इस बार सरकार बनने पर मूर्ति-पार्क नहीं बनवाएंगे, पूरी ताकत UP की तस्वीर बदलने में लगाएंगे: मायावती
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इस बार सरकार बनने पर मूर्ति-पार्क नहीं बनवाएंगे, पूरी ताकत UP की तस्वीर बदलने में लगाएंगे: मायावती

मायावती ने सत्ताधारी भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि ये लोग एक भाभी जी को लेकर घूम रहे हैं, जो भाजपा के लिए माहौल बना रही हैं. भाजपा चाहे जितनी भाभियों को लेकर घूम ले लेकिन उनकी सरकार नहीं बनने वाली. 

बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती.

लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती 2019 लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार किसी जनसभा के मंच दिखाई दीं. मौका था राजधानी  लखनऊ में बसपा के 'प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन' के समापन समारोह का. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मायावती ने 2007 से 2012 तक के अपने मुख्यमंत्रित्व काल में हुई गलती को भी अपरोक्ष रूप से स्वीकर किया. उन्होंने कहा कि 2022 के विधानसभा चुनाव में बसपा की सरकार बनने पर उनका फोकस मूर्तियां और संग्रहालय बनाने की बजाय उत्तर प्रदेश की तस्वीर बदलने पर रहेगा. 

बसपा की सरकार में होता है संतों और गुरुओं का सम्मान
मायावती ने सत्ताधारी भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि ये लोग एक भाभी जी को लेकर घूम रहे हैं, जो भाजपा के लिए माहौल बना रही हैं. भाजपा चाहे जितनी भाभियों को लेकर घूम ले लेकिन उनकी सरकार नहीं बनने वाली. लखनऊ में बसपा मुख्यालय पर आयोजित 'प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन' में मायावती ने कहा कि हमने दलित व आदिवासी समाज के संतों और गुरुओं को सम्मान दिया. दूसरे वर्गों के लोग चाहते हैं कि उनके संतों और गुरुओं को सम्मान दिया जाए तो उन्हें भी दिया जाएगा. इस दौरान नारे भी लगे...

हाथी नहीं गणेश है, ब्रह्मा विष्णु महेश है 
बच्चा-बच्चा भीम का, BSP की टीम का

उत्तरप्रदेश में बसपा की सरकार बनने जा रही है: मायावती
मायावती ने कहा कि ब्राह्मण उनके साथ आए तो निश्चित रूप से 2007 की तरह ही 2022 में भी बसपा की सरकार बनेगी और उनका यह वादा है कि ब्राह्मणों के सम्मान, स्वाभिमान व रोजी-रोटी का वह पूरा ख्याल रखेंगी. बसपा सुप्रीमो ने कहा कि पहले सपा और बाद में भाजपा सरकार में ब्राह्मणों का उत्पीड़न होता रहा है. कुछ घटनाएं तो उनके साथ ऐसी हुईं जो राष्ट्रीय स्तर तक चर्चित रहीं. उन्होंने कहा कि इस बार सर्व समाज के साथ ब्राह्मणों की जुगलबंदी से उत्तर प्रदेश में बसपा की सरकार बनने जा रही है. 

मुस्लिमों को मलियाना व मुजफ्फरनगर न भूलने की नसीहत
मायावती ने अपने संबोधन में किसान आंदोलन का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था, लेकिन कृषि कानूनों के जरिए उनकी जमीन छीनने की तैयारी शुरू कर दी है. आंदोलन के बावजूद काले कानूनों को खत्म नहीं किया जा रहा है. यूपी में बसपा की सरकार आई तो निश्चित रूप से इन कानूनों को प्रदेश में लागू नहीं होने दिया जाएगा. मायावती ने मुसलमानों को साधने के लिए उन्हें मेरठ के मलियाना कांड व मुजफ्फरनगर कांड को नहीं भूलने की हिदायत दी. मायावती ने कहा कि कांग्रेस और सपा की सरकारों में मुस्लिमों का यह हाल हुआ था. 

BSP हर विधानसभा में 1000 ब्राह्मण कार्यकर्ता तैयार करेगी
मायावती ने मंच से ऐलान किया कि 9 अक्टूबल को कांशीराम की पुण्यतिथि के अवसर पर मंडल स्तर पर कोई आयोजन नहीं होगा. इस बार प्रदेश भर से कार्यकर्ता सीधे लखनऊ आएंगे और कांशीराम पार्क में श्रद्धांजलि देंगे. मायावती ने कहा कि पहले चरण में सतीश चंद्र मिश्रा ने ब्राह्मण वर्ग को बसपा के साथ सफलतापूर्वक जोड़ने का काम किया. दूसरे चरण में छोटे शहरों और गांवों में युद्ध स्तर पर लोगों को बसपा से जोड़ने का अभियान चलाया जाएगा. प्रत्येक विधानसभा में ब्राह्मण समाज के 1000 कार्यकर्ताओं को तैयार करना है. इस बार प्रबुद्ध वर्ग की महिलाओं को भी पार्टी के साथ जोड़ने है. कभी डंके की चोट पर महापुरुषों की प्रतिमाएं लगवाने और संग्रहालय बनवाने, पार्कों का निर्माण करवाने वाली मायावती अब इससे दूरी बनाते दिख रही हैं. इसकी वजह उनके शासनकाल में हुआ करोड़ों का स्मारक घोटाला है. 

स्मारक घोटाले में अब तक 75 के खिलाफ चार्जशीट दायर
आपको बता दें कि मायावती ने अपने कार्यकाल में खूब स्मारक और पार्क बनवाए, मुर्तियां लगवाईं. बसपा शासनकाल में हुए 1400 करोड़ रुपये के स्मारक घोटाले की जांच चल रही है. विजिलेंस विभाग ने हाल ही में 57 आरोपियों के खिलाफ एमपीएमएलए कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी है. इसमें 23 तत्कालीन अफसर व 34 अन्य आरोपी बनाए गए हैं. विशेष न्यायाधीश पवन कुमार राय ने इस पर सुनवाई के लिए 15 सितंबर की तारीख तय की है. इस मामले पहले भी 18 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किए जा चुके हैं. इस प्रकार स्मारक घोटाले में अब तक कुल 75 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है.

जानें क्या है मायावती शासनकाल में हुआ स्मारक घोटाला?
वर्ष 2007 से 2012 के दौरान मायावती के शासनकाल में लखनऊ और नोएडा में स्मारकों और उद्यान के निर्माण में पत्थरों की खरीद-फरोख्त को लेकर 1400 करोड़ रुपये का बड़ा घोटाला उजागर हुआ था. इस मामले की जांच लोकायुक्त को सौंपी गई थी. लोकायुक्त की जांच में पता चला कि इन स्मारकों और उद्यानों पर खर्च होने वाली कुल धनराशि का 34% यानी 1400 करोड़ से अधिक की रकम विभागीय मंत्रियों और अधिकारियों की मिलीभगत से हड़प ली गई. लोकायुक्त ने अपनी रिपोर्ट में सभी आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की सिफारिश की थी. विजिलेंस ने 1 जनवरी 2014 को गोमतीनगर थाने में इस मामले की एफआईआर दर्ज कराई थी. इसकी जांच अंतिम चरण में है.

मायावती के करीबी रहे दो तत्कालीन मंत्रियों की भी जांच
इसी मामले में मायावती के करीबी दो तत्कालीन मंत्रियों बाबू सिंह कुशवाहा और नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ जांच अभी चल रही है. बाबू सिंह कुशवाहा तत्कालीन मायावती सरकार में भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग के मंत्री थे, जबकि नसीमुद्दीन सिद्दीकी लोक निर्माण विभाग के मंत्री थे. हाल ही में इन दोनों लोगों से विजिलेंस विभाग की टीम ने पूछताछ की है. जल्द ही इन दोनों के खिलाफ भी एमपीएमएलए कोर्ट में चार्जशीट फाइल हो सकती है. 

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