भाजपा के लिए 2024 में जीत का परचम लहराने के लिए उत्तर प्रदेश खासा महत्व रखता है. जब पहली बार नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तब भी उत्तर प्रदेश की 80 में से 73 सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी. 2019 में भाजपा को 80 में से 64 सीटों पर जीत मिली. अब जब पार्टी की तैयारी नरेंद्र मोदी को तीसरी बार पीएम की कुर्सी पर बैठाने की है तब बीजेपी हारी हुई लोकसभा सीट पर भी जीत दर्ज करना चाहती है.
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लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए कमर कस ली है. यूपी बीजेपी के लिए सबसे अधिक प्राथमिकता वाला राज्य है. बीजेपी अब राज्य की उन सभी सीट पर चुनाव अभियान को गति देने जा रही है, जहां पिछले चुनाव में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था. महासंपर्क अभियान के अंतर्गत भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह क्रमश: 27 और 29 जून को श्रावस्ती और बिजनौर में रैलियों को संबोधित करेंगे. बता दें 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को श्रावस्ती और बिजनौर दोनों जगह बसपा के राम शिरोमणि वर्मा और मलूक नागर से शिकस्त का सामना करना पड़ा था.
भाजपा अब तक अपने नेताओं द्वारा जीती गई संसदीय सीट गौतम बुद्ध नगर, फिरोजाबाद, मिस्रिख, गोंडा, लखनऊ, बहराइच, एटा, लखीमपुर खीरी और कैसरगंज में अपनी रैलियों का आयोजन करती रही है. बताया जा रहा है कि प्रचार अभियान के दौरान अमित शाह और जेपी नड्डा की रैलियां आयोजित करने की योजना संभावित रूप से 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा के अभियान की दिशा तय करेगी.
दरअसल, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए अपनी पार्टी के अभियान को आगे बढ़ाने के मद्देनजर उत्तर प्रदेश में शाह और नड्डा की रैलियां काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं. अखिलेश ने उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था पर सरकार की विफलता के लिए आक्रामक रुख अख्तियार किया है. बीजेपी सोशल मीडिया संवाद, सामाजिक रूप से प्रबुद्ध वर्ग के लिए सम्मेलन, व्यापारी सम्मेलन, वरिष्ठ कार्यकर्ता बैठक, टिफिन मीटिंग भी आयोजित करती रही है.
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बीजेपी के महाजनसंपर्क अभियान के खत्म होने के बाद प्रदेश बीजेपी संगठन में कई बदलाव देखने को मिलेंगे. चर्चा है कि बीजेपी के प्रभारी के रूप में नये चेहरे की नियुक्ति हो सकती है. वर्तमान में राधामोहन सिंह यूपी के प्रभारी हैं. 2022 के चुनाव में उनके प्रभारी रहते बीजेपी ने दूसरी बार सत्ता हासिल की, लेकिन अब 2024 के लिए नए प्रभारी के नाम की चर्चा है. इसमें सीआर पाटील का नाम सबसे आगे है. इसके अलावा विधानसभा चुनाव में प्रभारी रहे केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का भी नाम इस चर्चा में शामिल है, वहीं केंद्रीय मंत्री और 2017 में यूपी विधानसभा चुनाव में समन्वय का काम देखने वाले केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव का नाम भी सामने आ रहा है.
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