त्रिलोकी नाथ पांडे बलिया जिले के दया छपरा गांव के रहने वाले थे. जो 1964 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आए. उनका जुड़ाव इस तरस से रहा कि उन्होंने हाई स्कूल के बाद पढ़ाई छोड़ दी.
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अयोध्या: राम लला के साख के रूप में हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक मुकदमा लड़ चुके त्रिलोकी नाथ पांडे का 24 सितंबर को लखनऊ में लंबे इलाज के बाद निधन हो गया. त्रिलोकी नाथ पांडे हाई कोर्ट के मुकदमे में रामलला के तीसरे सखा के रूप में वादी थे. हाईकोर्ट के मुकदमे में रामलला के सखा के रूप में पहले वादी जस्टिस देवकीनंदन अग्रवाल थे. वर्ष 2002 में उनके निधन के बाद बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के रिटायर्ड प्रोफेसर टीपी वर्मा शाखा के रूप में नियुक्त हुए थे और वर्ष 2010 में त्रिलोकी नाथ पांडे हाईकोर्ट में रामलला के शाखा के रूप में नियुक्त हुए.
बलिया के रहने वाले थे त्रिलोकी नाथ पांडे
त्रिलोकी नाथ पांडे बलिया जिले के दया छपरा गांव के रहने वाले थे. जो 1964 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आए. उनका जुड़ाव इस तरस से रहा कि उन्होंने हाई स्कूल के बाद पढ़ाई छोड़ दी. फिर घरवालों को दबाव में उन्होंने कुछ वर्षों बाद फिर पढ़ाई शुरू की 1975 में उन्होंने B.Ed किया था. आपातकाल में उन्होंने विरोध स्वरूप पढ़ाई छोड़ी और बलिया में प्रचारक नियुक्त हो गए. उसके बाद 1984 में विहिप ने उनको मंदिर आंदोलन से जोड़ दिया. वर्ष 1992 से वह राम जन्मभूमि मामले की अदालत में पैरवी करने के लिए आजमगढ़ से अयोध्या आ गए.
लखनऊ से लेकर दिल्ली तक करते रहे पैरवी
अयोध्या के कारसेवक पुरम में त्रिलोकी नाथ पांडे रहा करते थे. अक्टूबर 1994 में त्रिलोकी नाथ पांडे हाईकोर्ट की बेंच में राम जन्मभूमि मामले की पैरवी करने लगे. बाद में वह रामलला के सखा के रूप में घोषित हुए और पक्षकार के रुप में लखनऊ से लेकर दिल्ली तक पैरवी का क्रम जारी रहा.
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चंपत राय ने व्यक्त किया शोक
त्रिलोकी नाथ पांडे ने जीवन भर रामलला से मित्रता निभाई. राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने त्रिलोकी नाथ पांडे के निधन पर शोक व्यक्त किया है. उन्होंने कहा की राम मंदिर आंदोलन से लेकर मुकदमे की पैरवी तक त्रिलोकी नाथ पांडे का योगदान विशेष रहा है. वहीं, विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्री राजेंद्र सिंह पंकज ने कहा राम मंदिर निर्माण में उनकी भूमिका बहुत ही अहम रही और उनको सदियों तक याद रखा जाएगा.
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