Kartik Purnima 2022: कार्तिक पूर्णिमा आज है या कल? जानें महत्व, पौराणिक कथा, पूजा और गंगा स्नान का शुभ मुहूर्त
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Kartik Purnima 2022: कार्तिक पूर्णिमा आज है या कल? जानें महत्व, पौराणिक कथा, पूजा और गंगा स्नान का शुभ मुहूर्त

Kartik Purnima 2022: कार्तिक पूर्णिमा की तिथि को लेकर आप भी कन्फ्यूज हैं तो यह खबर आपके लिए है. जानें कार्तिक पूर्णिमा का महत्व, पौराणिक कथा, पूजा और गंगा स्नान का शुभ मुहूर्त....

 Kartik Purnima 2022 Kab Hai

Kartik Purnima 2022: हिंदू धर्म में कार्तिक मास की अमावस्या का जितना महत्व माना गया है, उतना ही कार्तिक मास की पूर्णिमा (Kartik Purnima 2022) का भी महत्व माना जाता है. जिसे कार्तिक पूर्णिमा, त्रिपुरी पूर्णिमा या गंगा स्नान के नाम से भी जाना जाता है. इस साल चंद्रगहण (Chandragrahan 2022) के कारण कार्तिक पूर्णिमा को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. हालांकि ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, कार्तिक पूर्णिमा 8 नवंबर यानी कल मनायी जाएगी. इस दिन दान और गंगा स्नान करने का खास महत्व माना गया है. मान्यता है कि इस दिन दान करने से और गंगा में डुबकी लगाने से पुण्य की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही पापों का नाश होता है. आइए जानते हैं कार्तिक पूर्णिमा का धार्मिक महत्व और शुभ मुहूर्त 

कार्तिक पूर्णिमा शुभ मुहूर्त (Kartik Purnima 2022, Shubh Muhurat)
कार्तिक पूर्णिमा इस साल 8 नवंबर को है. 
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ- 7 नवंबर शाम 4.15 बजे से 
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 8 नवंबर शाम 4.31 बजे 
पूजा का शुभ मुहूर्त: 8 नवंबर 2022, शाम 4.57 बजे से 5.49 बजे तक. 
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा पर सूर्योदय से पहले स्नान का खास महत्व है. ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना शुभ रहेगा.
ब्रह्म मुहूर्त में स्नान का समय- 04.57 बजे से 05.49 तक, (8 नबंबर 2022)

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कार्तिक पूर्णिमा से जुड़ी पौराणिक कथा (Kartik Purnima 2022, Katha)
एक पौराणिक कथा के मुताबिक, त्रिपुरासुर नाम के राक्षस ने तीनों लोकों में आतंक मचा रखा था. धीरे-धीरे उसने स्वर्ग लोक पर भी अपना अधिकार जमा लिया. त्रिपुरासुर ने प्रयाग में काफी दिनों तक तपस्या की. उसके तप के तेज से तीनों लोक जलने लगे. तब ब्रह्मा जी उसके सामने प्रकट हुए और उससे वरदान मांगने को कहा. त्रिपुरासुर ने वरदान मांगा कि उसे देवता, स्त्री, पुरुष, जीव ,जंतु, पक्षी, निशाचर कोई भी ना मार सके. इसी वरदान के मिलते ही त्रिपुरासुर अमर हो गया और देवताओं पर अत्याचार करने लगा. तब सभी देवता ब्रह्मा जी के पास पहुंचे और त्रिपुरासुर के अंत का उपाय पूछा. ब्रह्मा जी ने त्रिपुरासुर के अंत का रास्ता बताया. इसके बाद सभी देवता भगवान शंकर के पास पहुंचे और उनसे त्रिपुरासुर का वध करने की प्रार्थना की. तब महादेव ने उस राक्षस का वध किया. यही कारण है कि कई जगहों पर इसे त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहते हैं.

दीपदान का है खास महत्व (Importance of Deepdan on Kartik Purnima)
कार्तिक पूर्णिमा पर दीपदान का भी विशेष महत्व है. माना जाता है कि कार्तिक मास की पूर्णिमा देवी-देवताओं को प्रसन्न करने का दिन है. इसलिए इस दिन लोग दीपदान कर देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. इसके अलावा कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है.

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काशी में मनाई जाती है देव दीपावली (Dev Dipawali in Kashi 2022)
कार्तिक पूर्णिमा के दिन काशी में देव दीपावली मनाई जाती है. मान्यता है कि देव दीपावली के दिन सभी देवी-देवता देवलोक से धरती पर काशी में आते हैं. एक कथा के अनुसार ,कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध किया था. उसके वध के बाद सभी देवी-देवताओं ने काशी में मिलकर खुशी मनाई थी. तभी से काशी में कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली मनाने की परंपरा चली आ रही है. इस दिन काशी को दुल्हन की तरह सजाया जाता है. हालांकि, इस बार कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण भी लग रहा है. ऐसे में पंडितों का कहना है कि इस साल देव दीपावली 7 नवंबर को यानी आज ही मनाई जाए तो बेहतर है. 

Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.

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