Uttarakhand Haldwani News: हल्द्वानी हिंसा के वर्तमान हालातों को देखते हुए प्रशासन ने अब कर्फ्यू के दायरे को हिंसाग्रस्त इलाके के आस- पास तक सीमित कर दिया है. इस बीच बड़ी अपडेट ये है कि प्रशासन को इस घटना की इंटेलिजेंस रिपोर्ट पहले ही दे दी गई थी. जानें फिर क्यों हुई इतनी बड़ी चूक?....
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Haldwani Curfew Update: हल्द्वानी हिंसा के बाद प्रशासन ने शांति और सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए पूरे शहर में कर्फ्यू लगा दिया था. शनिवार 10 फरवरी की सुबह कर्फ्यू को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है. वनभूलपुरा में हिंसा भड़कने के बाद पूरे हल्द्वानी शहर में लगे कर्फ्यू में ढील दे दी गई है. नए अपडेट के अनुसार अब कर्फ्यू सिर्फ हिंसाग्रस्त इलाके के आस- पास तक सीमित कर दिया गया है.
प्रशासन के द्वारा शहर के अन्य हिस्सों में वाहनों और दुकानों के संचालन की अनुमति दे दी गई है. अब सिर्फ वनभूपुरा, आर्मी कैंट, तिकोनिया तक ही कर्फ्यू को सीमित कर दिया गया है. इस खबर में एक अपडेट यह भी है कि प्रशासन को इस घटना के होने की पहले ही इंटेलिजेंस रिपोर्ट मिल गई थी. तो क्या हल्द्वानी में हुई घटना के पीछे जिला प्रशासन की लापरवाही थी?. आगे जानें....
खबर विस्तार से-
हल्द्वानी हिंसा में बड़ा अपडेट यह सामने आया है कि उत्तराखंड के हल्द्वानी को जलाने की तैयारी पहले से ही हो चुकी थी. इसको लेकर खुफिया एजेंसी ने स्थानीय प्रशासन को रिपोर्ट भी भेजी थी, लेकिन प्रशासन ने उसको नजरअंदाज कर दिया था. जिसका नतीजा ये हुआ कि हल्द्वानी में बड़े स्तर पर हिंसा भड़क गई. राज्य के गृह विभाग के सूत्रों ने कहा कि दंगा भड़कने के बाद सीएम पुष्कर सिंह धामी द्वारा वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के साथ बुलाई गई बैठक के दौरान यह मुद्दा उठा है.
प्रशासन की चूक?
एक हफ्टे पहले ही इंटेलिजेंस ने प्रशासन को रिपोर्ट भेजी थी, जिसमें कहा गया था कि मस्जिद और मदरसे को हटाने की कार्रवाई को लेकर अब्दुल मलिक के साथ मुस्लिम संगठन और कट्टरपंथी लोग विरोध कर सकते हैं. एजेंसी ने बनभूलपुरा विवादित स्थल पर विरोध-प्रदर्शन के बारे में सूचित भी किया था. एजेंसी ने रिपोर्ट में बताया था कि हिंसा में महिलाएं और बच्चे भी शामिल रह सकते हैं.
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अब्दुल मलिक की कुमाऊं कमिश्नर से बातचीत
इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि जमीयत उलेमा हिंद और अब्दुल मलिक की कुमाऊं कमिश्नर से बातचीत हुई थी. अब्दुल मलिक ने प्रस्तावित अतिक्रमण की कार्रवाई पर रोक लगाने के लिए कहा था. रिपोर्ट में कार्रवाई के दौरान विरोध को लेकर फोटोग्राफी, पीएसी तैनाती, अतिक्रमण को तड़के हटाए जाने जैसे तरीकों को भी अपनाने की सलाह दी गई थी, लेकिन स्थानीय स्तर पर हर बिंदु पर लापरवाही दिखाई, जिसका नतीजा हल्द्वानी हिंसा रहा. इसके बाद जब बनभूलपुरा में नगर निगम और पुलिस प्रशासन की टीम अवैध मदरसा और धार्मिक स्थल को तोड़ने पहुंची तो गुस्साई भीड़ ने टीम पर पथराव और आगजनी की थी. हमले में 100 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए हैं. अब तक पांच लोगों की मौत हो चुकी है. सीएम पुष्कर सिंह धामी ने उपद्रवियों के खिलाफ सख्त ऐक्शन लेने के आदेश दिए थे.
पूर्व मुख्यमंत्री का बयान
हल्द्वानी की घटना पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सवाल उठाया है उनका कहना है कि जिस तरह से घटना हुई है अगर इसमें इंटेलिजेंस को सूचना नहीं थी तो यह उसकी नाकामी है अगर इंटेलिजेंस ने घटना के पहले जानकारी दी थी तो पुलिस ने क्यों बड़ा कदम नहीं उठाया उनका कहना है कि इस पूरे मामले की जांच करने की जरूरत है.