Ved Vaani: पूजा के बाद क्यों देनी पड़ती है दक्षिणा, पुराणों के अनुसार क्या है दक्षिणा का महत्त्व
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Ved Vaani: पूजा के बाद क्यों देनी पड़ती है दक्षिणा, पुराणों के अनुसार क्या है दक्षिणा का महत्त्व

कोई भी पूजा पाठ, धार्मिक कर्म काण्ड, विवाह या संस्कार आदि हो. अंत में यजमान अपनी इच्छा अनुसार अपने ब्राह्मण को दक्षिणा देता है. कोई भी धार्मिक कार्य बिना दक्षिणा के अधूरा माना जाता है. दक्षिणा कितनी और किस समय देनी चाहिए इस लेख में जानें. 

 

Dakshina (File Photo)

Ved Vaani: वेदों में लिखा है जो देता है, देवता उसे देते हैं, दानी द्वारा दिया गया धन देवताओं को मिलता है. देवता इसे कई गुना बढाकर दाता को लौटाते हैं.  यजुर्वेद में एक मंत्र हैं जिसके अनुसार ब्रह्मविद्या यानि ब्राह्मण विद्या से दीक्षा मिलती है. दीक्षा से ही दक्षिणा मिलती है, दक्षिणा से समृद्धि और प्रतिष्ठा मिलती है. कहने का अर्थ है दक्षिणा उसी ब्राह्मण को मिलती है जो अपने कार्य में दक्ष हो. जो धार्मिक कर्म काण्ड का ज्ञाता हो वह ब्राह्मण दक्षिणा का अधिकारी है. दक्षिणा देने से अपने पंडित और गुरु में श्रद्धा बढ़ती है और इसीलिए पंडित भी अपनी पूरी लगन से अपने यजमान का कल्याण करते हैं. 

दक्षिणा देते समय यजमान को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि दक्षिणा हमेशा अपने सामर्थ्य के अनुसार देनी चाहिए. जितनी संभव हो उतनी दक्षिणा जरूर देनी चाहिए. अपनी  इच्छानुसार से बेहतर हैं अपनी शक्ति के अनुसार देना.  ब्राह्मण, पुरोहित और ज्योतिष आचार्यों का काम हैं अपने ज्ञान से समाज का भला करना और समाज का काम है उनका पालन पोषण करना. न ब्राह्मण को लोभी होना चाहिए और न ही यजमान को दक्षिणा किसी उपकार की तरह देनी चाहिए. अगर किसी योग्य ब्राह्मण को  असंतुष्ट और नाराज किया जाता है तो उसके द्वारा किये गए धार्मिक कार्य का फल नहीं मिलता.

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पुराणों में एक कथा है, नारद जी ने भगवान विष्णु से पूछा कि बिना दक्षिणा दिए पूजा का फल किसे मिलता है तो भगवान नारायण ने उत्तर दिया, बिना दक्षिणा की पूजा का कोई फल ही नहीं होता क्योंकि  बिना दक्षिणा वाला कर्म तो बलि के पेट में चला जाता है और नष्ट हो जाता है. मनुस्मृति में महाराज मनु का स्पष्ट शब्दों में कहा है कि न्यून/कम दक्षिणा देकर कोई यज्ञ नहीं करना चाहिए. कम दक्षिणा देकर यज्ञ या पूजा पाठ कराने से यज्ञ की इन्द्रियाँ, यश, स्वर्ग, आयु, कीर्ति, प्रजा और पशुओं का नाश होता है.

दक्षिणा के बारे में हमारे वेद पुराणों में ये अध्याय हैं -
ब्रह्मवैवर्त पुराण, प्रकृति खण्ड, अध्याय 42, मनुस्मृति 11.39/40, स्कन्दपुराण 5.33.27 , यजुर्वेद 19.30, ऋग्वेद 5.34.7, अथर्ववेद 20.63.5, ऋग्वेद 1.84.8

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