Bahraich: इंडो-नेपाल सीमा पर 30 सालों से बिना मान्यता के चल रहा था मदरसा, नेपाली छात्र भी ले रहे थे शिक्षा
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Bahraich: इंडो-नेपाल सीमा पर 30 सालों से बिना मान्यता के चल रहा था मदरसा, नेपाली छात्र भी ले रहे थे शिक्षा

UP News: योगी सरकार यूपी में संचालित सभी मदरसों का सर्वे करा रही है. जिसको लेकर बहराइच के बशीरगंज मोहल्ले में संचालित एक मदरसे की जांच की गई. जांच में पता चला कि वह मान्यता के बिना विगत 30 सालों से मदरसा संचालित हो रहा था... 

Bahraich: इंडो-नेपाल सीमा पर 30 सालों से बिना मान्यता के चल रहा था मदरसा, नेपाली छात्र भी ले रहे थे शिक्षा

राजीव शर्मा/बहराइच: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार यूपी में संचालित सभी मदरसों का सर्वे करा रही है. जिस आदेश के क्रम में बहराइच के जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी संजय मिश्रा ने शहर के बशीरगंज मोहल्ले में संचालित एक मदरसे की जांच की. जांच में पता चला कि बहराइच शहर में विगत 30 सालों से संचालित मदरसे में भारतीय मूल के साथ ही नेपाल के छात्र भी शिक्षा लेते मिले. जिसकी जानकारी होते ही जांच अधिकारी भी चौंक पड़े.

एडमिशन के बारे में जांच अधिकारी ने ली जानकारी
आपको बता दें कि जब नेपाल के छात्रों के एडमीशन के बारे में जानकारी हासिल की गई तो सम्बंधित मदरसे के जिम्मेदार जांच टीम को कोई दस्तावेज नहीं दिखा सके. इस मामले में जांच टीम के अफसर संजय मिश्रा ने जानकारी दी. उन्होंने बताया कि बिना मान्यता के ये मदरसा 1992 से चल रहा है. जिसके पंजीकरण की कोई भी मान्यता किसी बोर्ड से नहीं है. ये छात्रों के भविष्य से जुड़ा हुआ बड़ी लापरवाही का मामला है. 

शिक्षा प्राप्त करने के बाद नहीं मिलता कोई अंकपत्र
उन्होंने बताया कि यहां से शिक्षा प्राप्त करने वाले किसी भी छात्र को कोई वैधानिक अंक पत्र एवं प्रमाण पत्र नहीं दिया जाता. जिससे उनका एडमीशन किसी भी मान्यता प्राप्त संस्था में नहीं हो सकता. दरअसल, ये छात्रों के भविष्य से जुड़ा हुआ बड़ा मामला है. जिसका खुलासा मदरसे के सर्वे के दौरान सामने आया है.

जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने किया निरीक्षण
आपको बता दें कि बहराइच के जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी संजय मिश्रा ने शहर के बशीरगंज इलाके में स्थित मदरसा हिदायत उल इस्लाम का सर्वे किया. इस दौरान पता चला कि उक्त मदरसा 1992 से संचालित होता चला आ रहा है. इस समय मदरसे में 265 बच्चे पढ़ रहे हैं जिन्हें पढ़ाने की जिम्मेदारी 13 शिक्षक संभाल रहे हैं. मदरसे का संचालन वार्षिक 27 लाख रुपये के रूप में मिलने वाले आवामी चंदे होना बताया गया.

सर्वे के दौरान मदरसे में पढ़ते मिले नेपाली बच्चे
दरअसल, सर्वे के दौरान जांच टीम को मदरसे में कई नेपाली मूल के बच्चे भी शिक्षा ग्रहण करते मिले. जब सर्वे टीम के अफसरों ने नेपाल के बच्चों के एडमीशन और पहचान के संबंध में दस्तावेजों की मांग मदरसा प्रबंधक से की तो, प्रबंधक ने जांच टीम को कोई जानकारी नहीं दे पाए. उन्होंने बताया कि प्रवेश के समय पहचान पत्र या अन्य कोई अभिलेख नहीं लिया गया था. वहीं, इस मामले में जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी संजय मिश्रा ने बताया कि मदरसे में 8 विदेशी बच्चे पढ़ते मिले हैं, जिन्हें नेपाल राष्ट्र का बताया जा रहा है. बता दें कि मामले की रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी.

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