Karhal By-Election 2024: मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट पर यादव परिवार आमने-सामने है. सपा प्रत्याशी और बीजेपी प्रत्याशी के बीच जुबानी जंग जारी है.
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Karhal By-Election 2024: मैनपुरी की करहल सीट पर उपचुनाव से पहले घमासान मचा है. करहल सीट पर समाजवादी पार्टी और बीजेपी प्रत्याशी एक-दूसरे के बीच जुबानी जंग जारी है. एक तरफ समाजवादी पार्टी से तेज प्रताप यादव प्रत्याशी हैं तो वहीं दूसरी तरफ बीजेपी ने तेज प्रताप यादव के फूफा अनुज प्रताप यादव को प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा है. वहीं तेज प्रताप यादव के चुनाव प्रचार के लिए सैफई परिवार अब एक साथ नजर आने लगा है.
करहल में एक मंच पर दिखे शिवपाल, डिंपल और धर्मेंद्र यादव
सपा प्रत्याशी तेज प्रताप यादव के लिए वोट मांगने पहुंचे सपा नेता शिवपाल यादव, धर्मेंद्र यादव और डिंपल यादव एक साथ मंच पर दिखाई दिए. एक तरफ धर्मेंद्र यादव ने अपने बहनोई अनुजेश प्रताप यादव से रिश्ता खत्म करने की बात कही तो वहीं दूसरी तरफ शिवपाल यादव भी कम नहीं पड़े, उन्होंने भी मंच से लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि अब अनुजेश प्रताप यादव से रिश्ते तो टूट ही गए हैं. उन्हें कभी पार्टी में शामिल भी नहीं किया जाएगा. ऐसे भगोड़ों को कभी भी समाजवादी पार्टी में शामिल नहीं किया जाएगा.
क्या बोले अनुजेश प्रताप यादव?
वहीं साले सपा सांसद धर्मेंद्र यादव और ससुर राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव के बयान को लेकर बीजेपी प्रत्याशी अनुजेश प्रताप यादव ने भी जमकर निशाना साधा. उन्होंने साफ तौर से कह दिया है कि चाचा मेरे लिए सम्माननीय हैं, लेकिन अब जिस तरह से बयान दे रहे हैं पहले अपने गिरेबान में झांककर देख लें. शिवपाल यादव ने भी सपा के खिलाफ जाकर अपनी पार्टी बनाई थी. चाचा का तो अखिलेश यादव ने पहले ही अपमान किया था फिर चाचा कैसे वापस सपा में पहुंच गए.
पीडीए क्या है परिवारवाद
बीजेपी प्रत्याशी अनुजेश प्रताप यादव ने कहा कि मैंने कभी न पार्टी में जाने की कोशिश की न कभी पार्टी में जाऊंगा. भाजपा का निष्ठावान कार्यकर्ता हूं, इसलिए भाजपा ने मुझे प्रत्याशी बनाया है. अगर प्रत्याशी नहीं भी बनाती तो भी मैं भाजपा में ही रहता. उन्होंने कहा कि पीडीए क्या है परिवारवाद है. क्या कोई प्रत्याशी नहीं मिला यादवों में सपा को लड़ाने के लिए और कोई बाहर से प्रत्याशी लाड़ा सकते थे.
2002 में बीजेपी ने दर्ज की थी इस सीट पर जीत
बता दें कि सपा साल 1993 से लगातार करहल सीट जीतती आ रही है. महज एक बार ही सपा यह सीट हारी थी. साल 2002 में बीजेपी ने सोबरन सिंह यादव को चुनाव मैदान में उतारा. वहीं, सपा से अनिल यादव चुनाव मैदान में थे. यादव बनाम यादव के मुकाबले में बीजेपी प्रत्याशी ने पहली बार सपा का किला भेदने में कामयाब रहे थे. 1956 में परिसीमन के बाद करहल सीट पर सपा का एकछत्र राज रहा है.
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