भानु प्रताप सिंह और उनका संगठन 26 जनवरी से पहले किसान आंदोलन में शामिल था. गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली में लाल किले पर हुई हिंसा के बाद भानु प्रताप सिंह अपने संगठन के साथ इस आंदोलन से अलग हो गए थे.
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नई दिल्ली: भारतीय किसान यूनियन के भानु गुट ने भारत बंद का विरोध करते हुए राकेश टिकैत व संयुक्त किसान मोर्चा के अन्य किसान नेताओं पर जमकर हमला बोला है. भाकियू (भानु) के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने कहा कि किसान नेताओं के इस भारत बंद से देश की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा. उन्होंने कहा कि क्या भारत बंद करके यह (राकेश टिकैत) अपनी आतंकवादी गतिविधियों को और बढ़ाना चाहते हैं.
टिकैत भारत में तालिबानी गतिविधियों को बढ़ावा देना चाहते हैं
भानु प्रताप ने कहा कि आतंकी संगठन तालिबान ने अफगानिस्तान में कब्जा किया. लगता है कि राकेश टिकैत भी भारत में उस तरह की गतिविधियों को बढ़ाना चाहते हैं. इनकी सोच तो ठीक नहीं लगती है. भानु प्रताप सिंह ने कहा कि राकेश टिकैत खुद को किसान नेता कहते हैं और फिर भारत बंद की घोषणा करते हैं, जो अर्थव्यवस्था और किसानों को प्रभावित करता है. इससे किसी का भला भी कैसे होता है. वह इस तरह की गतिविधियों को जारी रखते हुए तालिबान के नक्शे कदम पर चलना चाहते हैं.
राकेश टिकैत को ठग, आंदोलन को कांग्रेस सरकार की फंडिंग
उन्होंने कहा कि मैं भारतीय किसान यूनियन के ब्लॉक, जिला, मंडल और प्रदेश के सभी पदाधिकारियों का आह्वान करता हूं कि भारत बंद का सहयोग ना करें, इसका विरोध करें. ऐसे संगठन जो आतंकी गतिविधियों में शामिल हैं उनको सरकार दबाने की कोशिश करे. भानु प्रताप सिंह कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे राकेश टिकैत पर लगातार हमला बोलते रहते हैं. उन्होंने राकेश टिकैत को ठग बताया और आरोप लगाया कि किसान आंदोलन पंजाब की कांग्रेस सरकार की फंडिंग से चल रहा है.
#WATCH | "...They (Rakesh Tikait) call themselves 'kisan neta & then announce Bharat Bandh, which affects economy & farmers. How does it even benefit anyone? They want to follow in footsteps of Taliban by continuing similar activities...": Bhanu Pratap Singh, BKU-BHANU President pic.twitter.com/WQri1UMAH4
— ANI (@ANI) September 27, 2021
भाकियू भानु गुट ने 26 जनवरी को वापस ले लिया था आंदोलन
यह कोई पहली बार नहीं है जब भानु प्रताप सिंह ने राकेश टिकैत और संयुक्त किसान मोर्चा के किसान नेताओं पर हमला बोला है. इस साल मार्च महीने में भानु प्रताप ने कहा था कि सिंघु बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर, टीकरी बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसान संगठन कांग्रेस के खरीदे हुए और भेजे हुए हैं. कांग्रेस इनको फंडिंग कर रही है. इस बात का पता हमें 26 जनवरी को ही चल गया था. जब हमें मालूम पड़ा कि इन्होंने 26 जनवरी को पुलिस पर हमला किया और लाल किले पर दूसरा झंडा फहराया, उसी दिन हमने अपना समर्थन वापस ले लिया और आंदोलन खत्म कर वापस चले आए.
इस आंदोलन का 26 नवंबर 2021 को एक वर्ष पूरा होने वाला है
भानु प्रताप सिंह और उनका संगठन 26 जनवरी से पहले किसान आंदोलन में शामिल था. गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली में लाल किले पर हुई हिंसा के बाद भानु प्रताप सिंह अपने संगठन के साथ इस आंदोलन से अलग हो गए थे. उन्होंने आरोप लगाए कि जहां पर किसान एकत्र हैं वहां काजू, बादाम, पिस्ता, किशमिश और शराब की बोतलें मिल रही हैं. असली किसान आंदोलन में नहीं हैं, वहां केवल शराब पीने वाले और नोट लेने वाले लोग हैं. इस आंदोलन का 26 नवंबर 2021 को एक वर्ष पूरा होने वाला है. मोदी सरकार ने 17 सितंबर 2020 को अध्यादेश के जरिए तीनों कृषि कानून ले आई थी, जिसे बाद में संसद के दोनों सदनों से पास कराया गया.
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