UP के इस जिले में एक ही घर में रहता है 38 सदस्यों का परिवार, फिर भी कोरोना की है नो एंट्री, जानिए कैसे
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UP के इस जिले में एक ही घर में रहता है 38 सदस्यों का परिवार, फिर भी कोरोना की है नो एंट्री, जानिए कैसे

जिले की टूंडला तहसील क्षेत्र में के छिकाऊ गांव में 38 सदस्यों का दीक्षित परिवार रहता है. कुछ समय पहले पूर्व प्रधान ब्रहृमदत्त दीक्षित की चुनावी रंजिश में गोली मारकर हत्या कर दी गई. इसके बाद उनके चौथे नंबर के बेटे विनोद दीक्षित ने प्रधान पद की जिम्मेदारी संभाली. 

UP के इस जिले में एक ही घर में रहता है 38 सदस्यों का परिवार, फिर भी कोरोना की है नो एंट्री, जानिए कैसे

फिरोजाबाद: भारत  में परिवार को सबसे ज्यादा अहमियत दी जाती है. लोग अपने परिवार के लिए क्या नहीं कर गुजरते. कभी परिवार की खुशी के लिए अपनी निजी खुशियों की कुर्बानी देते हैं. तो, कभी परिवार के साथ मिल-जुलकर रहने और परिवार को खुश रखना ही अपनी जिंदगी का मकसद बना लेते हैं. ऐसा ही नजारा देखने को मिल है यूपी के फिरोजाबाद जिले में. जहां 38 सदस्यों वाला यह परिवार सबके लिए प्रेरणा बना हुआ है. खास बात यह है कि इतना बड़ा परिवार होने के बाद भी कोरोना की एंट्री नहीं हो पाई है. 

जिले की टूंडला तहसील क्षेत्र में के छिकाऊ गांव में 38 सदस्यों का दीक्षित परिवार रहता है. कुछ समय पहले पूर्व प्रधान ब्रहृमदत्त दीक्षित की चुनावी रंजिश में गोली मारकर हत्या कर दी गई. इसके बाद उनके चौथे नंबर के बेटे विनोद दीक्षित ने प्रधान पद की जिम्मेदारी संभाली. सभी भाईयों के साथ मिलकर परिवार को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी निभाई.

घर में नहीं मिलता सीधे प्रवेश 
छिकाऊ गांव में इनका आलीशान मकान है, जिसमें नौ भाइयों और उनकी पत्नी के साथ 20 बच्चे भी रहते हैं.
परिवार के 5वें नंबर के भाई नीरज दीक्षित ने एक हिंदी वेबसाइट को बताया कि कोरोना के दौर में कोविड के नियमों का घर के अंदर सख्ती से पालन होता है. घर के अंदर, बाहर से आने वालों को सीधे प्रवेश नहीं मिलता. सैनिटाइजेशन के साथ ही मास्क और कुछ समय बाहर बने कमरे में बिताने के बाद ही घर के अंदर प्रवेश मिलता है. महिलाएं घरों से बाहर नहीं निकलतीं. बाहर से आने के बाद मास्क और कपड़ों को गर्म पानी में धोया जाता है. बैक्टीरिया मारने के लिए डिटॉल को पानी में डालकर प्रयोग किया जाता है.

एक ही चूल्हे पर बनता है 38 लोगों का खाना 
नीरज दीक्षित ने बताया कि उनके सबसे 3 बड़े भाई प्रमोद दीक्षित, मनोज दीक्षित, पवन दीक्षित दिल्ली में रहते हैं. लेकिन जब से कोरोना शुरू हुआ है. तब से सभी गांव में ही हैं. करीब 120 बीघा खेती करने के साथ ही आलू का और अन्य बिजनेस करके वह अपनी जरूरतों को पूरा करते हैं. इन सबके बावजूद हम एकसाथ हैं. सबका खाना भी एक ही चूल्हे पर बनता है.

एक दिन में 5 किलो आटे की बनती है रोटी 
इस परिवार में एक दिन में 5 किलो आटा, 2 किलो दाल, 3 किलो चावल और 3 किलो खीरा-टमाटर की सलाद बनती है. 38 सदस्यों के परिवार में 9 महिलाएं हैं. इनमें से 3 खाने की जिम्मेदारी को संभालती है. तीन महिलाएं पशुओं की देखभाल करती है. बाकी की महिलाएं घर के कपड़े और साफ-सफाई करती हैं.

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