Mayawati And Akhilesh Yadav: अखिलेश अपनी गिरेबान में झांकें, मायावती ने मुलायम की याद दिलाकर सपा प्रमुख पर बोला हमला
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Mayawati And Akhilesh Yadav: अखिलेश अपनी गिरेबान में झांकें, मायावती ने मुलायम की याद दिलाकर सपा प्रमुख पर बोला हमला

Mayawati Attacks Akhilesh Yadav: बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक बार फिर अखिलेश यादव पर निशाना साधा है. जानें क्यों अखिलेश से नाराज हुईं मायावती और ऐसा क्या कहा जिससे पूरे देश में बवाल मच गया....

 

Mayawati Attacks Akhilesh Yadav

Lucknow: साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव का समय जैसे- जैसे पास आ रहा है, राजनीतिक दलों की बयानबाजी तेज होने लगी है. लोकसभा में बीजेपी को हराने के लिए देश के लगभग सभी विपक्षी दल एकजुट होकर चुनाव लड़ने की तैयारी में है. इन सभी दलों ने अपने इस गठबंधन का नाम INDIA गठबंधन रखा है.इस बीच सबसे सबके मन में सवाल है कि  बड़ा सवाल ये उठ खड़ा हुआ है कि क्या विपक्ष के INDIA गठबंधन में बीएसपी प्रमुख मायावती शामिल होंगी? यूपी में इन्हीं अटकलों के बीच यूपी में जुबानी जंग तेज हो गई है. शनिवार 6 जनवरी को पहले अखिलेश यादव ने मायावती पर तंज कसा. अखिलेश यादव के तंज का जवाब देते हुए मायावती ने सपा पर करारा हमला बोला है. 

दरअसल मीडिया ने अखिलेश यादव से शनिवार 6 दिसंबर को सवाल पूछा था कि क्या बसपा प्रमुख मायावती INDIA गठबंधन में शामिल होंगी? इस दौरान अखिलेश ने कहा, ‘चुनाव के बाद उनकी गारंटी कौन लेगा’. अखिलेश यादव के इस बयान के बाद ही मायावती ने उनको करारा जवाब दिया है. 

मायावती ने दिया करारा जवाब
बसपा चीफ मायावती ने अखिलेश यादव और सपा पर निशाना साधते हुए सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि “अपनी और अपनी सरकार की खासकर दलित-विरोधी रही आदतों, नीतियों एवं कार्यशैली आदि से मजबूर सपा प्रमुख द्वारा बीएसपी पर अनर्गल तंज कसने से पहले उन्हें अपने गिरेबान में भी झांककर जरूर देख लेना चाहिए कि उनका दामन भाजपा को बढ़ाने और उनसे मेलजोल के मामले में कितना दागदार है.”

मुलायम सिंह यादव का जिक्र
इसी के साथ बसपा चीफ ने दिवंगत सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को संसदीय चुनाव में जीत का आशीर्वाद देने वाली बात का भी जिक्र किया. बसपा चीफ मायावती ने कहा, ‘तत्कालीन सपा प्रमुख द्वारा भाजपा को संसदीय चुनाव जीतने से पहले और उपरान्त आर्शीवाद दिए जाने को कौन भुला सकता है. और फिर भाजपा सरकार बनने पर उनके नेतृत्व से सपा नेतृत्व का मिलना-जुलना जनता कैसे भूला सकती है. ऐसे में सपा साम्प्रदायिक ताकतों से लडे़ तो यह उचित होगा.

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