"छात्रों की शिक्षा गुणवत्ता जानने के लिए पूछा जाता था- कल्याण सिंह के काल में पढ़े हो या मुलायम सिंह के?"
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"छात्रों की शिक्षा गुणवत्ता जानने के लिए पूछा जाता था- कल्याण सिंह के काल में पढ़े हो या मुलायम सिंह के?"

कल्याण सिंह का नाम हमेशा पढ़ाई-लिखाई को लेकर सख्त और अनुशासि‍त मुख्यमंत्री के तौर पर याद रखा जाएगा. कभी खुद टीचर रहे कल्याण सिंह पारदर्शी परीक्षा प्रणाली पर यकीन रखते थे.

"छात्रों की शिक्षा गुणवत्ता जानने के लिए पूछा जाता था- कल्याण सिंह के काल में पढ़े हो या मुलायम सिंह के?"

कन्नौज: यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के देहांत के बाद देश भर से नेताओं और दिग्गज हस्तियों ने अपने शोक संदेश भेजे. कल्याण सिंह के साथ अपनी पुरानी और कभी न भूलने वाली यादें भी शेयर कीं. इसी बीच लोकतंत्र सेनानी टापू राम ने बताया कि कल्याण सिंह एक ऐसे मंत्री थे, जिनके काल में नकलची कांपते थे. उनका कहना है कि कल्याण सिंह का नाम मुलायम से बेहतर था. उन्होंने बताया कि एक समय था जब छात्रों की गुणवत्ता जानने के लिए पूछा जाता था कि वह कौन सी शिक्षा प्रणाली के समय के पढ़े हुए हैं- कल्याण सिंह के या मुलायम सिंह के?

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नकल माफियाओं के खिलाफ लेते थे एक्शन
कन्नौज से राम मंदिर आंदोलन में कल्याण सिंह का साथ देने वाले लोकतंत्र सेनानी टापूराम राजनीति में भी कल्याण सिंह के साथ मंच साझा करते थे. कन्नौज में जब कल्याण सिंह आते थे तो टापू राम मुख्य रूप से मंच पर मौजूद हुआ करते थे. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के निधन की जानकारी जब टापूराम को हुई, तो वह भी काफी दुखी हुए. उन्होंने कल्याण सिंह के कार्यकाल को याद करते हुए बताया कि उन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में काफी काम किया था. उसमें तुलना की जाती थी कि छात्रों से पूछा जाता था कि तुम मुलायम सिंह के कार्यकाल में पढ़े हो या कल्याण सिंह के. क्योंकि वह नकल के खिलाफ थे. अपनी मजबूत शिक्षा नीति और नकल माफियाओं के खिलाफ किए गए कामों को लेकर उनको याद किया जाता है.

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अनुशासित मुख्यमंत्री थे कल्याण सिंह
बता दें कि कल्याण सिंह का नाम हमेशा पढ़ाई-लिखाई को लेकर सख्त और अनुशासि‍त मुख्यमंत्री के तौर पर याद रखा जाएगा. कभी खुद टीचर रहे कल्याण सिंह पारदर्शी परीक्षा प्रणाली पर यकीन रखते थे. इसी कारण वह यूपी में मुख्यमंत्री रहते हुए नकल अध्यादेश लेकर आए. उनके इस अध्यादेश के दौरान एग्जाम में सख्ती का अलग ही आलम था. नकल करने वालों को सीधे जेल होती थी, जिससे आम छात्र भी कांप जाते थे.

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