ज्ञानवापी मामले पर विश्व हिंदू परिषद ने 11 और 12 जून को बुलाई बैठक
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ज्ञानवापी मामले पर विश्व हिंदू परिषद ने 11 और 12 जून को बुलाई बैठक

ज्ञानवापी मामले पर पूरे देश की निगाहें हैं. एक तरफ कोर्ट के आदेश से सर्वे का काम चल रहा है, हर दिन नए-नए खुलासे हो रहे हैं. इस मामले में सियासी बयानबाजी जोरों पर है. वहीं, अब संत समाज भी ज्ञानवापी मामले की लेकर गोलबंद होने लगा है.

ज्ञानवापी मामले पर विश्व हिंदू परिषद ने 11 और 12 जून को बुलाई बैठक

अयोध्या: ज्ञानवापी मामले पर पूरे देश की निगाहें हैं. एक तरफ कोर्ट के आदेश से सर्वे का काम चल रहा है, हर दिन नए-नए खुलासे हो रहे हैं. इस मामले में सियासी बयानबाजी जोरों पर है. वहीं, अब संत समाज भी ज्ञानवापी मामले की लेकर गोलबंद होने लगा है. इसी की तहत विश्व हिंदू परिषद ने 11 और 12 जून को बड़ी बैठक बुलाई है. हरिद्वार में विहिप के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक आयोजित गई है. इस बैठक में विहिप के पदाधिकारी व देशभर के कई बड़े प्रमुख संत शामिल होंगे.

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ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग का मिलना सुखद परिणाम: शरद शर्मा
विहिप के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने बताया कि ज्ञानवापी मामले पर चल रहे सर्वे और वीडियोग्राफी का कार्य लगभग 80 प्रतिशत पूरा हो चुका है. ऐसे में जो साक्ष्य मिले हैं, वो सनातन धर्म को मानने वाले हैं. लोगों ने दावा किया है कि ज्ञानवापी के अंदर स्थित तालाब से बाबा का शिवलिंग मिला है. साथ ही तहखाने में तमाम शीला पट व अन्य साक्ष्य मिले हैं, जो इस तरफ इशारा करते हैं कि वहां पर कभी मंदिर रहा होगा. सर्वे और वीडियोग्राफी का मुस्लिम समाज के लोगों ने विरोध भी किया था. बावजूद इसके कोर्ट के आदेश के अनुरूप सर्वे का कार्य लगभग 80 प्रतिशत पूरा हो चुका है.

बैठक में राम मंदिर के बाद ज्ञानवापी मामले पर होगा मंथन
बता दें, मिले साक्ष्यों को लेकर अयोध्या के संतो ने मांग उठाई है कि जिस जगह पर साक्ष्य जुटाए गए हैं वह सारे साक्ष्य मंदिर से संबंधित हैं. आचार्य सत्येंद्र दास प्रधान पुजारी राम जन्मभूमि ने कहा कि ऐसे में मुस्लिम समाज के लोगों को स्वतः ही हट जाना चाहिए. मिले हुए साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट को भी तत्काल हिंदू धर्म के पक्ष में फैसला देना चाहिए. 

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विदेशी आक्रांताओं द्वारा तोड़े मंदिरों का सच आया सामने: शरद शर्मा
विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने इस मामले पर बयान दिया है. उन्होंने मुस्लिम समाज से अपील की है कि पढ़े-लिखे मुस्लिम समाज के लोग इस बात को माने कि मुगल आक्रांताओं ने हिंदू धार्मिक स्थलों को नुकसान पहुंचा कर वहां पर मस्जिद बनाई. उन्होंने कहा कि देश में मठ मंदिरों को छोड़कर विदेशी आक्रांताओं ने अपने धार्मिक चिन्ह स्थापित किए थे. यह शाश्वत सत्य है तमाम प्रमाण भी मिल रहे हैं. ऐसे में मुस्लिम समाज के लोगों को यह मान लेना चाहिए कि धार्मिक स्थल हिंदुओं का है.

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