Firozabad: सोलर चरखों से रोशन हुआ खादी, महिलाओं को मिला रोजगार, रोजाना कमाती हैं इतने रुपये
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Firozabad: सोलर चरखों से रोशन हुआ खादी, महिलाओं को मिला रोजगार, रोजाना कमाती हैं इतने रुपये

Firozabad News: फिरोजाबाद के कंथरी गांव स्थित भारतीय खादी ग्राम सेवा संस्थान को 25 सोलर चरखे दिए गए हैं. सोलर चरखों की मदद से अब तक गांव की महिलाएं हाई-टेक चरखे से सूत कातती हैं. यह हाई-टेक चरखा समय बचाता है. इसके साथ ही आधुनिक चरखे से सूत कातने पर उनकी रोजाना की आमदनी भी बढ़ गई है. बता दें कि ये सोलर चरखे खादी ग्राम उद्योग बोर्ड द्वारा दीन दयाल उपाध्याय सोलर चरखा मिशन के अंतर्गत दिए गए हैं. 

Firozabad: सोलर चरखों से रोशन हुआ खादी, महिलाओं को मिला रोजगार, रोजाना कमाती हैं इतने रुपये

प्रेमेन्द्र कुमार/फिरोजाबाद: यूपी के फिरोजाबाद (Firozabad News) जिले में खादी को बढ़ावा देने के लिए हाई-टेक कदम उठाए गए हैं. जिले के एक गांव में दो दर्जन से अधिक महिलाओं को सोलर चरखे दिए गए हैं. यह चरखे सौर ऊर्जा से चलते हैं. इन चरखों से सूत की गुणवत्ता में सुधार हुआ है और बुनकर का कार्य करने वाली महिलाओं की आमदनी भी बढ़ी है. इससे आम चरखे की अपेक्षा बारह गुना अधिक सूत की कताई होती है. साथ ही धागे की गुणवत्ता भी बढ़ी है. इस सूत का खादी बुनकर अच्छा मेहनताना देते है. 

आमदनी में हुई बढ़ोतरी 
फिरोजाबाद जिले के ग्राम कंथरी स्थित भारतीय खादी ग्राम सेवा संस्थान को खादी ग्राम उद्योग बोर्ड द्वारा दीन दयाल उपाध्याय सोलर चरखा मिशन अंतर्गत 25 सोलर चरखे उपलब्ध कराये हैं. अब तक गांव की तमाम महिलाएं हाथ का चरखा चलाकर सूत कातती हैं. महिलाओं ने बताया कि पहले सूत की कताई कर वह रोजाना 30 से 40 रुपये ही कमाती थीं. अब वह आधुनिक चरखे से सूत कातकर 150 से 200 रुपये कमाई कर लेती हैं. 

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2018 में यूपी में शुरू हुई थी स्कीम 
केंद्र सरकार ने सोलर चरखा मिशन के तहत इन महिलाओं को सूरज की रोशनी से चलने वाले आधुनिक चरखा थमा दिये है. सोलर चरखा मिशन की शुरुआत साल 2016 में हुई थी. यह योजना केंद्र सरकार के माइक्रो, स्मॉल एंड माइक्रो इंडस्ट्रीज मंत्रालय की तरफ से चलाई गई थी. उत्तर प्रदेश में साल 2018 में इस स्कीम का शुभारंभ किया गया. इस योजना के प्रथम चरण में सरकार ने पांच हजार सोलर चरखे बांटने का लक्ष्य रखा है. यह योजना स्प्रिनरो, सिलाई करने वालों, बुनकरों और खादी ग्रामोद्योग से जुड़े लोगों को आत्मनिर्भर बनाने में मददगार साबित होगी. इससे कामगारों का ग्रामीण अंचलों से शहर की तरफ पलायन भी रुकेगा.

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