बाराबंकी: 56 इंच तकनीक से रिकॉर्ड तोड़ आलू उत्पादन कर रहा किसान, योगी सरकार ने भी की तारीफ
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बाराबंकी: 56 इंच तकनीक से रिकॉर्ड तोड़ आलू उत्पादन कर रहा किसान, योगी सरकार ने भी की तारीफ

Barabanki News; राम सरन ने बताया कि पिछले साल प्रयोग के तौर पर उन्होंने यह विधि अपनाई थी, जो सफल रही. पिछले साल उन्होंने प्रति एकड़ 250 से 300 क्विंटल आलू की उपज का दावा किया है. 

बाराबंकी: 56 इंच तकनीक से रिकॉर्ड तोड़ आलू उत्पादन कर रहा किसान, योगी सरकार ने भी की तारीफ

नितिन श्रीवास्तव/बाराबंकी: केला और टमाटर के बाद अब आलू के उत्पादन में भी बाराबंकी के पद्मश्री किसान राम सरन वर्मा क्रांति ला रहे हैं. वह 56 इंच की बेड़ बनाकर एक एकड़ में 200 क्विंटल से अधिक आलू का उत्पादन कर रहे हैं. उनकी यह नई तकनीक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के किसानों की आय दोगुना करने के मिशन में मील का पत्थर भी साबित हो रहा है. साथ ही सिंचाई में जल संरक्षण को भी बल मिल रहा है, क्योंकि उनकी इस नई तकनीक से कम पानी में आलू का ज्यादा प्रोडक्शन मिल रहा है. इस तकनीक को राम सरन वर्मा ने 56 इंच तकनीक नाम दिया है. जिसकी योगी सरकार ने भी सराहना की है.

दरअसल सामान्य तौर पर अगर बात करें तो किसान क्यारियों में आलू की बुआई कर नालियां बनाते हैं, एक क्यारी में एक बीज ही पड़ता है. उसकी मोटाई करीब 12 से 14 इंच रहती है. ऐसे में आलू की उपज के लिये जगह नहीं मिल पाती और एक एकड़ में सिर्फ 100 से 120 क्विंटल आलू की ही पैदावार हो पाती है. लेकिन इन सबसे अलग बाराबंकी में हरख ब्लॉक के दौलतपुर गांव के पद्मश्री प्रगतिशील किसान राम सरन वर्मा ने चौड़ी बेड बनाकर उसमें आलू की दो लाइन की बोआई की है. इस बेड की चौड़ाई उन्होंने 56 इंच रखी है और इसीलिये इसका नाम भी उन्होंने 56 इंच तकनीक दिया है. उन्होंने बताया कि चाहे बारिश आये या तूफान इस नई तकनीक की आलू की फसल पर उसका कोई फर्क नहीं पड़ेगा.

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राम सरन वर्मा ने बेड इतनी मोटी रखी है कि आलू उत्पादन उत्पादन में उसे पर्याप्त जगह मिल सके. इसलिये उत्पादन एक एकड़ में 200 क्विंटल से अधिक होगा. राम सरन ने बताया कि पिछले साल प्रयोग के तौर पर उन्होंने यह विधि अपनाई थी, जो सफल रही. पिछले साल उन्होंने प्रति एकड़ 250 से 300 क्विंटल आलू की उपज का दावा किया है. राम सरन वर्मा के मुताबिक 56 इंच की बेड बनाने से नालियों की संख्या घटी है, इस नई तकनीक में पानी की 30 फीसदी तक बचत होती है और 40 फीसदी अधिक उत्पादन मिलता है. 

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उन्होंने बताया कि इस बार उन्होंने एक एकड़ में आलू के 40 ग्राम के 40 हजार बीज के टुकड़े डाले हैं. इस साल करीब 180 एकड़ में इस नई तकनीक से आलू की बोआई की है. राम सरन के मुताबिक आज किसान खाद के पीछे भाग रहा है. जबकि रासायनिक खाद खेत की शक्ति को कम कर देती है. आम तौर पर किसान प्रति बीघा दो बोरी खाद डालते हैं, जबकि वह केवल एक बोरी खाद ही डालते हैं. उन्होंने बताया कि आलू की बोआई का सही समय 25 अक्टूबर से पांच नवंबर तक होता है. अच्छी पैदावार के लिये किसानों को इस बीच अपने आलू की बोआई कर लेनी चाहिये.

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