लोग कुछ भी कहेंगे पर...क्या आसानी से हैक हो सकती है EVM? जानें हर सवाल का जवाब
UP Assembly Resutl 2022: आपने देखा होगा कि अक्सर चुनाव हारने वाली पार्टियां सवाल उठाती हैं कि इन मशीनों को हैक किया जा सकता है.... साल 2022 के विधानसभा इन मशीनों पर एक बार फिर सवाल उठने शुरू हो गए हैं... हालांकि ये दावे भी किए जाते हैं कि इन मशीनों की अपनी फ्रीक्वेंसी होती हैं, जिसके जरिए इनको हैक किया जा सकता है, लेकिन इस तरह के दावे सही नहीं पाए गए.
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लखनऊ: यूपी विधानसभा चुनाव में किसकी जीत और किसी हार होगी, इस फैसले पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं. 10 मार्च को आने वाले चुनावी नतीजे से ये साफ हो जाएगा कि यूपी और उत्तराखंड में किसकी सरकार बनेगी. चुनावी नतीजों के आने से पहले ईवीएम सुर्खियों में छाई हुई है. ईवीएम को लेकर समाजवादी पार्टी ने सवाल उठाए हैं. सपा का कहना है कि ईवीएम मशीन के साथ छेड़छाड़ की जा रही है.
हम इस रिपोर्ट में आपको बताएंगे की ईवीएम क्या है और इससे छेड़छाड़ की जा सकती है या नहीं. यहां पर ये भी बताएंगे कि ईवीएम सबसे पहले दुनिया में कहां पर शुरू की गईऔर इंडिया में कब से यूज होना शुरू हुआ.ईवीएम पर हमेशा से ही सवाल उठते आए हैं. आपके सामने हम ऐसी ही रिपोर्ट पेश करने जा रहे हैं जो आपके कुछ सवालों का जवाब दे सकती है..
जानें EVM क्या है?
सबसे पहले जानते हैं कि ईवीएम क्या है. भारत में चुनावों के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का इस्तेमाल किया जाता है. इससे पहले बैलेट पेपर का इस्तेमाल करके चुनाव प्रोसेस को पूरा किया जाता था. लेकिन साल 1980 के दशक में प्रायोगिक तौर पर शुरू होने के बाद पिछले करीब दो दशक से लगभग हर चुनाव में ईवीएम का ही प्रयोग होता है.
एक हैकर ने किया था दावा-रिपोर्ट
बीबीसी में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक कुछ समय पहले अमेरिका स्थित एक हैकर ने दावा किया था कि साल 2014 के चुनाव में मशीनों को हैक किया गया. इस विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले गठबंधन ने भारी बहुमत के साथ जीत दर्ज की थी.हालांकि,भारतीय चुनाव आयोग ने इन दावों का खंडन किया है. लेकिन इन मशीनों में तकनीक के इस्तेमाल को लेकर हमेशा से आशंकाएं ज़ाहिर की गई हैं. रिपोर्ट के मुताबिक भारत की अलग-अलग अदालतों में इस मुद्दे पर कम से कम सात मामले चल रहे हैं. लेकिन चुनाव आयोग हर मौके़ पर इन मशीनों को हैकिंग प्रूफ़ बताता आया है.
क्या है सेफ-बैलेट बॉक्स या ईवीएम?
पहले हमारे देश में बैलेट बॉक्स से चुनाव होते थे. बैलेट बॉक्स में वोटर कागज पर ठप्पा लगाकर उम्मीदवारों को वोट करते थे. फिर इन सारे बैलट पेपर्स को एक जगह पर इकट्ठा किया जाता था और इनकी गिनती होती थी. पूरे पेपर गिनने के बाद नतीजे बताए जाते थे. ये पूरी प्रक्रिया मैन्युअल थी. इसमें अच्छा-खासा समय लगता था. कई बार ऐसा हुआ है कि सारे नतीजे आने में 2 से 3 दिन लग जाते थे.साल 1980 के बाद ईवीएम आई. बैलेट के मुकाबले ईवीएम में सारा काम जल्दी-जल्दी होने लगा.
क्या ईवीएम से छेड़खानी हो सकती है, जानें यहां?
ईवीएम मशीन से किसी भी तरह की छेड़छाड़ संभव नहीं है. ऐसा भी कई बार सुनने में आया है कि दोबारा बटन दबाने पर दूसरा वोट जाता है. आपको बता दें कि आपका पहला दबाया गया बटन ही काम करेगा. हर एक वोट के बाद कंट्रोल यूनिट को फिर अगले वोट के लिए तैयार करना होता है. लिहाजा इन पर फटाफट बटन दबाकर वोट करना मुश्किल है. यानी आप जैसे ही बटन दबाएंगे उसके बाद अगले की तैयारी की जाती है.
चूंकि ये मशीनें किसी इंटरनेट नेटवर्क से नहीं जुड़ी होतीं लिहाजा इन्हें हैक करना संभव नहीं. हालांकि ये दावा भी किए जाते हैं कि इन मशीनों की अपनी फ्रीक्वेंसी होती हैं, जिसके जरिए इनको हैक किया जा सकता है, लेकिन इस तरह के दावे सही नहीं पाए गए. इस बात का दावा किया जाता है कि मशीन को फिजिकली मैन्युपुलेट किया जा सकता है. यानी अगर किसी के हाथ में ये मशीन आ जाए, तो वो इसके नतीजों में उलटफेर कर सकता है. लेकिन इसको लेकर अभी तक कोई भी प्रमाण सामने नहीं आया है.ईवीएम में इतने कड़े सुरक्षा प्रबंध किए गए हैं कि इससे छेड़छाड़ करना बहुत मुश्किल है.
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