फिल्म शोले के जय-वीरू जैसी दोस्ती राजनीति की असल जिंदगी में भी दिखाई दीं, कुछ टूट गईं तो कुछ जुड़ी रहीं. कुछ ऐसी टूटीं जो कोई सपने में भी नहीं सोच सकता था. आज हम आपको कुछ ऐसे ही राजनीति के दोस्तों के बारे में बताने जा रहे हैं.
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Friendship Day 2021: 'ये दोस्ती हम नहीं छोड़ेंगे, छोड़ेंगे दम मगर तेरा साथ ना छोड़ेंगे'. ये लाइन 15 अगस्त 1975 को रिलीज हुई शोले फिल्म के एक गाने की है. इस फिल्म में जय और वीरू की दोस्ती को बखूबी फिल्माया गया है. हमारे यहां शायद ही कोई ऐसा हो जिसने शोले फिल्म देखी न हो या सुनी न हो.
इस फिल्म में जय वीरू की दोस्ती फिल्मी इतिहास में दर्ज है. इनकी दोस्ती की मिसाल आज भी रियल जिदंगी में दी जाती है. दोस्ती सिर्फ फिल्मों का हिस्सा नहीं है बल्कि राजनीति, जिसको कि कहा जाता है कि यहां पर कोई किसी का दोस्त नहीं होता. जय-वीरू जैसी दोस्ती राजनीति की असल जिंदगी में भी दिखाई दीं, कुछ टूट गईं तो कुछ जुड़ी रहीं. कुछ ऐसी टूटीं जो कोई सपने में भी नहीं सोच सकता था. आज हम आपको कुछ ऐसे ही राजनीति के दोस्तों के बारे में बताने जा रहे हैं.
अमर सिंह और मुलायम सिंह
राजनीति के गलियारों में और खासकर यूपी की राजनीति में दो नेताओं की दोस्ती की बात करें तो सबकी जुबां पर अमर सिंह और मुलायम सिंह का नाम आता है, हालांकि ये जोड़ी टूट गई थी. अमर सिंह इस दुनियां में नहीं हैं लेकिन उनकी मुलायम से दोस्ती जग जाहिर थी. उन्हें असल जिंदगी का जय-वीरू कहा जाए तो कम नहीं होगा. आजम खान से विवाद के चलते मुलायम और अमर की राहें अलग हो गईं. मुलायम हमेशा अमर सिंह की तारीफ करते हुए नजर आते थे. जब अखिलेश पार्टी के अध्यक्ष बने तो उनको पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.
अमर सिंह और अमिताभ बच्चन
अमर सिंह को कभी अमिताभ बच्चन के सबसे पक्के दोस्तों में गिना जाता था. हालांकि बाद में दोनों के बीच कुछ मतभेद हो गए. कहा जाता है कि अमिताभ बच्चन और अमर सिंह के बीच रिश्ते बिगड़ने की वजह जया बच्चन थीं. बाद में अमर सिंह जब सिंगापुर में अपना इलाज करवा रहे थे उस दौरान उन्होंने एक वीडियो मैसेज साझा करते हुए अमिताभ बच्चन और उनके परिवार से माफी मांगी.
बेनी प्रसाद वर्मा और मुलायम सिंह
समाजवादी पार्टी की शुरुआती दौर से रहे बेनी प्रसाद वर्मा मुलायम सिंह के काफी करीबी थे. इन लोगों का साथ करीब तीन दशक तक चला. बाद में उन्होंने मुलायम का साथ छोड़कर अलग पार्टी बना ली. 2016 में फिर से बेनी की वापसी हुई, लेकिन इस चुनाव में उनके बेटे का टिकट कट जाने पर फिर नाराज हो गए.
फ्रेंडशिप डे
फ्रेंडशिप डे को दोस्ती की मजबूत नींव और एक दूसरे के प्रति सम्मान और प्यार प्रकट करने के लिए मनाया जाता है. हम सभी इस बात को मानते हैं कि दोस्तों के बीच हमारी एक अलग तरह की बॉन्डिंग होती है. दोस्ती एक ऐसे रिश्ते का नाम है जिसमें हम हर चीज शेयर कर सकते हैं और इस रिश्ते में किसी भी चीज की बाध्यता नहीं होती है.
क्या है इसका इतिहास?
1920 के दशक में हॉलमार्क कार्ड के संस्थापक जॉयस हॉल के विचार से इस दिवस की शुरूआत की गयी. सर्वप्रथम 1920 में उन्होंने 2 अगस्त को अपने दोस्तों को ग्रीटिंग कार्ड भेजकर फ्रेंडशिप डे मनाने का प्रस्ताव रखा था. लेकिन, लोगों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया और व्यापार का एक तरीका बताकर मनाने से इंकार कर दिया.
आधिकारिक तौर पर इसे 1935 में शुरू किया गया
जिसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस) कांग्रेस द्वारा आधिकारिक तौर पर इसे 1935 में शुरू किया गया. इस दिन को दोस्तों और दोस्ती के सम्मान के लिए समर्पित कर छुट्टी के रूप में घोषित किया गया था. हालांकि, एकाएक इस दिवस को शुरूआत करने का क्या कारण रहा इसकी पुष्टि नहीं हुई है.
फ्रेंडशिप डे का महत्त्व
दुनिया के कई रिश्तों से इतर दोस्ती ही एक ऐसा रिश्ता है जो अपने पार्टनर में लिंग, धर्म और जाति के बंधनों में नहीं देखता. इसे हर कोई दिल खोलकर मनाता है. ऐसा माना जाता है कि दुनियाभर में सांस्कृतिक, राजनीतिक और धार्मिक मतभेदों को दूर करने के लिए दोस्ती ही सबसे महत्त्वपूर्ण रिश्ता है. इसलिए दुनियाभर में इस दिन का दिल खोलकर स्वागत किया जाता है.
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