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हापुड़: उत्तर प्रदेश के हापुड़ में बड़ा हादसा हो गया था. जिले के धौलाना क्षेत्र के यूपीएसआईडीसी स्थित एक अवैध पटाखा फैक्ट्री में बॉयलर फटने से तेज धमाके के साथ आग लग गई थी. रूही इंडस्ट्रीज में हुए विस्फोट में अब तक 13 मजदूरों की मौत हो चुकी है. इस मामले में पुलिस ने जांच तेज कर दी है. वहीं, गलत रिपोर्ट देने पर कंपनी के सहायक प्रबंधक के खिलाफ तहसीलदार धौलाना की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कराया गया है. जिसके बाद उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है.
ये हैं आरोप
आपको बता दें कि पुलिस ने सहायक प्रबंधक धीरज मिश्रा के विरुद्ध भ्रष्टाचार अधिनियम व आईपीसी की विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है. आरोप है कि उसने लालच की वजह से गलत रिपोर्ट लगाई क्योंकि प्रबंधक ने बिना निरीक्षण किए रिपोर्ट में इलेक्ट्रिक सामग्री लिखकर दिया था. इसी मामले को लेकर मुकदमा दर्ज हुआ है. वहीं, जांच के दौरान मौके से प्लास्टिक प्लेट व सम्बंधित केमिकल बरामद हुआ था.
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पुलिस अधीक्षक ने दी जानकारी
पुलिस अधीक्षक हापुड़ ने बताया कि थाना धौलाना क्षेत्र में एक फैक्ट्री में दुर्घटना हुई थी. जिसमें 13 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी. जो अवैध रूप से संचालित की जा रही थी. UPSIDC के असिस्टेंट मैनेजर द्वारा अनुचित लाभ प्राप्त करते हुए फर्जी रिपोर्ट लगाई गई थी. साथ ही फैक्ट्री में अवैध रूप से चल रहे कार्य को छिपाया गया. जिसके बाद तहसीलदार धौलाना की तहरीर के आधार पर थाना धौलाना में असिस्टेंट मैनेजर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया है.
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आधा दर्जन गंभीर मरीजों का चल रहा इलाज
आपको बता दें कि हापुड़ के धौलाना के यूपीएसआईडीसी स्थित एक फैक्ट्री में बॉयलर फटने से आग लग गई थी. अभी भी मेरठ के लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज में आधा दर्जन गंभीर मरीजों का इलाज किया जा रहा है. जाकारी के मुताबिक हादसे के दौरान फैक्ट्री के अंदर उस समय तकरीबन 25 मजदूर काम कर रहे थे. हादसे की सूचना मिलते ही दमकल की गाड़ियां और पुलिस मौके पर पहुंच गई. काफी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया. इस मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी घटना पर शोक प्रकट किया था. साथ ही घायलों को बेहतर उपचार उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था.
फैक्ट्री के बाहर ताला लगाकर लोग कर रहे थे काम
जानकारी के मुताबिक यह फैक्ट्री काफी समय से बंद थी. हालांकि, इस फैक्ट्री के बाहर ताला लगाकर लोग अंदर काम किया करते थे. मौके पर बारूद जैसे साक्ष्य मिले थे. जिसको लेकर डीएम मेधा रूपम ने मामले की जांच कराने को कहा था. तब डीएम ने बताया था कि उस जगह इलेक्ट्रॉनिक सामान बनाने के लिए लाइसेंस दिया गया था.
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