मुख्तार अंसारी का बेटा सलाखों के पीछे ही रहेगा, योगी सरकार के कदम से बढ़ीं मुश्किलें
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मुख्तार अंसारी का बेटा सलाखों के पीछे ही रहेगा, योगी सरकार के कदम से बढ़ीं मुश्किलें

Mukhtar Ansari Son Abbas Ansari: मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं. योगी सरकार ने जमानत रद्द करने के खिलाफ याचिका दाखिल की है. 

Abbas ansari

Mukhtar Ansari Son Abbas Ansari: माफिया मुख्तार अंसारी के विधायक बेटे अब्बास अंसारी की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. अधिकारियों को धमकाने वाले बयान मामले में अब्बास को मिली जमानत के खिलाफ सरकार ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. अब्बास अंसारी की जमानत को रद्द करने के लिए सरकार की तरफ से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है. हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए अब्बास अंसारी को नोटिस जारी किया है. इसके साथ ही 31 अक्टूबर तक मामले में अब्बास से जवाब मांगा है. 

विधानसभा चुनाव में अधिकारियों को दी थी धमकी
दरअसल, विधानसभा 2022 के चुनाव के दौरान मऊ में एक जनसभा करते हुए मंच से अब्बास अंसारी और उमर अंसारी ने चुनाव के बाद अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग रोकने और उनका हिसाब-किताब करने को लेकर धमकी भरा बयान दिया था. हेट स्पीच के इस मामले पर अब्बास और उनके छोटे भाई उमर पर मुकदमा दर्ज हुआ था. चुनाव के दौरान आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए 3 मार्च 2022 को एसआई गंगाराम बिंद द्वारा नगर कोतवाली मऊ में अब्बास, उमर और जनसभा के आयोजक मंसूर अहमद अंसारी सहित अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था. इस मामले में विधायक अब्बास अंसारी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से पूर्व में जमानत मिल चुकी है. 

आचार संहिता उल्लंघन मामले में मिली राहत
बीते दिनों इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अब्बास अंसारी, उमर अंसारी और चाचा मंसूर अंसारी के खिलाफ कोतवाली मऊ में दर्ज एक मामले में मुकदमे की कार्यवाही और दाखिल आरोप पत्र रद्द कर दिया है. अब्बास अंसारी पर मऊ जिले की सदर विधानसभा सीट से निर्वाचन के बाद पुलिस की अनुमति के बगैर जुलूस निकालने और लोगों का आवागमन बाधित करने का आरोप था. इसके अलावा, चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन का आरोप था. हालांकि, न्यायमूर्ति राजबीर सिंह ने याचिका पर सुनवाई के बाद कहा, “प्राथमिकी में लगाए गए आरोपों और जांच के दौरान एकत्र किये गये साक्ष्यों पर गौर करने पर प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता. अभियोजन का मामला स्वीकार भी कर लें तो ऐसा कोई अपराध नहीं बनता जिसमें याचिकाकर्ता को दोषी करार दिया जा सके.” 

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