कोमा में 9 साल से पुलिसकर्मी, परिवार के मांग पर सरकार करने जा रही ये काम
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कोमा में 9 साल से पुलिसकर्मी, परिवार के मांग पर सरकार करने जा रही ये काम

ड्यूटी के दौरान हुई दुर्घटना के कारण पिछले नौ साल से ‘कोमा’ में गये उत्तर प्रदेश पुलिस के सिपाही जितेन्द्र सिंह के परिवार के लिये जिंदगी मानो थम सी गई है. 

प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह ने राज्य सरकार को एक प्रस्ताव भेजा है.(फाइल फोटो)

लखनऊ: ड्यूटी के दौरान हुई दुर्घटना के कारण पिछले नौ साल से ‘कोमा’ में गये उत्तर प्रदेश पुलिस के सिपाही जितेन्द्र सिंह के परिवार के लिये जिंदगी मानो थम सी गई है. प्रदेश पुलिस द्वारा भेजे गये एक प्रस्ताव पर अगर सरकार की मुहर लगती है तो उनके जैसे अनेक अराजपत्रित पुलिसकर्मियों के परिजन के चेहरे पर मुस्कान आ सकती है. जितेन्द्र इस वक्त आगरा के एक अस्पताल में जीवन के लिये संघर्ष कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ उनका परिवार इस दर्द के साथ-साथ बेहद मुफलिसी के दौर से भी गुजर रहा है. जितेन्द्र सात जनवरी 2009 को कानपुर देहात में ड्यूटी के दौरान हुए एक हादसे में गम्भीर रूप से घायल हो गये थे.

जितेन्द्र की पत्नी उमा ने बताया कि उनके पति को हादसे के बाद नाजुक हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उसके बाद से ही वह कोमा में हैं. नौ साल गुजरने के बाद उनके पति ने हाल ही में आंखें खोली हैं, लेकिन इसके अलावा उनके शरीर में कोई हरकत नहीं हो रही है. उन्होंने बताया कि परिवार का खर्च जितेन्द्र की तनख्वाह से ही चलता था.  हादसे की वजह से उनके परिवार पर बड़ी मुसीबत आन पड़ी है. जैसे-तैसे गुजारा हो रहा है. उनका एक बेटा भी है जिसके भविष्य के बारे में सोचकर वह अक्सर निराश हो जाती हैं. 

राज्य सरकार ड्यूटी के दौरान शहीद होने वाले पुलिसकर्मियों के परिजन को ‘असाधारण पेंशन‘ देती है
राज्य सरकार ड्यूटी के दौरान शहीद होने वाले पुलिसकर्मियों के परिजन को ‘असाधारण पेंशन‘ देती है, मगर कर्तव्य निभाने के दौरान किसी अराजपत्रित पुलिसकर्मी के कोमा में जाने की स्थिति में उनकी मदद के लिये ऐसा कोई प्रावधान नहीं है. बहरहाल, प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह ने राज्य सरकार को एक प्रस्ताव भेजा है जिसमें ड्यूटी के दौरान हुई दुर्घटना के कारण कोमा में गये अराजपत्रित पुलिसकर्मी के परिजन को असाधारण पेंशन या फिर कोमा में रहने की अवधि का पूरी तनख्वाह देने का अनुरोध किया गया है. 

पुलिस महानिदेशक के जनसम्पर्क अधिकारी राहुल श्रीवास्तव ने बताया कि सिंह ने एक नई पहल करते हुए शासन से शासकीय कर्तव्य पालन के दौरान गम्भीर दुर्घटना के कारण लम्बे समय तक ‘कोमा’ में गये अराजपत्रित पुलिस कर्मी के परिवार को अनन्तिम असाधारण पेंशन या ‘कोमा’ अवधि का पूर्ण वेतन दिये जाने के सम्बन्ध में शासन से अनुरोध किया है. 

 ‘उत्तर प्रदेश पुलिस असाधारण नियमावली-1975’
 
उन्होंने बताया कि ‘उत्तर प्रदेश पुलिस असाधारण नियमावली-1975’ के तहत ऐसे अराजपत्रित पुलिस कर्मी, जो डाकुओं या सशस्त्र अपराधियों अथवा विदेशी तत्वों से लड़ने के दौरान शहीद होते हैं, उनके परिवार को असाधारण पेंशन दी जाती है.  मगर अक्सर ऐसी घटनाओं में घायल पुलिस कर्मी लम्बे समय तक ‘‘कोमा’’ में रहते हैं.  इस पर उन्हें मिलने वाले सभी तरह के अवकाश खत्म हो जाते हैं.  इस वजह से उनके परिवार को अत्यधिक आर्थिक विषमताओं का सामना करना पड़ता है. 

श्रीवास्तव ने जितेन्द्र के प्रकरण का जिक्र करते हुए बताया कि सात जनवरी 2009 को पुलिस लाइन से सरकारी महत्वपूर्ण डाक लेकर मोटरसाइकिल से कानपुर से मेरठ जाने के दौरान रास्ते में कस्बा जौनपुर में सड़क दुर्घटना में सिपाही वरूण कुमार मिश्रा की घटनास्थल पर मृत्यु हो गयी थी और जितेन्द्र को पीजीआई लखनऊ रेफर किया गया था.  तब से वह लगातार ‘‘कोमा’’ में है.  हादसे में मारे गये सिपाही वरूण के परिवार को इस वक्त असाधारण पेंशन मिल रही है. गृह विभाग के अधिकारियों के मुताबिक प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है और उम्मीद है कि इसे मंजूरी मिल जाएगी. 

इनपुट भाषा से भी 

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