कोर्ट ने कहा कि केवल वस्तु ही पवित्र नहीं होने चाहिए, बल्कि उसके साधन भी सही और पारदर्शी होने चाहिए. यदि कैबिनेट मंत्री जैसा कोई व्यक्ति कपट पूर्ण आचरण करता है तो इससे जनता का विश्वास डगमगाता है और ड्रीम प्रोजेक्ट की पवित्रता को लेकर भी सवाल खड़े हो जाते हैं......
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मोहम्मद गुफरान/प्रयागराज: यूपी की सीतापुर जेल में बंद समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शत्रु संपत्ति कब्जा करने के मामले में जमानत दे दी हो, लेकिन कोर्ट ने आजम खान के सत्ता का दुरुपयोग को लेकर नाराजगी जाहिर करते हुए इस बेहद तल्ख टिप्पणी भी की है. कोर्ट ने सीधे तौर पर कहा है कि आजम खान सत्ता के नशे में धुत होकर अपने पदों का दुरुपयोग कर रहे थे.
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कोर्ट ने की ये टिप्पणी
कोर्ट ने कहा कि जमानत किसी भी आरोपी का अधिकार है और जेल अपवाद है इसलिए जमानत देने में कोर्ट याची के बिगड़ते स्वास्थ्य, वृद्धावस्था और जेल में रहने की अवधि को ध्यान में रख रही है. याची आजम खान 72 वर्ष का वरिष्ठ नागरिक है, जो बढ़ती उम्र के साथ होने वाली बीमारियों से ग्रसित है. जैसे हाइपरटेंशन गंभीर परेशानी है. कोविड के चलते भी याची पिछले साल एक माह अस्पताल में रहा जिसका महत्वपूर्ण अंगों पर प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ा है. मौजूदा मामले में याची के खिलाफ चार्जशीट भी कोर्ट में दाखिल हो चुका है और उसके खिलाफ दर्ज तमाम मामलों में जमानत भी मिल चुकी है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आजम खान को जमानत देते समय कहा कि याची ने विश्वविद्यालय की स्थापना कर शिक्षा देने का सराहनीय कार्य किया है. लेकिन पूरे मामले को देखते हुए कोर्ट ने कहा कि आश्चर्य कि बात यह है कि याची अपने सपनों को आगे बढ़ाने के लिए सत्ता का दुरुपयोग करते हुए मौलाना मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय के नाम पर ठगी का कारोबार करता रहा. कोर्ट ने कहा कि केवल वस्तु ही पवित्र नहीं होने चाहिए, बल्कि उसके साधन भी सही और पारदर्शी होने चाहिए. यदि कैबिनेट मंत्री जैसा कोई व्यक्ति कपट पूर्ण आचरण करता है तो इससे जनता का विश्वास डगमगाता है और ड्रीम प्रोजेक्ट की पवित्रता को लेकर भी सवाल खड़े हो जाते हैं.
इतना ही नहीं इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि इस मुद्दे का एक पहलू और है. एक कहावत का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि शक्ति मनुष्य को भ्रष्ट करती है और पूर्ण शक्ति मिल जाए तो उसे पूरा ही भ्रष्ट कर देती है. ऐसे में आदमी भगवान को भी नहीं छोड़ता. कोर्ट ने कहा कि एक व्यक्ति की नैतिकता की भावना उसकी शक्ति बढ़ने के साथ कम हो जाती है. यह कथन 19वीं सदी के अंत और बीसवीं सदी के प्रारंभ में एक ब्रिटिश इतिहासकार का था. यह सिद्धांत अभी भी सही है. पूर्ण शक्ति नैतिक रूप से व्यक्ति के स्वभाव को नष्ट कर देती है.
कोर्ट ने कहा कि जो लोग सत्ता में होते हैं, उनके मन में अक्सर लोगों का हित नहीं होता है, वह मुख्य रूप से स्वयं के लाभों पर केंद्रित होते हैं और स्वयं की मदद करने के लिए अपनी स्थिति या शक्ति का दुरुपयोग कर सकते हैं. वर्तमान जिस मामले में याची कैबिनेट मंत्री रहा और शक्तिशाली व्यक्ति होने के कारण उसने विश्वविद्यालय का सपना देखा, जिसमें वह एक व्यक्तिगत जागीर की तरह स्थाई कुलाधिपति रहा और इसके लिए सभी अवैध गलत तरीकों को अपनाते हुए किसी भी हद तक चला गया. फिलहाल इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शत्रु संपत्ति कब्जाने को लेकर साल 2019 में दर्ज हुए मुकदमे में मंगलवार को अपना फैसला सुनाते हुए आजम खान की जमानत मंजूर करते हुए बड़ी राहत दी है.
आजम खान की मुश्किलें नहीं हुईं खत्म
हालांकि आजम खान की मुश्किलें अभी खत्म नहीं हुई हैं, उन्हें हाल ही में रामपुर में दर्ज हुए फर्जी दस्तावेजों के आधार पर रामपुर पब्लिक स्कूल की मान्यता लेने के आरोप में जेल में ही रहना पड़ेगा. मामले में उन्हें जेल में ही वारंट बी भी तामील कराया जा चुका है जिसमें उन्हें न्यायिक हिरासत में रखने को कहा गया है. हालांकि आजम खान के अधिवक्ता मोहम्मद खालिद और विनीत विक्रम का दावा है कि जिन मुकदमों को आधार बनाकर नया मुकदमा दर्ज कराया गया है, उसमें सीधे तौर पर आजम खान की किसी तरीके की संलिप्तता नहीं है. ऐसे में उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही इस मुकदमे में भी उन्हें राहत मिलेगी और वह सलाखों के पीछे से बाहर आएंगे.
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