यूपी के इस शहर की बात निरालीः जलेसर के घुंघरू-घंटा उद्योग की देश-विदेश तक है पहचान, जानें इससे जुड़ी दिलचस्प बातें
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यूपी के इस शहर की बात निरालीः जलेसर के घुंघरू-घंटा उद्योग की देश-विदेश तक है पहचान, जानें इससे जुड़ी दिलचस्प बातें

यूपी के एटा जिले के जलेसर में बने घुंघरू, घंटे, घंटी और पीतल के अन्य उत्पादों की सप्लाई दूर-दूर तक की जाती है. यहां बनी घंटियों की गूंज देश ही नहीं विदेशों के मंदिरों में भी सुनाई देती है. यहां पर घंटियां बनाने का कारोबार बहुत बड़ा है.

यूपी के इस शहर की बात निरालीः जलेसर के घुंघरू-घंटा उद्योग की देश-विदेश तक है पहचान, जानें इससे जुड़ी दिलचस्प बातें

एटाः अगर आप उत्तर प्रदेश के अलग-अलग शहरों से जुड़ी वहां की खासियत और ऐतिहासिक जानकारियों को जानने में दिलचस्पी रखते हैं, तो यह जानकारी आपको जरूर अच्छी लगेगी. यूपी में आज भी ऐसे अनगिनत किस्से दफन हैं, जिनके बारे में शायद आप जानते भी नहीं होंगे. ये किस्से उत्तर प्रदेश की ऐतिहासिक धरोहर हैं. यूपी के जिलों की खास बात यह है कि हर जिले की एक अलग विशेषता है, जो सभी जिलों को एक-दूसरे से अलग पहचान देती है.

इसी क्रम में आज हम एटा के बारे में बात करेंगे. एटा का पीतल बहुत मशहूर है. एटा जिले के जलेसर को मंदिर में लगने वाले घंटों के लिए जाना जाता है. इन्हें बनाने वाला पीतल भी यहीं तैयार किया जाता है. जलेसर का 'घुंघरू-घंटा उद्योग' देश-विदेश तक अपनी पहचान रखता है. आज जानेंगे इस उद्योग से जुड़ी हर एक दिलचस्प बात...

यूपी के एटा जिले के जलेसर में बने घुंघरू, घंटे, घंटी और पीतल के अन्य उत्पादों की सप्लाई दूर-दूर तक की जाती है. यहां बनी घंटियों की गूंज देश ही नहीं विदेशों के मंदिरों में भी सुनाई देती है. यहां पर घंटियां बनाने का कारोबार बहुत बड़ा है. जानकारी के मुताबिक, जलेसर में 350 फैक्ट्रियों में घंटा बनाने का काम किया जाता है. 

इस खासियत के लिए है मशहूर
पूरी दुनिया में यहां का बना घुंघरू और घंटे को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. यहां निर्मित घंटे की सबसे बड़ी खासियत यह बताई जाती है कि इसे बजाने पर ओम की ध्वनि निकलती है, जो दुनिया के किसी घंटे से नहीं निकलती.

ऐसे तैयार किया जाता है घंटा
सबसे पहले कॉपर और जिंक को मिलाकर पीतल तैयार किया जाता है. फिर तैयार पीतल को पिघलाया जाता है. जिसके लिए इसे 900 डिग्री तापमान पर गर्म करते है. इसके बाद जलेसर की मिट्टी को सांचे के माध्यम से घंटे का आकार दिया जाता है. इसमें पिघला हुआ पीतल डाला जाता है. फिर सांचे को तोड़कर घंटा निकाल लेते हैं. इस काम में हुनर और सावधानी जरूरी है. इस तरह से घंटा तैयार किया जाता है. इसके बाद इस पर घिसाई, नक्काशी और पॉलिश किया जाता है.

पीढ़ियों से चला आ रहा यह काम
जलेसर में घुंघरू और घंटी बनाने के पुस्तैनी कारीगर है. जो कई पीढ़ियों से इस काम को कर रहे हैं. बताया जाता है कि पुराने समय में राजाओं के दरबारों की शान भी एटा के बने घुंघरु रहे हैं. वहीं, हिंदी फिल्मों में फिल्माए गए ज्यादातर डांस सीन और मुजरे जलेसर के बने घुंघरुओं पर ही फिल्माए गए हैं. 

यहां के घंटों की देश-विदेश में है डिमांड 
यहां के व्यापारियों के मुताबिक, घुंघरू और घंटे बनाने के लिए यहां कि रेतीली मिट्टी बिल्कुल सही है. यहां निर्मित घंटे की देश में उज्जैन, महाराष्ट्र, दिल्ली, मुंबई, इंदौर, पूना, आगरा, मथुरा, मुरादाबाद, कानपुर के साथ-साथ दक्षिण भारत में डिमांड है. श्री राम की जन्मभूमि अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में लगाया जाने वाला घंटा भी यहीं पर तैयार किया जा रहा है. भव्य राम मंदिर के लिए बनाया जा रहा घंटा बहुत विशाल है. इसके साथ ही अमेरिका, ब्रिटेन, लंदन, पेरिस, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, सिंगापुर, मलेशिया, कंबोडिया, जॉर्डन, सऊदी अरब, यूएई जैसे देशों में भी भेजे जाते हैं. 

ऐतिहासिक कस्बा है जलेसर
जलेसर एक ऐतिहासिक कस्बा है,  कहा जाता है कि यह पूर्व में मगध के शासक जरासंध की राजधानी था. यूपी का यह जिला विशे,कर पीतल की घंटियों और घुंघरू के लिए जाना जाता है. घंटियों को बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला सामान इस क्षेत्र में आसानी से मिलता है. 

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