COVID-19 की दूसरी लहर से लड़ने के लिए इम्यूनिटी का मजबूत होना बेहद जरूरी है. ऐसे में गिलोय काफी कारगर औषधि है. गिलोय को 'गुडुची' नाम से भी जाना जाता है. आयुर्वेद में इसे रोगों को दूर करने में सबसे बढ़िया औषधि माना जाता है.
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नई दिल्ली: COVID-19 की दूसरी लहर से लड़ने के लिए इम्यूनिटी का मजबूत होना बेहद जरूरी है. ऐसे में गिलोय काफी कारगर औषधि है. गिलोय को 'गुडुची' नाम से भी जाना जाता है. आयुर्वेद में इसे रोगों को दूर करने में सबसे बढ़िया औषधि माना जाता है. आइए जानते हैं गिलोय के 5 फायदों के बारे में
इम्युनिटी को करता है बूस्ट
गिलोय को इम्युनिटी बूस्टर भी कहा जाता है. यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम करता है. वायरस से होने वाली बीमारियों में आपके शरीर की रक्षा करता है. इसमें पाएं जाने वाले औषधीय गुण आपको सर्दी-जुकाम से भी बचाते हैं.अगर आपको सर्दी-जुकाम हो गया है तो आप तुलसी के पत्तों के साथ गिलोय के डंठल को पानी के साथ किसी बर्तन में गर्म कर लें. इसके बाद सेवन करें. ऐसा करने से सर्दी-खांसी में आराम मिलता है.
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डेंगू से करता है रक्षा
कोरोना से पहले गिलोय का उपयोग डेंगू के मरीज किया करते थे. डेंगू के दौरान रोगी का शरीर तपने लगता है. गिलोय में मौजूद एंटीपायरेटिक तत्व बुखार के मरीज के लिए काफी लाभदायक होते हैं. साथ ही इम्युनिटी को बुस्ट भी करता है. जिससे डेंगू के मरीज को जल्दी ही आराम मिल जाता है. डेंगू के मरीज पहले गिलोय के हरे तने को पहले काट लें. इसके बाद उसको अच्छे से धो लें और किसी बर्तन में तने को तबतक उबाले जबतक पानी का रंग हरा नहीं हो जाए. इसके बाद कप में पानी को छान लें. फिर इसका सेवन करें.
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पीलिया के रोगियों के लिए है फायदेमंद
पीलिया (Jaundice) के रोगियों के लिए गिलोय काफी फायदेमंद साबित हो सकता है. पिलिया से परेशान लोगों को गिलोय के पत्तों का रस पिलाने से आराम मिलता है. गिलोय के सेवन से पीलिया में होने वाले बुखार और दर्द से भी आराम मिलता है. पालिया के मरीज सबसे पहले गिलोय की पत्तियों का तोड़ लें. इसके बाद मिक्सर में पत्तियों को अच्छे से पीसे लें. इसके बाद उसका सेवन करें.
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अस्थमा के रोगियों के लिए है वरदान
गिलोय में भारी मात्रा में एंटी-इंफ्लेमेटरी तत्व पाएं जाते हैं. एंटी-इंफ्लेमेटरी तत्व सांसों से संबंधित समस्याओं में राहत दिलाता है. गिलोय अनचाहे कफ पर लगाम लगाने का काम करता है. साथ ही फेंफड़े को साफ रखने में भी सहायक होता है. फेंफड़े को स्वस्थ रखने का काम करता है. इसलिए अस्थमा के रोगियों को गिलोय के सुखे डंठल का इस्तेमाल करना चाहिए.
खून की कमी को करता है दूर
गिलोय में ग्लूकोसाइड और टीनोस्पोरिन, पामेरिन एवं टीनोस्पोरिक एसिड भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं. यह गुण शरीर में खून की कमी को दूर करने में सहायक होते हैं. इसलिए एनीमिया के रोगियों को गिलोय का सेवन लगातार करते रहना चाहिए. गिलोय का रस शरीर में टीनोस्पोरिक एसिड की कमी को पूरा करता है. इसलिए आपको गिलोय के हरे डंठल को जूसर में पिस कर सेवन करना चाहिए.
नोटः इस आलेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है. हम इसकी पुष्टि नहीं करते. इन पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
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