Chhath Puja 2022: मां सीता ने भी की थी 'छठ पूजा',उनके चरण चिह्न देते हैं सबूत, महाभारत काल से भी है नाता
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand1414373

Chhath Puja 2022: मां सीता ने भी की थी 'छठ पूजा',उनके चरण चिह्न देते हैं सबूत, महाभारत काल से भी है नाता

Chhath Puja 2022 Mistakes: छठ साल में दो बार मनाया जाता है. चैत्र के महीने में पड़ने वाली छठ पूजा को चैती छठ कहा जाता है तो कार्तिक मास में पड़ने वाले छठ को कार्तिकी छठ कहा जाता है....

Chhath Puja 2022: मां सीता ने भी की थी 'छठ पूजा',उनके चरण चिह्न देते हैं सबूत, महाभारत काल से भी है नाता

Chhath Puja 2022: उत्तर प्रदेश और खासकर बिहार में छठ का विशेष महत्व है. छठ सिर्फ एक पर्व नहीं है, बल्कि महापर्व है, जो पूरे चार दिन तक चलता है. नहाए-खाए से इसकी शुरुआत होती है, जो डूबते और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर समाप्त होती है. पारिवारिक सुख-समृद्धि और मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए ये पर्व मनाया जाता है. इसका एक अलग ऐतिहासिक महत्व भी है.

मां सीता ने भी की थी सूर्यदेव की पूजा
छठ पूजा की परंपरा कैसे शुरू हुई, इस संदर्भ में कई कथाएं प्रचलित हैं. एक मान्यता के अनुसार, जब राम-सीता 14 साल के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे, तब रावण वध के पाप से मुक्त होने के लिए उन्होंने ऋषि-मुनियों के आदेश पर राजसूर्य यज्ञ करने का फैसला लिया. पूजा के लिए उन्होंने मुग्दल ऋषि को आमंत्रित किया. मुग्दल ऋषि ने मां सीता पर गंगाजल छिड़ककर पवित्र किया और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को सूर्यदेव की उपासना करने का आदेश दिया. इससे सीता ने मुग्दल ऋषि के आश्रम में रहकर छह दिनों तक सूर्यदेव भगवान की पूजा की थी. सप्तमी को सूर्योदय के समय फिर से अनुष्ठान कर सूर्यदेव से आशीर्वाद प्राप्त किया था.

Chhath Puja 2022: छठ पूजा के पहले दिन बनता है कद्दू-भात का प्रसाद, जानें नहाय खाय की सही विधि

महाभारत काल से हुई थी छठ पर्व की शुरुआत
हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, कथा प्रचलित है कि छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल से हुई थी. इस पर्व को सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने सूर्य की पूजा करके शुरू किया था. कहा जाता है कि कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे और वो रोज घंटों तक पानी में खड़े होकर उन्हें अर्घ्य देते थे. सूर्य की कृपा से ही वह महान योद्धा बने. आज भी छठ में अर्घ्य दान की यही परंपरा प्रचलित है.

Chhath Puja 2022: ठेकुआ बिना अधूरा है छठ का महापर्व, पूजा के इस प्रसाद के फायदे जान हो जाएंगे हैरान

द्रोपदी ने भी रखा था छठ व्रत
छठ पर्व के बारे में एक कथा और भी है. इस किवदंती के मुताबिक, जब पांडव सारा राजपाठ जुए में हार गए, तब द्रोपदी ने छठ व्रत रखा था. इस व्रत से उनकी मनोकामना पूरी हो गई थी और पांडवों को सब कुछ वापस मिल गया. लोक परंपरा के अनुसार, सूर्य देव और छठी मईया का संबंध भाई-बहन का है इसलिए छठ के मौके पर सूर्य की आराधना फलदायी मानी गई.

क्या है छठ का पौराणिक महत्व
इन कथाओं के अलावा एक और किवदंती भी प्रचलित है. पुराणों के अनुसार, प्रियव्रत नामक एक राजा की कोई संतान नहीं थी. इसके लिए उसने हर जतन कर कर डाले, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. तब उस राजा को संतान प्राप्ति के लिए महर्षि कश्यप ने उसे पुत्रयेष्टि यज्ञ करने का परामर्श दिया. यज्ञ के बाद महारानी ने एक पुत्र को जन्म दिया, लेकिन वह मरा पैदा हुआ. राजा के मृत बच्चे की सूचना से पूरे नगर में शोक छा गया. कहा जाता है कि जब राजा मृत बच्चे को दफनाने की तैयारी कर रहे थे, तभी आसमान से एक ज्योतिर्मय विमान धरती पर उतरा.  इसमें बैठी देवी ने कहा, 'मैं षष्ठी देवी और विश्व के समस्त बालकों की रक्षिका हूं।' इतना कहकर देवी ने शिशु के मृत शरीर को स्पर्श किया, जिससे वह जीवित हो उठा. इसके बाद से ही राजा ने अपने राज्य में यह त्योहार मनाने की घोषणा कर दी.

छठी मैया की पूजा का महत्व
छठ पर्व सूर्यदेव की उपासना और छठी मैया का पूजा करने महापर्व है. इस पर्व पर उगते और डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है. छठ पूजा पर छठी मैया की पूजा और लोकगीत गाया जाता है. शास्त्रों के अनुसार छठ देवी भगवान ब्रह्माजी की मानस पुत्री और सूर्यदेव की बहन हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ब्रह्माजी ने सृष्टि रचने के लिए स्वयं को दो भागों में बांट दिया,जिसमें दाहिने भाग में पुरुष और बाएं भाग में प्रकृति का रूप सामने आया. सृष्टि की अधिष्ठात्री प्रकृति देवी ने अपने आपको छह भागों में विभाजित किया. इनके छठे अंश को सर्वश्रेष्ठ मातृ देवी या देवसेना के रूप में जाना जाता है. प्रकृति का छठा अंश होने के कारण इनका एक नाम षष्ठी है, जिसे छठी मैया के नाम से जाना जाता है. शिशु के जन्म के छठे दिन भी इन्हीं की पूजा की जाती है. इनकी उपासना करने से बच्चे को स्वास्थ्य,सफलता और दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है.  नवरात्रि पर षष्ठी तिथि को इनकी पूजा की जाती है.

Gopashtami 2022: कब है गोपाष्टमी, जानें सही डेट, शुभ मुहूर्त के साथ पूजा विधि और महत्व

दो बार बनाया जाता है छठ का पर्व
छठ पर्व दो बार मनाया जाता है पहला चैत्र माह में और दूसरा कार्तिक माह में. यह पर्व सूर्यदेव की उपासना के लिए प्रसिद्ध है. मान्यता है कि छठी मैय्या सूर्यदेव की बहन हैं, इसलिए छठी मैय्या को प्रसन्न करने के लिए सूर्यदेव की पूजा की जाती है. नदियों या तालाब के तट पर सूर्यदेव की आराधना की जाती है.  इस पर्व को मनाने वाले लोग खीर, गुड़ की पूड़ियां, सादी पूरियां और अलग-अलग तरह की मिठाइयां बनाते हैं.

Chhath Puja 2022: छठ पूजा के दौरान भूलकर भी ना करें ये काम,गलती होने पर व्रत हो जाता है भंग

 

Trending news