जिम कॉर्बेट पार्क में बढ़ी हाथियों के मौत की संख्या, सामने आई चौंकाने वाली वजह
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जिम कॉर्बेट पार्क में बढ़ी हाथियों के मौत की संख्या, सामने आई चौंकाने वाली वजह

कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान की पारिस्थितिकी अद्भुत है, यहां 225 बाघ और करीब 1100 जंगली हाथी हैं जबकि रणथम्भौर, कान्हा और बांधवगढ़ जैसे दूसरे राष्ट्रीय उद्यानों में मुख्यत: बाघ हैं.

अध्ययन के मुताबिक 2014 से 31 मई 2019 के बीच जानवरों के बीच लड़ाई में कुल नौ बाघ, 21 हाथी और छह चीता मृत पाए गए.

नई दिल्ली: उत्तराखंड के कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान में बाघ हाथियों की जान ले रहे हैं और कुछ मामलों में उन्हें खा भी रहे हैं. एक आधिकारिक अध्ययन में बताया गया कि बाघ खासकर कम उम्र के हाथियों को शिकार बना रहे हैं. वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि उद्यान के अधिकारियों द्वारा किए गए अध्ययन में ये चिंताजनक रूझान सामने आए हैं क्योंकि बाघ सामान्यत: हाथियों को नहीं खाते हैं. अध्ययन के मुताबिक 2014 से 31 मई 2019 के बीच जानवरों के बीच लड़ाई में कुल नौ बाघ, 21 हाथी और छह चीता मृत पाए गए.

इसने कहा, ‘‘तीन प्रजातियों के बीच कुल 36 मामलों में 21 केवल हाथियों के मामले थे. बहरहाल, काफी आश्यर्चजनक पहलू यह था कि करीब 60 फीसदी जंगली हाथियों के मौत के मामले (13 मामले) बाघों के हमले में सामने आए और वह भी खासकर कम उम्र के हाथियों पर बाघों ने हमले किए.’’ वरिष्ठ आईएफएस अधिकारी और राष्ट्रीय उद्यान के प्रभारी संजीव चतुर्वेदी ने कहा कि बाघों द्वारा हाथियों के खाने की घटना अद्भुत है.

उद्यान के निदेशक चतुर्वेदी ने कहा, ‘‘इसका एक कारण यह हो सकता है कि सांभर और चीतल जैसे प्रजातियों के शिकार की तुलना में हाथी के शिकार में बाघों को कम ऊर्जा और प्रयास की जरूरत पड़ती है. हाथी को मारने से उन्हें काफी मात्रा में भोजन मिल जाता है.’’ उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय उद्यान की पारिस्थितिकी भी अद्भुत है क्योंकि यहां 225 बाघ और करीब 1100 जंगली हाथी हैं जबकि रणथम्भौर, कान्हा और बांधवगढ़ जैसे दूसरे राष्ट्रीय उद्यानों में मुख्यत: बाघ हैं.

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