Malviya Biography: काशी हिंदू विश्वविद्यालय...ये संस्थान आज की तारीख में किसी पहचान का मोहताज नहीं है. इसका नाम देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी सम्मान के साथ लिया जाता है. आज हम उनका जिक्र करेंगे, जिनके संघर्षों का ये जीता जागता प्रतिक है. पढ़िए
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Malviya Biography:काशी हिंदू विश्वविद्यालय यानि बीएचयू...ये अक्सर किसी न किसी वजह से सुर्खियों में रहता है. आज की तारीख में बीएचयू की गिनती देश के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में तो होती ही है, लेकिन विदेशों में भी इसका नाम बड़े ही सम्मान के साथ लिया जाता है. यहां से पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स ने अलग-अलग क्षेत्रों में कई कीर्तिमान गढ़े हैं.यह विश्वविद्यालय जितना दिलचस्प है, इसके निर्माण की कहानी भी उतनी ही दिलचस्प है. यह विश्वविद्यालय पंडित मदन मोहन मालवीय, डॉ एनी बेसेंट और डॉ. एस राधाकृष्णन जैसे महान लोगों के संघर्ष और सपने का प्रतीक है. कहा जाता है कि पंडित मदन मोहन मालवीय चलते गए और बीएचयू बनता गया. इसके पीछे की वजह क्या है चलिए बताते हैं...
बीएचयू के निर्माण की कहानी
दरअसल, बीएचयू के निर्माण में मदन मोहन मालवीय को कई कठनाईयों का सामना करना पड़ा था. उनकी मुश्किलों को ब्रिटिश राज ने भी खूब बढ़ाया था. रिपोर्ट्स की मानें तो ब्रिटिश सरकार ने बीएचयू के निर्माण से पहले दरभंगा नरेश और मालवीय जी से 1 करोड़ रुपये मांगे थे. ब्रिटिश सरकार की तरफ से साफ कहा गया था कि पहले 1 करोड़ दो उसके बाद विश्वविद्यालय के निर्माण की अनुमति मिलेगी. इसके बाद भी परेशानियां खत्म नहीं हुई. फिर विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए जगह सबसे बड़ी चुनौती बनकर सामने आई.
जमीन के लिए अजीब शर्त
रिपोर्ट्स की मानें तो जब बीएचयू के निर्माण के लिए पंडित मदन मोहन मालवीय ने काशी नरेश से जगह दान में मांगी. तब काशी नरेश ने इसके लिए जगह दान में देने की बात तो की, लेकिन मदन मोहन मालवीय के सामने उन्होंने अनोखी और अजीब सी शर्त रख दी. शर्त थी कि एक दिन में मालवीय जी पैदल चलकर जितनी जमीन नाप लेंगे, उतनी ही जगह उन्हें विश्वविद्यालय के लिए दान में मिलेगी. फिर इसके लिए पंडित मालवीय भी तुरंत तैयार हो गए. कहा जाता है कि शर्त के मुताबिक, मदन मोहन मालवीय दिन भर पैदल चलते रहे और जगह नापते गए.
कितनी जमीन मिली दान?
ऐसा कहा जाता है कि काशी नरेश ने उतनी ही जमीन बीएचयू के निर्माण के लिए दी, जितनी जमीन पर पूरे दिन चलकर मालवीय जी नाप पाए. उनकी मेहनत का फल काशी नरेश ने उन्हें दिया. रिपोर्ट्स के मुताबिक, विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए काशी नरेश ने मालवीय जी को 11 गांव, 70 हजार पेड़, 100 पक्के कुएं, 20 कच्चे कुएं, 860 कच्चे घर, 40 पक्के मकान दान में दिए. इतना ही नहीं बीएचयू के निर्माण के लिए काशी नरेश ने एक मंदिर और एक धर्मशाला भी दान में दिए थे.
बीएचयू का निर्माण का सपना साकार
काशी नरेश से जमीन दान में मिलने के बाद ही बीएचयू का निर्माण हो पाया. जिससे दरभंगा नरेश, पंडित मदन मोहन मालवीय, डॉ एनी बेसेंट और डॉ एस राधाकृष्णन् जैसे कई महान लोगों का सपना साकार होता गया. फिर 4 फरवरी 1916 बसंत पंचमी के दिन पंडित मदन मोहन मालवीय ने बीएचयू की नींव रखी. आज की तारीख में बीएचयू 1360 एकड़ में बड़े ही शान से खड़ा है.
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