Kinnar Kailash Yatra 2023: किन्नर कैलाश यात्रा शुरू, दिन में कई बार रंग बदलने वाले शिवलिंग दर्शन को उमड़ते हैं शिवभक्त
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Kinnar Kailash Yatra 2023: किन्नर कैलाश यात्रा शुरू, दिन में कई बार रंग बदलने वाले शिवलिंग दर्शन को उमड़ते हैं शिवभक्त

Kinner Kailash Yatra 2023: किन्नर कैलाश यात्रा को मानसरोवर और अमरनाथ की यात्रा से भी कठिन माना जाता है. यह यात्रा हर साल सवान के महीने में शुरू होती है. यात्रा को पूरा करने के लिए लगभग 2 से 3 दिन लगते है. आइए इस यात्रा के बारे में विस्तार से जानते हैं.

Kinnar Kailash Yatra 2023: किन्नर कैलाश यात्रा शुरू, दिन में कई बार रंग बदलने वाले शिवलिंग दर्शन को उमड़ते हैं शिवभक्त

Kinner Kailash Yatra 2023: किन्नर कैलाश हिन्दूओं व बौद्ध धर्म के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण आध्यात्मिक स्थल है. यह हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में तिब्बत सीमा के समीप स्थित है. किन्नर कैलाश एक पर्वत है जो समुद्र तल से 6050 मीटर (लगभग 24000 फीट) की ऊँचाई पर है. हिन्दू धर्म में इस हिम खंण्ड को भगवान शिव के प्राकृतिक शिव लिंग के रूप में पूजा जाता है. किन्नर कैलाश की परिक्रमा भी कि जाती है, जो हिन्दूओं के लिए हिमालय पर होने वाले तीर्था यात्राओं में से एक है.

हिमालय पर्वत के बारे में हिंदू पौराणिक कथाओं में अनेक बार वर्णन है. हिमालय से निकने वाली पवित्रतम नदी गंगा का उद्भव गोमुख से होता है. देवताओं की घाटी कुल्लू भी इसी हिमालय रेंज में  है. इस घाटी में 350 से भी अधिक मंदिर स्थित हैं.

किन्नर कैलाश यात्रा को मानसरोवर और अमरनाथ की यात्रा से भी कठिन माना जाता है. यह यात्रा हर साल सवान के महीने में शुरू होती है. यात्रा को पूरा करने के लिए लगभग 2 से 3 दिन लगते है. यह यात्रा 1993 से श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए खोली गई है. यात्रा के दौरान हजारों की सख्या में ब्रह्म कमल के फूलों को देखा जा सकता है. ऐसी मान्यता है कि यह फूल भगवान शिव को बहुत पसंद है.
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हिन्दू पौराणिक कथा के मुताबिक यह जगह भगवान शिव और पार्वती से जुड़ा हुआ है. ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव और पार्वती का मिलन इसी स्थान पर हुआ है.

पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि भगवान शिव ने हर सर्दी में किन्नर कैलाश शिखर पर देवी और देवताओं की बैठक संपन्न की थी.

हर साल सैकड़ों शिव भक्त जुलाई व अगस्त में महीने में दुर्गम मार्ग से होकर किन्नर कैलाश की यात्रा करते है. किन्नर कैलाश की यात्रा शुरू करने के लिए भक्तों को जिला मुख्यालय से लगभग सात किलोमीटर दूर राष्ट्रीय राजमार्ग-5 पर स्थित पोवारी से सतलुज नदी को पार कर तंगलिंग गांव से हो कर जाना पड़ता है. गणेश पार्क से लगभग पाच सौ मीटर की दूरी पर पार्वती कुंड स्थित है. ऐसी मान्यता है कि इस कुंड में श्रद्धा से सिक्का डाल दिया जाए तो मनोकामना पूरी होती है. 

किन्नर कैलाश के इस शिव लिंग की एक विशेषता यह कि है यह दिन में कई बार रंग बदलता है. सूर्योदय से पहले सफेद, सूर्योदय के बाद पीला, सूर्येअस्त से पहले लाल और सूर्येअस्त के बाद ये काले रंग का हो जाता है.

यात्रा के दौरान ऑक्सीजन की कमी होती है. अपने साथ गर्म कपड़े, टार्च, डंडा, जुराबें, पानी की बोतल, ग्लूकोज और जरूरी दवाइयां साथ रखें. नशे का सेवन न करें. यात्रा के दौरान जड़ी बूटियों और खासकर ब्रह्मकमल फूलों को नुकसान न करें.

जानिए कब और कैसे जाएं

स्थान: धार गारा, हिमाचल प्रदेश 172107

1. अपेक्षित यात्रा प्रारंभ और समाप्ति तिथियां: किन्नर कैलाश यात्रा गुरुवार, 1 अगस्त 2023 को शुरू होगी और मंगलवार, 15 अगस्त 2023 को समाप्त होगी. 
2. ऊंचाई: 6,500 मीटर
3. पर्वत श्रृंखला: हिमालय
4. समय: जुलाई और अगस्त
5. निकटतम रेलवे स्टेशन: कल्पा से लगभग 309 किलोमीटर की दूरी पर कालका रेलवे स्टेशन.
6. निकटतम हवाई अड्डा: किन्नर कैलाश से लगभग 243 किलोमीटर की दूरी पर शिमला हवाई अड्डा.

7. सड़क द्वारा: दिल्ली से शिमला की दूरी लगभग 342 किमी, शिमला से कल्पा की दूरी लगभग। 223 किमी और कल्पा से पोवारी की दूरी। 9.7 किमी। पोवारी गाँव इस यात्रा की शुरुआत का बिंदु है.

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