Independence Day 2023: सामूहिक बलिदान की याद ताजा कराने वाले यूपी के हरदोई जिले के सेमरिया गांव में अंग्रेजों की गोलियों से करीब 300 लोग शहीद हुए थे.अंग्रेजों ने 24 लोगों पर मुकदमा चलाकर उन्हें निरपराध दंडित भी किया था.
Trending Photos
आशीष द्विवेदी/हरदोई: यूपी के हरदोई में 26 जनवरी 1932 को पूर्ण आजादी की मांग कर रहे लोगों को अंग्रेजों की बर्बरता का शिकार होना पड़ा था. यहां की मिट्टी आजादी के दीवानों के खून से सुर्ख लाल हो गयी थी. सामूहिक बलिदान की याद ताजा कराने वाले सेमरिया गांव में अंग्रेजों की गोलियों से करीब 300 लोग शहीद हुए थे.अंग्रेजों ने 24 लोगों पर मुकदमा चलाकर उन्हें निरपराध दंडित भी किया था.
सामूहिक बलिदान के इस काण्ड को मिनी जलियावाला बाग़ कांड के नाम से भी जाना जाता है. आजादी के इन शूरवीरों को पहचान दिलाने के लिए स्थानीय लोग और समाजसेवी संगठनो ने शहीद स्मारक का निर्माण कराया,जिसमें हर किसी ने शहीदों की शहादत को नमन कर अपना अंशदान दिया. देश की आजादी की खातिर अपने प्राण न्योछावर करने वाले अमर शहीदों को बड़ी शिद्दत के साथ नमन किया जाता है.
जिला मुख्यालय से 45 किमी दूर स्थित यह सेमरिया शहीद स्थल है. जिसे 91 साल पहले मिनी जलियांवाला बाग़ के नाम से जाना गया था. बताया जाता है कि देश भर के आजादी के दीवानों ने स्वतन्त्रता की मांग उठाई थी, जिसके तहत सेमरिया गांव में लगने वाले पशु मेले में 26 जनवरी 1932 को देशभक्त महेश्वरनाथ गुप्ता की अगुआई में सत्याग्रही एकत्रित होकर आजादी दो की हुंकार भरने लगे थे. अंग्रेज मजिस्ट्रेट ने सत्याग्रहियों को सभा न करने का फरमान सुनाया लेकिन सत्याग्रहियों ने अंग्रेजों की एक न सुनी और आजादी की हुंकार भरने लगे.
सत्याग्रहियों के न मानने पर मजिस्ट्रेट ने गोलियों चलाने का आदेश दे दिया, इस गोली कांड में करीब 300 सत्याग्रही शहीद हो गए. जिनके शरीर को रामगंगा और पास की नदी में फेंकवा दिया गया और घटना को नया मोड़ देकर निरपराध ही सेमरिया गांव के व अन्य 24 लोगों पर मुकदमा चला कर उन्हें दण्डित किया गया.
जानकार बताते हैं कि सन 1932 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में ये प्रस्ताव पारित किया गया था कि पूरे देश में लोगो को पूर्ण आजादी प्राप्ति को लेकर जागरूक किया जाए. देश की आजादी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए उन स्थानों को चुना गया, जहाँ भीड़ होती थी. जहां शामिल होकर सत्याग्रह लोगों को आजादी प्राप्ति के लिए जागरूक कर सकें.
इसी उद्देश्य को लेकर हरदोई समेत प्रदेश के अन्य जनपदों से भी जब आजादी के दीवाने सेमरिया पशु मेले में आये तो अंग्रेजो ने उन्हें रोका लेकिन सत्याग्रहियों के ना मानने पर अंग्रेजों ने उन पर गोलियां बरसाना शुरू कर दीं. जिसमें सत्याग्रहियों समेत करीब 300 लोग शहीद हो गए.
26 जनवरी 1932 को अंग्रेज हुकूमत की बर्बरता के शिकार हुए निहत्थे व निर्दोष सैकड़ों देशभक्तों का खून बहा और लाशें बिछीं लेकिन आजादी के दीवानों की सामूहिक शहादत को मूर्त रूप लेने में 78 बरस लग गए. क्षेत्रीय लोग और सामाजिक संगठन इस शहीद स्थल को मूर्तरूप देने की मांग उठाते रहे लेकिन शासन और सरकार से कोई मदद नहीं मिली.
14 अगस्त सन 2010 में कुछ सामाजिक संगठनो और क्षेत्र के लोगो ने सामूहिक अंशदान कर इस शहीद स्थल का निर्माण कराया. यहां पर 15 अगस्त और 26 जनवरी को विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है. आज भी लोग शहीदों की शहादत को नमन करते हैं.