शुरूआत से ही विपक्ष किसानों के कंधे पर बंदूक रख केन्द्र सरकार पर सियासी निशाना साध रहा था. आए दिन विपक्षी नेता आंदोलन के सहारे ना सिर्फ केन्द्र सरकार पर हमला बोल रहे थे.
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झांसी: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा के साथ ही विपक्ष का सियासी खेल भी शुरू हो गया है. इधर पीएम मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में तीनों कानूनों को रद्द करने की बात की. उधर विपक्षी नेता इस फैसले का सियासी फायदा उठाने में जुट गए हैं.
विपक्षी नेताओं के अरमानों पर फेरा पानी
दरअसल, शुरूआत से ही विपक्ष किसानों के कंधे पर बंदूक रख केन्द्र सरकार पर सियासी निशाना साध रहा था. आए दिन विपक्षी नेता आंदोलन के सहारे ना सिर्फ केन्द्र सरकार पर हमला बोल रहे थे. बल्कि किसानों को 'भड़काने' का भी काम कर रहे थे, लेकिन पीएम के एक फैसले ने विपक्षी नेताओं के अरमानों पर पानी फेर दिया.
पीएम मोदी का संबोधन खत्म होने के कुछ देर बाद ही बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान उन्होंने भले ही पीएम मोदी के फैसले का स्वागत किया. लेकिन, MSP पर कानून की बात कर जाहिर कर दिया कि वो सिर्फ और सिर्फ सियासत को जहन में रखकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करने आई हैं. उधर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कृषि कानूनों की वापसी पर अपनी राय रखी. अखिलेश यादव मायावती से एक कदम आगे बढ़कर बोलते हुए कहा कि कृषि कानून के विरोध में सबसे ज्यादा प्रदर्शन सपा कार्यकर्ताओं ने किया.
प्रियंका गांधी भी मौदान में कूद पड़ीं
मौके को भांपते हुए प्रियंका गांधी भी मौदान में कूद पड़ीं. कृषि कानूनों की वापसी पर तंज कसते हुए प्रियंका ने कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार को किसानों की कोई परवाह नहीं है. प्रियंका के अलावा अखिलश यादव के नई साथी ओम प्रकाश राजभर और असदुद्दीन ओवैसी ने भी फैसले पर राजनीति करने से बाज नहीं आए. बहरहाल, एक तरफ किसान कृषि कानून हटने की खुशी में जश्न मना रहे हैं तो दूसरी ओर विपक्ष अपना सियासी नफा नुकसान देखते हुए. फैसले को राजनीतिक रंग देने पर तूला है.
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