यूपी के आईएएस फैक्ट्री कहे जाने वाले गांव को लगी नजर, 4 साल से कोई नहीं बन सका अफसर
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यूपी के आईएएस फैक्ट्री कहे जाने वाले गांव को लगी नजर, 4 साल से कोई नहीं बन सका अफसर

IAS-IPS Village : यूपी के इस गांव के लोग इसरो और विश्‍व बैंक में भी दे रहे सेवाएं. हालांकि, 2019 के बाद लग गई नजर. गांव के ज्‍यादातर लोग बाहर रहने लगे. इस गांव की महिलाएं भी कम नहीं हैं.  

 

Jaunpur Madhopatti Village

IAS-IPS Village : यूपी में एक गांव ऐसा है जहां हर घर में कोई ना कोई आईएएस आईपीएस है. यही वजह है कि इस गांव को आईएएस फैक्ट्री भी कहा जाता है. हालांकि इस गांव को इस कदर नजर लगी कि पिछले चार साल से कोई अधिकारी नहीं बन सका. तो आइये जानते हैं यूपी के इस गांव की रोचक कहानी. 

75 घरों में 47 से IAS-IPS
दरअसल, प्रदेश की राजधानी लखनऊ से करीब 300 किलोमीटर दूर जौनपुर जिले में एक गांव है माधोपट्टी. इस गांव के किस्‍से दुनियाभर में सुनाए जाते हैं. वजह भी दमदार है. इस गांव के 50 से ज्‍यादा लोग देश भर में बड़े पद और ओहदे पर तैनात हैं. गांव में कुल 75 घर हैं. इनमें 47 लोग आईएएस, पीसीएस और आईपीएस अधिकारी बन गए हैं. साथ ही इस गांव के लोग इसरो, भाभा और विश्‍व बैंक में भी सेवा दे रहे हैं. 

2019 के बाद लग गई नजर 
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो साल 2019 के बाद इस गांव में कोई आईएएस-आईपीएस नहीं बन सका. गांव में सबसे पहली बार साल 1952 में डॉ. इदुप्रकाश आईएएस बने थे, जो फ्रांस समेत कई देशों में राजदूत रहे. डॉ. इंदुप्रकाश के चार अन्‍य भाई भी आईएएस बने. हालांकि अब गांव वालों का मानना यह भी है कि ज्‍यादातर लोग बाहर रह रहे हैं. गांव कम ही आना जाता होता है. ऐसे में अब अफसर बनने पर जानकारी नहीं हो पाती. 

महिलाएं भी शिक्षित 
माधोपट्टी गांव से आईएएस के अलावा कई पीसीएस अधिकारी भी बने हैं. गांव की महिलाएं भी बड़े पद पर रह चुकी हैं. बता दें कि इस गांव की आबादी करीब 1,174 है. इसमें 737 शिक्षित लोग है. गांव में 599 पुरुष और 575 महिलाएं हैं. गांव में शिक्षित पुरुष 421 और महिलाएं 315 हैं. गांव के ही रहने वाले डॉ. ज्ञानू मिश्रा इसरो में वैज्ञानिक रहे. जन्‍मेजय सिंह विश्‍व बैंक में काम कर रहे. 

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