जानें भगवान जगन्नाथ को किसने 'पुरी' से लाकर वृंदावन में बसाया, कहा जाता है विधवाओं का शहर, ये है रोचक इतिहास
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जानें भगवान जगन्नाथ को किसने 'पुरी' से लाकर वृंदावन में बसाया, कहा जाता है विधवाओं का शहर, ये है रोचक इतिहास

वृंदावन यमुना नदी से तीन ओर से घिरा हुआ है और यहां की प्राकृतिक छटा बहुत निराली है.... वृंदावन को विधवाओं के शहर के रूप में भी जाना जाता है. .... मथुरा का ये एक ऐसा शहर है जहां छोटे और बड़े हजारों मंदिर स्थित हैं.यहां पूरे साल पर्यटक आते रहते हैं. वृंदावन के साथ सूरदास, स्वामी हरिदास, चैतन्य महाप्रभु के नाम वृन्दावन से जुड़े हुए हैं.

जानें भगवान जगन्नाथ को किसने 'पुरी' से लाकर वृंदावन में बसाया, कहा जाता है विधवाओं का शहर, ये है रोचक इतिहास

मथुरा: देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद आज (27 जून) को वृंदावन के दौरे पर हैं.  राष्ट्रपति वृंदावन पहुंचने के बाद कई कार्यक्रमों में भाग लेंगे. वहीं, महामहिम भगवान बांके बिहारी मंदिर में दर्शन और पूजन किया. इसके बाद वृंदावन के एक आश्रम में रहने वाली निराश्रित विधवा माताओं से मुलाकात की. आइए इस रिपोर्ट में जानते हैं वृंदावन के बारे में..  

आस्था की नगरी है वृंदावन
वृंदावन को लोग आस्था की नगरी के नाम से जानते हैं. यहां पर पूरे साल भगवान श्रीकृष्ण के भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है. वृंदावन उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित एक ऐतिहासिक शहर है. वृंदावन शहर मथुरा से लगभग 10 किलोमीटर दूर आगरा-दिल्ली राजमार्ग पर स्थित है. वृंदावन ब्रज भूमि क्षेत्र के प्रमुख स्थानों में से एक है. धर्म शास्त्रों में ऐसा उल्लेख है कि भगवान श्री कृष्ण ने अपने बचपन के दिन यहीं बिताए थे.

वृंदावन धाम का इतिहास
वृंदावन धाम का प्राचीन अतीत हिंदू संस्कृति और इतिहास से जुड़ा हुआ है. ऐसा माना जाता है कि वल्लभाचार्य 11 साल की उम्र में वृंदावन आए थे.  बाद में उन्होंने भारत में 3 तीर्थस्थानों का प्रचार किया और नंगे पांव जाकर 84 स्थानों पर भगवद् गीता का प्रवचन दिया. वह हर साल करीब चार महीने वृंदावन में बिताते थे. 1515 में चैतन्य महाप्रभु द्वारा खोजा गया.चैतन्य महाप्रभु ने भगवान श्री कृष्ण के पारलौकिक अतीत से जुड़े खोए हुए पवित्र स्थानों का पता लगाने के उद्देश्य से वृंदावन की यात्रा की थी. 

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अन्य कथा भी प्रचलित
अन्य कथा भी प्रचलित है. ऐसा कहा जाता है कि करीब 500 साल पहले पंजाब प्रांत से आए भगवान श्रीकृष्ण के साधक संत हरिदास यमुना किनारे साधना करते थे. एक रात संत हरिदास को स्वप्न में भगवान जगन्नाथ दिखाई दिए. भगवान ने उन्हें आदेश दिया कि हरिदास तुम मेरी बड़े भक्त हो , मेरी इच्छा है कि तुम  जगन्नाथपुरी आओ. जिसके बाद हरिदास भगवान की इच्छाननसार जगन्नाथपुरी के लिए चल दिए. वह पुरी जा ही रहे थे कि रास्ते में पड़ाव के दौरान एक बार फिर भगवान ने उ उनको सपने में आकर कहा कि हरिदास जब पुरी जा रहे हो, तो वहां मेरा विग्रह परिवर्तित किया जाएगा. जो हर बार 36 साल में एक बार किया जाता है और उस विग्रह परिवर्तित को समुद्र में प्रवाह कर दिया जाता है. भगवान ने हरिदास से कहा कि तुम इस विग्रह परिवर्तन को समुद्र में ना बहाने देना और अपने साथ वृंदावन ले जाकर स्थापित कर देना. इसलिए वृंदावन धाम अपने प्राचीन इतिहास के कारण प्रसिद्ध है.

वृंदावन के मुख्य मंदिर 
बांके बिहारी मंदिर
इस्कॉन मंदिर
प्रेम मंदिर
श्री राधा रमण मंदिर
गोपेश्वर महादेव मंदिर वृन्दावन
श्री रघुनाथ मंदिर
कात्यायनी शक्तिपीठ
शाहजी मंदिर

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वृंदावन के प्रमुख आकर्षण 
वृंदावन में देखने लायक बहुत से अन्य जगहें
श्री राधा दामोदर मंदिर
मदन मोहन मंदिर
पागल बाबा मंदिर
सेवा कुंज, 
केसी घाट, जयपुर मंदिर
यमुना नदी
कुसुम सरोवर, बरसाना

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वृंदावन यमुना नदी से तीन ओर से घिरा हुआ है और यहां की प्राकृतिक छटा बहुत निराली है. वृंदावन को विधवाओं के शहर के रूप में भी जाना जाता है. यहां पर बहुत से विधवा आश्रम हैं.  यहां विधवाओं की बड़ी तादात है. इसके अलावा यहां पर सैंकड़ों आश्रम और गौशालाएं भी हैं. मथुरा का ये एक ऐसा शहर है जहां छोटे और बड़े हजारों मंदिर स्थित हैं.यहां पूरे साल पर्यटक आते रहते हैं. वृंदावन के साथ सूरदास, स्वामी हरिदास, चैतन्य महाप्रभु के नाम वृन्दावन से जुड़े हुए हैं.

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