ये आंकड़े पुलिस रिस्पॉन्स व्हीकल (पीआरवी) को पिछले 4 साल में मिली आपराधिक सूचनाओं के आधार पर निकाले गए हैं. इन आंकड़ों की मदद से सर्वाधिक आपराधिक गतिविधियों वाले जिलों की पुलिस को क्राइम कंट्रोल की ट्रेनिंग दी जा रही है.
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश पुलिस की डॉयल 112 टीम ने उन जिलों की पहचान की है जहां से हत्या, लूट, डकैती, महिलाओं के साथ अपराध के सबसे ज्यादा मामले सामने आते हैं. ये आंकड़े पुलिस रिस्पॉन्स व्हीकल (पीआरवी) को पिछले 4 साल में मिली आपराधिक सूचनाओं के आधार पर निकाले गए हैं. इन आंकड़ों की मदद से सर्वाधिक आपराधिक गतिविधियों वाले जिलों की पुलिस को क्राइम कंट्रोल की ट्रेनिंग दी जा रही है.
संपत्ति विवाद में पश्चिमी यूपी अव्वल
पुलिस रिस्पॉन्स व्हीकल की ओर से तैयार आंकड़ों के मुताबिक संपत्ति विवाद के सबसे ज्यादा मामले पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आते हैं. इनमें मेरठ, बागपत, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, हापुड़ जिले शामिल हैं. इसके साथ ही इन जिलों में संपत्ति विवाद में सबसे ज्यादा हत्याएं भी होती हैं.
सड़क हादसों में आगे हैं बड़े शहर
झांसी, बांदा, ललितपुर, मिर्जापुर और सोनभद्र ऐसे जिले हैं जहां सड़क हादसे कम होते हैं. क्योंकि इन जिलों में गाड़ियों की संख्या कम है. यूपी के बड़े शहरों में सड़क हादसे सबसे ज्यादा होते हैं. इनमें लखनऊ, कानपुर, आगरा, वाराणसी, इलाहाबाद, गोरखपुर जैसे शहर सबसे आगे है. यहां की अच्छी सड़कों पर ओवरस्पीडिंग सड़क हादसों के पीछे की वजह बनती है.
महिला अपराध में पूर्वांचल आगे
पूर्वांचल के जिलों में महिलाओं के साथ अपराध सबसे ज्यादा है. इन जिलों से घरेलु हिंसा की सबसे ज्यादा शिकायतें पुलिस के पास दर्ज होती हैं. हालांकि आंकड़ों के मुताबिक इन जिलों में हत्या और बलात्कार जैसे संगीन अपराध कम हैं.
इन आंकड़ों के जरिए अपराध नियंत्रण की रणनीति बनाएगी पुलिस
उत्तर प्रदेश पुलिस की डॉयल 112 टीम ने बीते 4 सालों में लोगों द्वारा फोन के जरिए मांगी गई पुलिस की मदद और कंट्रोल रूम को मिली सूचना के आधार इन आंकड़ों को तैयार किया है. इन आंकड़ों के आधार पर थानेवार और जिलेवार जिओ मैपिंग (Geographical Mapping) की गई है, जहां पर चैन स्नेचिंग, छेड़खानी, हत्या, ट्रैफिक जाम की शिकायतें ज्यादा मिलती हैं.
होली, दिवाली, मुहर्रम जैसे त्योहारों पर संवेदनशील मोहल्लों को भी चिन्हित किया गया है. अब इन आंकड़ों के सहारे जिलों की पुलिस को ट्रेनिंग दी जा रही है. ये सभी आंकड़े प्रदेश के करीब 16 हजार थानों को भेज दिए गए हैं. प्रदेश पुलिस इन आंकड़ों का इस्तेमाल अपराध नियंत्रण के लिए जरूरी रणनीति बनाने के लिए करेगी.
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