कुल्हड़ हो या दीपावली के मौके पर आपके घर आने वाला मिट्टी का दिया, बर्तन से लेकर सुराही तक इलेक्ट्रिक चाक (electric chak) से तैयार होंगी. यह सब मुमकिन होगा योगी सरकार की एक पहल के जरिए. इसके तहत माटी कलाकारों को इलेक्ट्रिक चाक के अलावा लक्ष्मी और गणेश की मूर्ति का सांचा मुहैया करा रही है. आइए जानते हैं क्या है पूरी स्कीम और कैसे इससे कुम्हारों से लेकर पर्यावरण को मजबूती मिलेगी.
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अंशुमान पांडे/सोनभद्र: कुल्हड़ और मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हारों की तकदीर बदलने वाली है. ये सबकुछ होगा इलेक्ट्रिक चाक की बदौलत. योगी सरकार माटी कलाकारों को प्रोत्साहन देने के लिए इलेक्ट्रिक चाक और दीपावली के त्यौहार पर लक्ष्मी गणेश की मूर्ति को लेकर सांचा बांट रही है. 26 अगस्त को सोनभद्र जिले में खादी ग्रामोद्योग व माटी कला बोर्ड ने प्रशिक्षित कुम्हारों को निःशुल्क इलेक्ट्रॉनिक चाक मुहैया कराया है. इस मौके पर 25 माटी कलाकारों को इलेक्ट्रिक चाक और सांचा वितरित किया गया. इससे हाशिए पर पड़े माटी कलाकारो को आमदनी बढ़ाने में मदद मिलेगी. माटी कला बोर्ड के सदस्य हरेन्द्र प्रजापति ने कहा कि इससे वह दीपावली तक मूर्ति का निर्माण करके अपनी आमदनी बढ़ा सकेंगे. इसके साथ ही बोर्ड ने सीएम योगी के सामने यह प्रस्ताव रखा है कि माटी कलाकरों को इलेक्ट्रिक चाक चलाने के लिए 500 महीने बिजली का खर्च दिया जाए.
पीएम की अपील का असर
सोनभद्र में मिट्टी के बर्तन व कुम्हारों के जीवन स्तर को उठाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) ने सिंगल यूज प्लास्टिक व थर्माकोल से बने बर्तनों का चलन बंद करने की अपील कर चुके हैं. प्रदेश सरकार भी प्लास्टिक का चलन रोकने के लिए प्रतिबद्ध है. ऐसी दशा में मिट्टी से तैयार बर्तनों को बढ़ावा दिया जाना है. इससे प्रदूषण में भी कम होगा. प्लास्टिक की बजाए मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करने से लोगों की सेहत भी अच्छी रहेगी.
जिला खादी ग्रामोद्योग अधिकारी विनोद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि जिले में खादी ग्रामोद्योग विभाग द्वारा संचालित योजनाओं का पात्र लाभार्थियों को लाभ दिया जा रहा है. आज 25 लाभार्थियों को इलेक्ट्रिक चाक और लक्ष्मी गणेश की मूर्ति का सांचा दिया गया है. इसके साथ ही प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री ग्रामोद्योग के तहत लोन दिया जाता है. वहीं लाभार्थी फूलमती ने बताया कि सरकार की योजना सराहनीय है. पहले हम लोग चाक को हाथ से घुमाकर मिट्टी के बर्तन बनाते थे जिसमें समय व मेहनत अधिक उत्पादन कम था. लेकिन इलेक्ट्रिक चाक मिल जाने से प्रॉडक्शन दोगुना हो जाएगा. दरअसल पिछले मिट्टी के बर्तनों की मांग बढ़ी है लोग चाय व लस्सी कुल्हड़ में पसन्द कर रहे है और मिट्टी के बर्तनों की प्राथमिकता दे रहे हैं. हमारी आमदनी बढ़ जाएगी, जिससे परिवार की आजीविका अच्छे से चलेगी.