Amethi Ka Itihaas: खूंखार तुर्क-मुगल और अंग्रेज भी अमेठी को न झुका पाए, हजार साल पुरानी रियासत का अमर इतिहास
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Amethi Ka Itihaas: खूंखार तुर्क-मुगल और अंग्रेज भी अमेठी को न झुका पाए, हजार साल पुरानी रियासत का अमर इतिहास

UP News: यूं तो उत्तर प्रदेश का हर शहर और हर जिला अपने आप में अनेकों कहानियां और गौरवशाली इतिहास लिए है. लेकिन कुछ शहर और जिलों को नाम आते ही हम सब उनके बारे में जानने के लिए आतुर हो जाते हैं. ऐसा ही एक जिला है 'अमेठी'. तो आज हम बात करेंगे अमेठी के इतिहास के बारे ... पढ़िए पूरी खबर ... 

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Amethi Ka Itihaas: यूं तो उत्तर प्रदेश का हर शहर और हर जिला अपने आप में अनेकों कहानियां और गौरवशाली इतिहास लिए है. लेकिन कुछ शहर और जिलों को नाम आते ही हम सब उनके बारे में जानने के लिए आतुर हो जाते हैं. ऐसा ही एक जिला है 'अमेठी'. अमेठी का इतिहास एक हजार साल से भी पुराना है. इसकी स्थापना राजा सोढ़ देव ने 966 ई. में की थी. शुरूआत में अमेठी एक रियासत के रूप में जाना जाता था. ज्ञात हो कि मंगलवार के दिन यूपी सरकार द्वारा अमेठी के ही 8 रेलवे स्टेशनों के नाम बदले गए हैं. 

अमेठी रियासत
इतिहासकारों के अनुसार 966 ई. में राजा सोढ़ द्वारा बनाई गई यह रियासत अस्तित्व में आई थी. राजा सोढ़ देव ने यहां पर 966 ई. से लेकर 1007 ई. तक राज किया. राजा ने यह रियासत तुर्कों के आक्रमण के दौरान बसाई थी. हालांकि रियासत पर कई बार हमले किए गए. लेकिन रियासत ने अपनी गरिमा को खोने नहीं दिया. तुर्क, मुगल और अंग्रेजों ने कई बार इसपह हमले किए, अंग्रजों ने तो इस रियासत को अपने में विलय करने की भी कोशिश की लेकिन वह इसमें सफल ना हो सके. 

19वीं शताब्दी के राजा
1842 में यहां के राजा महारज विशेषवर बख्श सिंह थे. साल 1842 में उनकी मृत्यु हो जाने के कारण उनकी धर्मपत्नी ने राजा के मृत शरीर को अपनी गोद में रखकर खुद को सती कर लिया था. तभी से मान्यता है कि हर गुरुवार को क्षेत्र की महिलाएं सती महारानी मंदिर जाकर दुरदुरिया का आयोजन कर अपने सुहागिन रहने का आशीर्वाद मांगती हैं. राजा विशेषवर बख्श के बाद 1842 में यहां के राजा लाल माधव सिंह बने. राजा लाल माधव सिंह ने 1891 तक इस रियासत पर राज किया. उनकी मृत्यु के बाद 1891 में राजा भगवान बख्श सिंह को रियासत को महाराज घोषित किया गया था. इसके बाद महाराज बख्श के चार संतान हुईं. इनमें रणंजय सिंह, रणवीर सिंह, जंग बहादुर सिंह और कुंवड साब शामिल हैं. राजा बख्श सिंह के तार में से तीन पुत्रों की मृत्यु होने के बाद बख्श सिंह के बाद अमेठी के राजा रणंजस सिंह राजा बने थे. लेकिन कोई संतान न होने के कारण इन्होने संजय सिंह को गोद लिया था. फिलहाल संजय सिंह ही अमेठी की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं. 

जिला कब बना
साल 2010 में बसपा की सरकार में अमेठी उत्तर प्रदेश का 72वां जिला बना था. 1 जुलाई 2010 को अमेठी को जिले के रूप में स्वीकृति मिल गई थी. अमेठी के अंदर कुल 5 तहसील हैं. ये 5 तहसील मुसाफिरखाना, अमेठी, गौरीगंज, सलोन और तिलोई हैं. अमेठी के जिला बनने से पहले मुसाफिरखाना, अमेठी, गौरीगंज तहसील जिला सुल्तानपुर में आती थी. तो वहीं सलोन और तिलोई रायबरेली की हिस्सा थीं. 

छत्रपति शाहूजी महाराज नगर
बसपा सरकार द्वारा अमेठी को जिला घोषित करते हुए इसका नाम छत्रपति शाहूजी महाराज नगर रखा गया था. लेकिन कुछ समय बाद ही इसका नाम फिर से अमेठी कर दिया गया था. जिले का मुख्यालय गौरीगंज शहर में स्थित है. 

धार्मिक और ऐतिहासिक जगहें
अमेठी में घूमने के लिए धार्मिक और ऐतिहासिक जगहें हैं. इनमें मुख्यतः महर्षि पिप्पलाद आश्रम, मां अहोरवा भवानी देवी धाम और कादूनाला हैं. 

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