Ajab-Gajab: चित्रकूट के बच्चे की 'तीसरी आंख' होने का दावा, आंखों में पट्टी बांध धड़ल्ले से अखबार पढ़ता है 8वीं का छात्र यश
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Ajab-Gajab: चित्रकूट के बच्चे की 'तीसरी आंख' होने का दावा, आंखों में पट्टी बांध धड़ल्ले से अखबार पढ़ता है 8वीं का छात्र यश

Chitrakoot News: यूपी के चित्रकूट जिले का एक छात्र ऐसी कला में माहिर हो चुका है, जिसे सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे. दरअसल ये छात्र कक्षा 8वीं में पढ़ता है और अपनी आंखों पर पट्टी बांध कर किताब, कॉपी और पेपर पढ़ लेता है. इतना ही नहीं वह आंख पर पट्टी बांध कर कई काम कर लेता है.

Chitrakoot incredible boy Yash Patel

ओंकार सिंह/चित्रकूट: अगर कोई आपसे आंखों पर पट्टी बांधकर कुछ पढ़ने, सुई में धागा डालने और साइकिल चलाने को कहे तो क्या आप ऐसा कर पाएंगे? आमतौर पर यह मुमकिन नहीं है, लेकिन आज हम आपको ऐसे ही एक प्रतिभाशाली लड़के के बारे में बताने जा रहे हैं जो आंख में काली पट्टी बांधकर ये सारे काम धड़ल्ले से कर लेता है. ये अद्भुत बच्चा है चित्रकूट का यश पटेल. 

यश कक्षा 8वीं में पढ़ता है. उसकी मां बसंती देवी सरकारी स्कूल में शिक्षिका हैं. जबकि पापा नवल किशोर पटेल रेलवे में सीनियर सेक्शन इंजीनियर हैं. यश आंख में पट्टी बांधकर अखबार पढ़ लेता है. सुई में धागा डाल लेता है और कलर भी पहचान लेता है. जहां आंख में पट्टी बांधकर पैदल चलना संभव नहीं हो पाता है, वहां 13 साल का यश साइकिल भी चला लेता है.  

मेडिटेशन के जरिए जागृत करते हैं शरीर के सातों चक्र
यश से जब पूछा गया कि अखबार पढ़ते समय कैसे समझ में आता है कि क्या लिखा हुआ है? इस पर वह बताते हैं कि जब वह अपनी थर्ड आई खोलते हैं तो पहले ब्लर दिखता है. हालांकि, थोड़े प्रयास के बाद उनको साफ-साफ समझ आता है कि अखबार में क्या लिखा हुआ है.  

यश ने बताया कि वह ऐसी सारी चीजें अपनी तीसरी आंख की मदद से करते हैं. जिसमें मेडिटेशन का सबसे बड़ा योगदान है. उनका कहना है कि मेडिटेशन से आत्मविश्वास बढ़ता है. यश ने बताया कि वह पहले अपने शरीर के सातों चक्र को जागृत करते हैं. उसके बाद वह बिना देखे अखबार पढ़ने से लेकर सुई में धागा तक डाल लेते हैं. यश ने बताया कि वह मेडिटेशन करके अध्यात्म से जुड़ते हैं. इसके लिए उनकी मां बहुत सपोर्ट करती हैं. 

"सभी के अंदर होती हैं प्रतिभाएं, बस पहचानने की जरूरत"
वहीं यश की मां अपने बेटे की प्रतिभा को देख बेहद खुश हैं. उन्होंने कबीरदास का दोहा "गुरु कुम्हार शिष कुम्भ कि गढ़ि गढ़ि काढै खोट। अन्तर हाँथ सहार दै, बाहर बाहै चोट।।" पढ़ते हुए कहा कि आप बच्चों को जैसा बनाना चाहें बना सकते हैं. प्रतिभाएं सभी के अंदर होती हैं बस उनको पहचानने की जरूरत होती है. तीसरी आंख सभी के पास होती है, उसे जागृत करना पड़ता है. उन्होंने बताया कि यश ने मेडिटेशन शुरू किया तभी यह संभव हो पाया. धीरे-धीरे हम लोग उसका सहयोग करने लगे. उन्होंने बताया कि नवंबर से यश लगातार अभ्यास करने लगा था, जिससे उसकी इस प्रतिभा में निखार आया है. 

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