1790 स्टाफ नर्सों की नियुक्ति को हरी झंडी, हर साल दो हजार भर्तियां होंगी
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand1503902

1790 स्टाफ नर्सों की नियुक्ति को हरी झंडी, हर साल दो हजार भर्तियां होंगी

स्वास्थ्य सेवाओं में स्टाफ नर्स की अहम भूमिका होती है. प्रदेश के हॉस्पिटलों में स्टाफ नर्स की कमी को दूर करने के लिए प्रदेश सरकार अलग-अलग चरणों में स्टाफ नर्सों की भर्ती करने जा रही है.

1790 स्टाफ नर्सों की नियुक्ति को हरी झंडी, हर साल दो हजार भर्तियां होंगी

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में हर साल दो हजार नर्सों की भर्ती का सरकार ने फैसला किया है. इसके पहले चरण में 1790 स्टाफ नर्सों की नियुक्ति को हरी झंडी दी गई . स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक की अगुवाई में मंगलवार को हुई बैठक में इस निर्णय पर मुहर लगी.

स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय सोसाइटी की शासी निकाय बैठक में मंगलवार को कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर मुहर लगी. उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा) आलोक कुमार, विभागीय अफसरों व महाविद्यालयों के प्रधानाचार्यों की उपस्थिति में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए. इनमें नर्सिंग सेवा परिनियमावली को स्वीकृति, महाविद्यालयों के प्रधानाचार्यों के अधिकारों में वृद्धि व अस्पतालों में गुणवत्तापूर्ण सुविधाएं उपलब्ध कराने हेतु अलग-अलग फंडों को लेकर मंजूरी प्रदान की गई. 

योजना भवन  में उप मुख्यमंत्री व सोसाइटी के पदेन अध्यक्ष ब्रजेश पाठक की अध्यक्षता में हुई मीटिंग में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के दौरान तीन अहम फैसले लिए गए. इनमें नर्सिंग सेवा परिनियमावली को मंजूरी, प्रधानाचार्यों के अधिकारों में वृद्धि व धन की व्यवस्था के लिए अलग-अलग फंड बनाने को मंजूरी दी गई. नर्सिंग सेवा परिनियमावली स्वीकृति के तहत पहले चरण में 1790 स्टाफ नर्सों की नियुक्ति होगी. नियुक्ति हेतु एसजी पीजीआई को परीक्षा कराने के निर्देश जारी किए गए हैं. तीन माह में यह प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी. उप मुख्यमंत्री ने बताया कि इसी प्रक्रिया को अपनाते हुए हर साल करीब दो हजार नर्सों की नियुक्ति की जाएगी. सरकार की ओर से जो भी वादा किया गया है, वो पूरा किया जाएगा. चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में सरकार की ओर से व्यापक स्तर पर योजनाओं को अमलीजामा पहनाया जा रहा है.

कई अहम निर्णय लिए गए

प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा) आलोक कुमार ने बताया कि दूसरे महत्वपूर्ण निर्णय के तहत इन महाविद्यालयों के प्रधानाचार्यों को नियुक्ति, छुट्टियों की मंजूरी, क्रय, अनुरक्षण व अन्य प्रशासनिक व वित्तीय अधिकारों का अनुमोदन किया गया है. इससे स्थानीय स्तर पर ही निर्णय लेने में आसानी रहेगी एवं योजनाओं के क्रियान्वयन में भी देरी नहीं होगी. महाविद्यालयों के बैंक खातों को संचालित करने के लिए भी प्रधानाचार्यों को अधिकार दे दिए गए हैं. इन बैंक खातों में जमा धन का उपयोग मरीजों व छात्रों के हित में किया जाएगा. 

यह भी पढ़ें: Uttarakhand:साइबर ठगों ने ऊर्जा सचिव को भेजा फर्जी मैसेज

आईआरएफ व्यवस्था को हरी झंडी
तीसरे अहम फैसले के तहत संबंधित संस्थानों में दवा व उपकरण खरीदने हेतु एसजी पीजीआई की तर्ज पर हॉस्पिटल रिवॉल्विंग फंड (एचआरएफ) व पैथोलॉजी, रेडियोलॉजी व मरीजों को अन्य जांचें उपलब्ध कराने के लिए इंवेस्टिगेशन रेंडरिंग फंड (आईआरएफ) की व्यवस्था को भी हरी झंडी मिल गई है. इन फंडों के जरिए स्थानीय स्तर पर ही मरीजों को सभी सुविधाएं मिल जाएंगी. डिप्टी सीएम ने सभी प्रधानाचार्यों को निर्देशित किया कि मरीजों की देखरेख में किसी तरह की कोताही न बरती जाए. स्थानीय स्तर पर ही मरीज को इलाज मिल जाए. गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल है.

WATCH: ड्रैगन फ्रूट और स्ट्रॉबेरी की खेती ने बदल दी किस्मत, लाखों रुपए कमा रहे हैं कुशीनगर के किसान

Trending news