम कोर्ट ने विवादित भूमि पर राम मंदिर निर्माण की अनुमति दी. कामेश्वर चौपाल ने राम मंदिर के 2000 फीट नीचे टाइम कैप्सूल रखे जाने के बारे में कहा, ''भविष्य में जब कोई भी इतिहास देखना चाहेगा तो राम जन्मभूमि के संघर्ष के इतिहास के साथ तथ्य भी निकल कर आएगा ताकि कोई भी विवाद यहां उत्पन्न न हो सके.''
आपको बता दें कि अयोध्या में आगामी 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर की आधारशिला रखेंगे. इसके साथ भव्य राम मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा. अयोध्या भूमि पूजन कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी के साथ, राम मंदिर आंदोलन के अगुवा रहे वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी के साथ मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती भी शामिल होंगी. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को भी राम मंदिर भूमि पूजन कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया है.
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टाइम कैप्सूल होता क्या है?
टाइम कैप्सूल आकार में एक कंटेनर की तरह होता है. इसे विशिष्ट मैटेरियल के इस्तेमाल से बनाया जाता है. टाइम कैप्सूल हर तरह के मौसम और तापमान का सामना करने में सक्षम होता है. इसे किसी ऐतिहासिक स्थल या स्मारक की नींव में काफी गहराई में दफनाया जाता है. काफी गहराई में होने के बावजूद भी हजारों साल तक न तो उसको कोई नुकसान पहुंचता है और न ही वह सड़ता-गलता है. टाइम कैप्सूल के जरिए उस ऐतिहासिक स्थल या स्मारक की भविष्य में पहचान साबित करना आसान होता है.
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